लोकतंत्र का उत्सव: बिहार में रिकॉर्ड तोड़ मतदान और क्रांति प्रकाश झा की प्रेरक भूमिका

इस बार खास ध्यान इस बात पर दिया गया कि कोई मतदाता पीछे न छूटे. चुनाव आयोग के कर्मचारियों ने घर-घर जाकर मतदाता सूची जांची, लोगों को उनका वोटर कार्ड दिलाया, और प्रवासी मजदूरों को भी मतदान के लिए प्रेरित किया गया.

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  • बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 65.08 प्रतिशत मतदान हुआ जो अब तक का सबसे उच्च मतदान प्रतिशत है
  • भारत निर्वाचन आयोग ने SVEEP कार्यक्रम के तहत मतदान के महत्व को समझाने और भागीदारी बढ़ाने का काम किया
  • क्रांति प्रकाश झा ने बिहार के कई जिलों में जाकर लोगों को मतदान के लिए प्रेरित करने में सक्रिय भूमिका निभाई
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पटना:

बिहार ने इस बार ऐसा इतिहास बनाया है जो आने वाले कई सालों तक याद रखा जाएगा. विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 64.66 प्रतिशत (अंतिम आंकड़ा 65.08%) का रिकॉर्ड-तोड़ मतदान हुआ. यह बिहार के चुनावी इतिहास में अब तक का सबसे ऊंचा आंकड़ा है. यह सिर्फ एक नंबर नहीं, बल्कि इस बात का सबूत है कि बिहार की जनता अब पहले से ज्यादा जागरूक, समझदार और लोकतंत्र के प्रति समर्पित हो चुकी है.

इस ऐतिहासिक मतदान के पीछे एक लंबी तैयारी और कई लोगों की मेहनत रही. भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने “SVEEP (Systematic Voters' Education and Electoral Participation)” नाम के कार्यक्रम के तहत लगातार काम किया. इस कार्यक्रम का उद्देश्य था लोगों को मतदान का महत्व समझाना और ज्यादा से ज्यादा लोगों को मतदान केंद्र तक लाना.

इसी अभियान को और प्रभावी बनाने के लिए आयोग ने बिहार के मशहूर अभिनेता क्रांति प्रकाश झा को स्टेट स्वीप आइकॉन बनाया. क्रांति प्रकाश झा बिहार के लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं, उनका तरीका सादा है, भाषा भावनात्मक है, और लोगों से जुड़ने की उनकी क्षमता असाधारण है. उन्होंने इस अभियान को सिर्फ पोस्टर या विज्ञापन तक सीमित नहीं रखा, बल्कि खुद बिहार के गांव-गांव जाकर लोगों को मतदान के लिए प्रेरित किया.

उन्होंने समस्तीपुर, बेगूसराय, सीतामढ़ी, बेतिया, मोतिहारी और पटना जैसे जिलों में जाकर रैलियों में हिस्सा लिया, युवाओं से बातचीत की और लोगों को समझाया कि मतदान केवल अधिकार नहीं, बल्कि जिम्मेदारी है. मोतिहारी में उन्होंने कैंडल मार्च निकाला, जहां सैकड़ों लोग “हर वोट जरूरी है” का संदेश लेकर सड़कों पर उतरे. बेगूसराय में उन्होंने युवाओं से कहा, “अगर आप वोट नहीं करते, तो शिकायत करने का हक भी खो देते हैं. हर वोट देश की दिशा तय करता है.”

क्रांति प्रकाश झा की सादगी और सच्चे संदेश ने लोगों के दिलों को छू लिया. गांवों में, कस्बों में, यहां तक कि छोटे स्कूलों में भी बच्चों ने अपने माता-पिता से कहा, “मां-बापू, वोट देना जरूर.” महिलाओं और पहली बार वोट देने वाले युवाओं में जबरदस्त उत्साह देखा गया. बूथों पर लंबी कतारें इस बात का प्रमाण थीं कि लोगों में अब लोकतंत्र के प्रति गहरी आस्था है.

इस बार खास ध्यान इस बात पर दिया गया कि कोई मतदाता पीछे न छूटे. चुनाव आयोग के कर्मचारियों ने घर-घर जाकर मतदाता सूची जांची, लोगों को उनका वोटर कार्ड दिलाया, और प्रवासी मजदूरों को भी मतदान के लिए प्रेरित किया गया. हर गांव में छोटे-छोटे मतदान जागरूकता अभियान, नुक्कड़ नाटक, और गीत-संगीत कार्यक्रम आयोजित किए गए. स्कूलों और कॉलेजों में “एक वोट एक भविष्य” थीम पर प्रतियोगिताएं हुईं.

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इस मुहिम में क्रांति प्रकाश झा के साथ अभिनेत्री नीतू चंद्रा भी जुड़ीं. दोनों ने मिलकर एक वीडियो बनाया, जिसमें उन्होंने बिहार की जनता से अपील की कि वोट देना केवल पांच साल की सरकार नहीं चुनता, बल्कि यह आने वाले कई सालों का भविष्य तय करता है. यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब पसंद किया गया और लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया.

आंकड़ों के मुताबिक, पिछले चुनाव की तुलना में इस बार करीब 31 लाख ज्यादा वोट डाले गए. यह दर्शाता है कि लोगों में कितनी ज्यादा जागरूकता आई है. गांवों से लेकर शहरों तक हर जगह मतदान को “लोकतंत्र का उत्सव” की तरह मनाया गया. कहीं रंगोली बनाई गई, कहीं गीत गाए गए, और कहीं बूथों को सजाया गया. इस पूरे अभियान ने यह साबित कर दिया कि जब सरकार, प्रशासन, और जनता एक साथ मिलकर काम करते हैं, तो बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं. क्रांति प्रकाश झा ने सिर्फ एक अभिनेता की नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक की भूमिका निभाई. उन्होंने अपने शब्दों और अपने काम से यह दिखाया कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए सिर्फ मंच नहीं, बल्कि नीयत और मेहनत चाहिए.

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पहले चरण की इस शानदार सफलता ने अब दूसरे चरण के मतदान, जो 11 नवंबर को होने वाला है उसके लिए माहौल बना दिया है. लोग अब और ज्यादा जोश के साथ लोकतंत्र के इस महापर्व में हिस्सा लेने को तैयार हैं. जैसा कि क्रांति प्रकाश झा ने कहा था, “लोकतंत्र तभी मजबूत होता है जब हर नागरिक अपनी आवाज़ से इसे जिंदा रखता है.” बिहार का यह उदाहरण अब पूरे देश के लिए प्रेरणा बन गया है. यह दिखाता है कि अगर लोगों को सही दिशा और सही प्रेरणा मिले, तो वे लोकतंत्र को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकते हैं. इस ऐतिहासिक मतदान ने बिहार को सिर्फ एक राजनीतिक राज्य नहीं, बल्कि लोकतंत्र की सच्ची भूमि साबित कर दिया है 
जहां हर वोट की गूंज कहती है, “मतदान करो, देश गढ़ो, यही सच्चा उत्सव, यही असली लोकतंत्र.”

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