- राजापाकर विधानसभा सीट महागठबंधन के भीतर मतभेद के बाद अब कांग्रेस, सीपीआई और जदयू के बीच मुकाबला है
- यह सीट वैशाली जिले के राजापाकर सामुदायिक विकास खंड में है और हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है
- राजापाकर क्षेत्र कृषि प्रधान है जहां धान, गेहूं और मक्का प्रमुख फसलें हैं और ग्रामीण जीवन का आधार हैं
राजापाकर विधानसभा सीट (Rajapakar Election Seat) पर महागठबंधन में खींचतान के बाद मुकाबला दिलचस्प हो गया है. राजापाकर सीट फिलहाल कांग्रेस के पास है और मौजूदा विधायक प्रतिमा कुमारी दास को दोबारा मौका दिया गया है. लेकिन यहां से सीपीआई ने भी अपना उम्मीदवार उतार दिया है. सीपीआई ने यहां से मोहित पासवान को उम्मीदवार बनाया है. एनडीए में ये सीट जदयू के खाते में आई है, जिसने यहां से महेंद्र राम को चुनाव मैदान में उतारा है. राजापाकर विधानसभा क्षेत्र हाजीपुर (एससी) लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है और वैशाली जिले के राजापाकर सामुदायिक विकास खंड का मुख्यालय भी है. प्रशासनिक दृष्टि से यह महुआ अनुमंडल का हिस्सा है.
राजापाकर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
राजापाकर गंडक और गंगा जैसी प्रमुख नदियों के निकट स्थित है. यहां का भूभाग पूरी तरह समतल और उपजाऊ है, जिसके कारण खेती-बाड़ी यहां की प्रमुख आर्थिक गतिविधि है. धान, गेहूं और मक्का इस क्षेत्र की मुख्य फसलें हैं. ग्रामीण जीवन और कृषि इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं. राजापाकर क्षेत्र धार्मिक दृष्टि से भी काफी प्रसिद्ध है. सहदेई बुजुर्ग पंचायत के वार्ड नंबर 14 में स्थित बुद्धेश्वर नाथ मंदिर स्थानीय लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है. वहीं, इस क्षेत्र में स्थित अभिषेक पुष्करणी एक अत्यंत महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल है. ऐतिहासिक मान्यताओं के अनुसार, यह पवित्र सरोवर है, जहां लिच्छवि शासकों का अभिषेक (राजतिलक) किया जाता था. इसलिए यह ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थान है.
आरक्षित सीट
राजापाकर, वैशाली और सारण जिलों के संगम पर स्थित है. यह हाजीपुर जिला मुख्यालय से लगभग 17 किमी, सारण जिले के सोनपुर से 18 किमी, महनार बाजार से 23 किमी, और लालगंज से 25 किमी की दूरी पर है. संभागीय मुख्यालय मुजफ्फरपुर 50 किमी और राज्य की राजधानी पटना 40 किमी की दूरी पर स्थित हैं. राजापाकर विधानसभा क्षेत्र का गठन 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद किया गया था. यह अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित सीट है. इसमें तीन प्रमुख सामुदायिक विकास खंड राजापाकर, देसरी और सहदेई बुजुर्ग शामिल हैं.
कब कौन जीता?
राजनीतिक दृष्टि से यह सीट हमेशा से सक्रिय रही है. 2010 में इस सीट से जदयू के संजय कुमार पहले विधायक बने. 2015 में राजद के शिवचंद्र राम ने जीत दर्ज की. 2020 के चुनाव में यह सीट महागठबंधन के हिस्से के रूप में कांग्रेस के खाते में आई, जहां से प्रतिमा दास ने जदयू के महेंद्र राम को हराया. इस क्षेत्र में पासवान और रविदास समुदायों की निर्णायक भूमिका रही है.
वोटों का गणित
कुल मतदाताओं की संख्या 25,8983 है. 2020 में राजा पाकर (एससी) सीट से कांग्रेस के प्रतिमा कुमारी ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने जदयू प्रत्याशी महेंद्र राम को 1796 वोटों (लगभग 1.20% अंतर) से हराया था.