बिहार की महिलाओं को पीएम मोदी ने दिया बड़ा तोहफा
- पीएम मोदी ने बिहार में मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना का उद्घाटन किया
- योजना के तहत बिहार की 75 लाख महिलाओं के बैंक खातों में दस हजार रुपये की राशि भेजी जाएगी
- लाभार्थियों ने योजना से मिली आर्थिक सहायता और सरकारी पहलों से जीवन में आए सकारात्मक बदलावों को साझा किया
पीएम मोदी ने बिहार में 'मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना' का उद्घाटन किया. शुक्रवार को हुए इस खास कार्यक्रम में पीएम मोदी ने वर्जुअल माध्यम से बिहार की महिलाओं को संबोधित भी किया. आपको बता दें कि पीएम मोदी की इस पहल के तहत बिहार की 75 लाख महिलाओं के बैंक खाते में 10-10 हजार रुपये भेजे जाएंगे. पीएम मोदी ने अपने संबोधन में एनडीए की सरकार से पहले की सरकार पर सीधा हमला बोला. इस दौरान पीएम मोदी ने कार्यक्रम में मौजूद महिलाओं से सवाल पूछे. इसी क्रम में जब पीएम मोदी ने पूछा कि जलेबी पर होने वाली राजनीति का पता है, तो उनके इस सवाल पर वहां मौजूद महिलाएं मुस्कुराने लगीं. पीएम मोदी के इस सवाल पर माहौल एकाएक हल्का हो गया.
आपको बता दें कि इस कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने उन महिला लाभार्थियों से बातचीत की, जिनकी ज़िंदगी सरकारी पहलों के माध्यम से बदल रही है. जो दृश्य सामने आया वह केवल नीति चर्चा नहीं थी,बल्कि प्रेरणादायक कहानियों आभार और उत्सव की भावना का संगम था.
लाभार्थियों ने प्रधानमंत्री को स्नेहपूर्वक “भैया” कहकर संबोधित किया, जो उनके और पीएम मोदी के बीच के जुड़ाव का प्रतीक है. भोजपुर की रीता देवी, जिन्होंने 2015 में एक छोटे पोल्ट्री व्यवसाय के साथ अपनी उद्यमिता यात्रा शुरू की थी. उन्होंने कहा कि मेरी ज़िंदगी बदल गई है. जब मुझे ₹10,000 का सहयोग मिलेगा, तो मैं 100 और मुर्गियां खरीदूंगी. सर्दियों में अंडों की मांग बढ़ जाती है, और इससे मेरी आय बढ़ेगी.
वे यहीं नहीं रुकीं. उन्होंने बताया कि कैसे कई सरकारी योजनाओं ने उनकी ज़िंदगी को पूरी तरह बदल दिया है.पहले हमारा घर बहुत खराब स्थिति में था, लेकिन पीएम आवास योजना से हमारे पास एक पक्का घर और शौचालय है. अब हम साफ पानी पीते हैं, चूल्हे की जगह उज्ज्वला गैस का उपयोग करते हैं, आयुष्मान योजना के तहत मुफ्त इलाज पाते हैं, और 125 यूनिट मुफ्त बिजली मिलती है. बचत हमारे बच्चों के भविष्य को सुदृढ़ करने में उपयोग होगी.यह बिल्कुल नई ज़िंदगी की तरह लगता है.
पश्चिम चंपारण की रंजीता काज़ी ने रोजगार योजना को त्योहार के समान बताया कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि हमारे क्षेत्र में सड़कें, पानी और बिजली आएगी. उज्ज्वला ने हमें धुएँ से मुक्त कर दिया. ₹10,000 से मैं ज्वार और बाजरा की खेती में निवेश करूंगी, और जब मुझे ₹2 लाख मिलेंगे, तो मैं और बढ़ूंगी, स्वदेशी आंदोलन को आगे बढ़ाते हुए एक दिन लाखपति बनूंगी.
गया की नूरजहां खातून की कहानी सशक्तिकरण और गरिमा दोनों को दर्शाती है. उन्होंने कहा कि हम इस ₹10,000 उपहार से बहुत खुश हैं क्योंकि यह हमें अपनी पसंद का व्यवसाय शुरू करने का अवसर देता है. पहले, परिवारों को हमारा बाहर जाना पसंद नहीं था, यहां तक कि पति भी हमें मारते थे. लेकिन आज, आत्मनिर्भरता के कारण, परिवार हमारा सम्मान करता है. पहले हम अपने पतियों को अपनी संपत्ति मानती थीं, अब हमारे पति हमें लखपति मानते हैं.
पूर्णिया की पुतुल देवी, जो एक छोटे मिठाई व्यवसाय चलाती हैं, उनके लिए रोजगार योजना सपनों तक पहुंचने का पुल है. उन्होंने कहा कि जब मुझे ₹2 लाख मिलेंगे, तो मैं अपना व्यवसाय बढ़ाऊंगी और पीएम की स्वदेशी दृष्टि के साथ राष्ट्र को सशक्त बनाऊँगी. लोग मुझ पर हंसते थे, लेकिन जीविका से जुड़ने के बाद सब बदल गया. आज, 125 यूनिट मुफ्त बिजली से मैं बचत करती हूँ और अपने बच्चों की शिक्षा में निवेश करती हूं.