- बिहार विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री मोदी का मगध क्षेत्र में नवादा में कार्यक्रम राजनीतिक महत्व रखता है
- मगध के पांच जिलों में कुल 26 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें अधिकांश सीटें महागठबंधन के कब्जे में हैं
- वर्तमान में मगध में सिर्फ सात सीटें एनडीए के पास हैं, जबकि महागठबंधन के पास 19 सीटें हैं
बिहार में विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दूसरा कार्यक्रम मगध इलाका में है. 2 नवंबर को मगध क्षेत्र के नवादा जिला मुख्यालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कार्यक्रम है. ऐसे में यह सवाल उठता है कि मोदी के लिए मगध कितना मायने रखता है. मोदी इसे इतना तवज्जों क्यों दे रहे हैं. खासकर मोदी का कार्यक्रम मगध के नवादा में ही क्यों रखा गया है.
मगध के पिछले चुनाव परिणाम को देखने के बाद मगध में मोदी के कार्यक्रम के मायने को समझना आसान हो जाता है. देखें तो, मगध क्षेत्र में पांच जिले हैं. गयाजी, नवादा, औरंगाबाद, जहानाबाद और अरवल. पांच जिलों में विधानसभा की कुल 26 सीटें हैं. इसमें सबसे अधिक गयाजी में 10, औरंगाबाद में 6, नवादा में 5, जहानाबाद में 3 और अरवल में 2 सीटें हैं. लेकिन मौजूदा समय में मगध के सात सीटों पर एनडीए का कब्जा है. बाकी 19 सीटों पर महागठबंधन का कब्जा है.
देखें तो, बीजेपी सिर्फ तीन सीटें नवादा जिले का वारिसलीगंज और गयाजी जिले के वजीरगंज और गया सदर पर काबिज है. जबकि हम सेक्युलर भी तीन सीटों पर काबिज है. इमामगंज, टेकारी और बाराचटटी सीट पर काबिज है. जबकि जदयू बेलागंज सीट पर उपचुनाव में काबिज हुई है. देखें तो, महागठबंधन की स्थिति मगध में मजबूत है. 26 में से 19 सीटों पर काबिज है. इसमें 14 सीटों पर आरजेडी, तीन सीटों पर कांग्रेस और दो सीटों पर सीपीआईएमएल काबिज है.
बिहार की कुर्सी के लिए मगध का इलाका रहा है अहम
मगध का इलाका बिहार की कुर्सी के लिए काफी अहम रहा है. चूकिं कम सीटों का सीधा असर बिहार की कुर्सी पर पड़ती रही है. पिछला विधानसभा का चुनाव परिणाम इसका उहाहरण है। एनडीए कम सीटें जीती थी, जिसका सीधा असर बिहार की कुर्सी पर दिखाई दिया. बड़ी मुश्किल से एनडीए बहुमत के आकड़े तक पहुंच पाई थी. 2015 के चुनाव में भी एनडीए (तब जदयू एनडीए का हिस्सा नही थी) तब पांच सीटें जीत पाई थी. तब एनडीए सता से बाहर हो गई थी. नीतीश कुमार के नेतृत्व में राजद समर्थित महागठबंधन की सरकार बनी थी. वहीं 2010 के चुनाव में मगध में 24 सीटें एनडीए जीती थी. तब बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की भारी बहुमत की सरकार बनी थी.
मगध में नवादा क्यों अहम
वैसे तो, मगध का मुख्यालय गयाजी रहा है. लेकिन एनडीए खासकर बीजेपी के लिए नवादा गढ़ रहा है. जनसंघ जमाने में जब एनडीए दो सीटें जीती थी तब एक सीट नवादा की थी. यही नहीं, 2020 में नवादा जिले के पांच में से एक सीट जीती थी. चार पर महागठबंधन का कब्जा रहा है. जबकि 2010 के चुनाव में पांचों सीट पर एनडीए का कब्जा था. दो बीजेपी और तीन जदयू जीती थी. 2015 में भी दो बीजेपी जीती थी. जबकि तीन महागठबंधन का कब्जा था.
मगध के 14 एनडीए प्रत्याशी होंगे शामिल
यही नहीं, नवादा ऐसे जगह पर अव्यवस्थित है, जिसके सीमावर्ती जिले पर सीधा असर पड़ता है. गया, नालंदा, शेखपुरा नवादा की सीमा में है. इस कार्यक्रम के जरिए इस इलाका के 14 एनडीए प्रत्याशियों की मौजूदगी होगी. इसमें नवादा जिले के पांच, गया के तीन, शेखपुरा के दो और नालंदा के चार प्रत्याशी मौजूद होंगे. यही नहीं, इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, एलजेपीआर प्रमुख चिराग पासवान और आरएलएम प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा भी मौजूद रहेंगे. इसका मकसद एकजुटता दिखाने जैसा है. चूकिं 2020 के चुनाव में एलजेपी और रालोसपा एनडीए से अलग था. इसका भी कई सीटों पर असर पड़ा था. लेकिन इस दफा मगध में एकजुटता दिखाने की कोशिश होगी.














