- भागलपुर में दो पाकिस्तानी महिलाएं बिना वीजा विस्तार के दशकों से रह रही हैं और वोटर आईडी भी बनवा चुकी हैं.
- एक पाकिस्तानी महिला ने तो भागलपुर के सरकारी उर्दू माध्यम विद्यालय में शिक्षिका के रूप में नौकरी भी कर ली.
- गृह मंत्रालय और चुनाव आयोग ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं और पुलिस इन महिलाओं की तलाश कर रही है.
Pakistani Women Voters in Bhagalpur: बिहार वोटर लिस्ट रिवीजन के दौरान भागलपुर में दो पाकिस्तानी महिला वोटर्स का मामला सामने आया है. दो पाकिस्तानी महिलाएं 60 साल से ज्यादा समय से न केवल यहां रह रही हैं, बल्कि आधार कार्ड और वोटर आईडी भी बन चुके हैं. और तो और ये महिलाएं लंबे समय से वोट भी करती आ रही हैं. वीजा विस्तार हुए बिना ये महिलाएं दशकों से भारत में रह रही हैं. आश्चर्य ये जानकर भी होगा कि एक पाकिस्तानी महिला भागलपुर के सरकारी स्कूल में शिक्षिका भी बन गई. गृह मंत्रालय और चुनाव आयोग ने इस मामले में पूरी रिपोर्ट मांगी है. अब पुलिस इनकी तलाश में जगह-जगह छापेमारी कर रही है, लेकिन ये मिल नहीं रहीं.
कैसे हुआ मामले का खुलासा?
अधिकारियों के मुताबिक, भागलपुर में मतदाता सूची पुनरीक्षण के दौरान ये मामला सामने आया. भागलपुर डीएम ने इस मामले में जांच कराई है. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) फरजाना खानम ने बताया कि उन्हें विभागीय आदेश मिला था, जिसमें पासपोर्ट और वीजा की डिटेल दी गई थी. उसी आधार पर जांच हुई और फिर कार्रवाई शुरू की गई.
उन्होंने बताया कि इनमें से एक महिला का नाम इमराना खानम है, जो काफी बुजुर्ग हैं और बीमार भी. उनका पासपोर्ट 1956 का है और वीजा 1958 में जारी हुआ था. गृह मंत्रालय ने 11 अगस्त को स्थानीय चुनाव कार्यालय को नोटिस भेजकर तत्काल जांच और कार्रवाई का आदेश दिया था.
निर्वासित किया जा सकता है पाकिस्तान
दोनों ही महिलाओं को कानून तोड़ने और अवैध तरीके से यहां का मतदाता प्रमाणपत्र बनवा कर छिपे रहने पर उन्हें यहां से उनके वतन पाकिस्तान निर्वासित किया जा सकता है. उनके विरुद्ध विदेशी अधिनियम का उलंघन करने मामले में केस भी दर्ज कराया जा सकता है. फिलहाल भागलपुर के डीएम डॉ नवल किशोर चौधरी ने फॉर्म-7 के तहत उनके नामों को वोटर लिस्ट और आधार सूची से हटाने का प्रस्ताव दिया है. लंबे समय से बिना वीजा विस्तार के रह रही दोनों पाकिस्तानी महिलाओं के विरुद्ध देश से निर्वासन समेत अन्य कार्रवाई होगी.
पड़ोसी भी नहीं दे पाते हैं पूरी जानकारी (एआई जेनरेटेड प्रतीकात्मक तस्वीर)
कजरैली के शख्स से हुआ प्रेम और यहीं रह गईं इमराना
1956 में पाकिस्तान से आईं इमराना खानम किसी सिलसिले में भागलपुर आईं तो यहां कजरैली सिमरिया के रहने वाले मोहम्मद इबनुल हसन को दिल दे बैठीं. दोनों ने प्रेम विवाह किया और साथ रहने लगे. शुरू-शुरू में तो इमराना ने कई बार वीजा विस्तार कराया, लेकिन बाद में दोनों ढुलमुल पड़ गए और इस प्रक्रिया से किनारा करते गए. इमराना, विभागीय निगरानी से भी ओझल हो गई. फिर कुछ साल बाद दोनों भागलपुर में इशाकचक के भीखनपुर आकर रहने लगे. वहीं मकान बनाया
पति ने जुगाड़ से लगवा दी पत्नी की नौकरी
इबनुल बांका जिले में एक मदरसे में नौकरी करता था. उसने जुगाड़ लगाया और भागलपुर के ही बरहपुरा स्थित उर्दू मघ्य विद्यालय में इमराना खानम की भी नौकरी लगवा दी. इमराना खानम यहां इमराना खातून बनकर बतौर शिक्षिका नौकरी कर ली. चूंकि इमराना ने वीजा अवधि विस्तार के लिए आवेदन करना बंद कर दिया था, ऐसे में गृह मंत्रालय का ध्यान भी इस ओर गया. तीन साल पहले तत्कालीन एसएसपी बाबू राम ने मामले की खोजबीन शुरू करवाई.
उन्होंने विदेशी शाखा प्रभारी और कुछ थानाध्यक्षों से रिपोर्ट तलब की, तब जाकर मामले का पूरा खुलासा हुआ. उर्दू मध्य विद्यालय, बरहपुरा में शिक्षिका पद पर कार्यरत इमराना हाजिर तो नहीं हुई, लेकिन शिक्षकों के नाम वाले बोर्ड में उसका नाम भी दर्ज था. फिलहाल पुलिस ने मामले की छानबीन तेज कर दी है. बता दें कि इमराना के पति इबनुल का 2018 में निधन हो गया है और उनकी कोई संतान नहीं थी.
अन्य पाकिस्तानी नागरिकों को भी ढूंढ रही पुलिस
भागलपुर के भीखनपुर टैंक लेन में ही रहनेवाली पाकिस्तानी महिला फिरदौसिया खानम का भी पुलिस अता-पता नहीं लगा पा रही है. मुहम्मद तफजील अहमद की पाकिस्तानी पत्नी फरदौसिया खानम 19 जनवरी 1956 को तीन माह के वीजा पर भारत आई थी और यहीं रह गई. एक स्थानीय मीडियाकर्मी ने बताया कि बिना वीजा विस्तार के भागलपुर में रह रहीं सुरक्षा एजेंसियों की छानबीन के दौरान वो कहीं गायब हो जाती है.
उन्होंने बताया कि इनके अलावा भी कुछ पाकिस्तानी नागरिक भागलपुर में आकर बस गए थे, जिनकी खोज-खबर नहीं मिल पाती है. वर्ष 2002 में पाकिस्तान से मुहम्मद अमीनउद्दीन नाम का शख्स गोराडीह थाना क्षेत्र के डहरपुर गांव पहुंचा था. यहां की एक महिला से शादी रचाने के बाद वो यहीं रह गया था. जब विदेशी शाखा की ओर से खोजबीन की जाती थी तो वो अंडरग्राउंड हो जाता था. 2002 में ही पाकिस्तान से आए मुहम्मद असलम की भी लोग चर्चा करते हैं, जिसने फ्रॉड कर अपना आधार भी बनवा लिया था. पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां समय-समय पर विदेशी नागरिकों की खोज करती रहती है. ने तो स्थानीय लोगों से घुलमिल कर आधार कार्ड भी बनवा लिया.
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