पीरपैंती सीट: 'भगवा दुर्ग' में आदिवासी अस्मिता और विकास की चुनौती, क्या 2024 की बढ़त दोहरा पाएगी BJP?

भागलपुर जिले की पीरपैंती विधानसभा में 2020 के चुनाव में BJP के ललन कुमार ने RJD के रामविलास पासवान को 21,805 वोटों के अंतर से हराकर जीत हासिल की थी.

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बिहार के भागलपुर जिले की पीरपैंती विधानसभा सीट (निर्वाचन क्षेत्र संख्या-154) एक राजनीतिक अखाड़ा है, जहां पारंपरिक रूप से भारतीय जनता पार्टी (BJP) और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के बीच कड़ा मुकाबला होता रहा है. झारखंड की सीमा से सटा यह क्षेत्र आदिवासी आबादी, ग्रामीण समस्याओं और विकास के मुद्दों के कारण राज्य की राजनीति में एक खास स्थान रखता है. यह सीट एक सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित सीट है और यहां की राजनीति पर यादव, मुस्लिम, और आदिवासी/दलित वोट बैंक निर्णायक भूमिका निभाते हैं.

वोटों का गणित और सामाजिक समीकरण

चुनाव आयोग द्वारा 30 सितंबर 2025 को जारी अंतिम मतदाता सूची के अनुसार, पीरपैंती विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या तीन लाख से अधिक है. सामाजिक समीकरणों की दृष्टि से यह इलाका महत्वपूर्ण है. यहां मुस्लिम मतदाता अनुमानित 15-18% हैं, वहीं यादव व दलित वोटरों की संख्या लगभग 25% है. इनके अलावा भूमिहार और अति पिछड़ा वर्ग (EBC) के मतदाता भी परिणामों को प्रभावित करते रहे हैं.

प्रमुख मुद्दे क्या हैं? 

पीरपैंती की राजनीति मुख्य रूप से तीन ध्रुवों पर केंद्रित है-

  • झारखंड सीमा का प्रभाव: यहां के निवासियों की प्रमुख मांगों में बेहतर अंतर-राज्यीय परिवहन और सड़क संपर्क अहम है.
  • आदिवासी और वनवासी अधिकार: क्षेत्र की अच्छी खासी आदिवासी आबादी के लिए वन अधिकार, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं सबसे बड़े मुद्दे हैं.
  • कृषि और आधारभूत संरचना: किसानों को सिंचाई की पर्याप्त सुविधाएं, बेहतर ग्रामीण बिजली व्यवस्था और सड़कों का विकास चुनाव में निर्णायक साबित होते हैं.

हार-जीत का इतिहास

पीरपैंती की चुनावी जंग में पिछले दो विधानसभा चुनावों में कड़ा संघर्ष रहा है, लेकिन जीत दोनों प्रमुख दलों के बीच बंटी है. 2020 के विधानसभा चुनाव में BJP के ललन कुमार ने RJD के रामविलास पासवान को 21,805 वोटों के बड़े अंतर से हराकर जीत हासिल की थी.

2015 के विधानसभा चुनाव में RJD के रामविलास पासवान ने BJP के अमन कुमार को 24,000 से अधिक वोटों से हराया था. हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव के आंकड़ों ने इस सीट पर समीकरण पूरी तरह से बदल दिए. लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस के उम्मीदवार पर लगभग 38,000 वोटों की भारी बढ़त हासिल की थी.

इस बार क्या चुनावी माहौल है?

2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए अपने मजबूत जातीय समीकरण, आदिवासी वोटों पर फोकस और प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता के दम पर यह सीट बरकरार रखने की कोशिश कर रहा है. वहीं महागठबंधन के लिए अपने कोर यादव-मुस्लिम समीकरण के साथ आदिवासी वोटों को वापस अपने पाले में लाने की चुनौती है. यह सीट महागठबंधन के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है.

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