बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा परिवारवाद को लेकर की गई टिप्पणी के बाद राज्य में सत्तारूढ़ ‘महागठबंधन' में दरार की अटकलों के बीच जनता दल यूनाइटेड(जेडीयू) के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने बृहस्पविार को सफाई दी. उन्होंने कहा कि वंशवाद की राजनीति को लेकर मुख्यमंत्री द्वारा की गई टिप्पणी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को लक्षित नहीं थी. लालू प्रसाद के छोटे बेटे तेजस्वी यादव नीतीश सरकार में उपमुख्यमंत्री हैं जबकि उनके बड़े बेटे राज्य सरकार में मंत्री हैं.
जदयू के राजनीतिक सलाहकार और प्रवक्ता त्यागी ने यहां पार्टी की एक रैली में नीतीश के भाषण के बाद लगायी जा रही अटकलों को लेकर पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा, ‘‘नीतीश कुमार कर्पूरी ठाकुर की जयंती के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. सभी महान समाजवादियों की तरह ठाकुर भी राजनीति में वंशवादी उत्तराधिकार से घृणा करते थे. यह एक साधारण तथ्य था जिसे नीतीश कुमार रेखांकित करना चाहते थे. इसलिए इसे इससे अधिक कुछ नहीं समझा जाना चाहिए.''
त्यागी ने यह भी कहा कि कर्पूरी ठाकुर को ‘‘भारत रत्न'' से सम्मानित करने के लिए नीतीश कुमार की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति कृतज्ञता को उनकी प्रशंसा के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए .
जदयू की ओर से यह स्पष्टीकारण नीतीश के उक्त बयान के बाद उनके भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत गठबंधन में लौटने की अटकलों के बीच आई है. नीतीश ने करीब दो साल पहले भाजपा से नाता तोड़ लिया था और राजद नीत ‘महागठबंधन' के साथ नयी सरकार बना ली थी.
त्यागी ने कहा, ‘‘राम मनोहर लोहिया जैसे समाजवादी नेताओं ने जवाहरलाल नेहरू और बाद में इंदिरा गांधी के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. इसलिए समाजवादी गुट के अधिकांश नेता राजनीति में वंशवाद के खिलाफ रहे हैं. यही हाल कर्पूरी ठाकुर जी का भी था जिन्हें नीतीश कुमार अपना आदर्श मानते हैं और यही बात हमारे नेता ने कल की रैली में उठाने की कोशिश की.''
यह पूछे जाने पर कि नीतीश की उक्त टिप्पणी को लेकर मीडिया का एक वर्ग यह मान रहा है कि इसका उदेश्य परोक्ष रूप से राजद को निशाना बनाना था तो त्यागी ने कहा, ‘‘नहीं, हम कभी भी अपने सहयोगियों के खिलाफ अभद्र टिप्पणी नहीं करते हैं . हम अपने सहयोगी दलों के बारे में इस तरह की टिप्पणी नहीं करते.''
त्यागी ने नीतीश कुमार द्वारा ठाकुर को ‘‘भारत रत्न'' से सम्मानित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कथित धन्यवाद देने पर भी स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की. उन्होंने कहा, ‘‘नीतीश कुमार ने लंबे समय से की जा रही मांग पूरी करने की सराहना की थी न कि प्रधानमंत्री की प्रशंसा की थी.
त्यागी ने कहा कि जहां तक वंशवाद की राजनीति पर विचारों का सवाल है, कभी-कभी अलग-अलग लोग किसी मामले पर एक जैसी राय साझा करते हैं; लेकिन यह एक संयोग मात्र है.
नीतीश की टिप्पणियों को ‘इंडिया' गठबंधन के भीतर बढ़ते कथित मनमुटाव की पृष्ठभूमि में देखा जा रहा है. बुधवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और पंजाब में उनके समकक्ष भगवंत सिंह मान ने घोषणा की थी कि वे कांग्रेस से चुनाव पूर्व सीट समझौता नहीं करेंगे.
त्यागी ने कहा, ‘‘जदयू खुद को ‘इंडिया' गठबंधन का वास्तुकार मानता है और राहुल गांधी एवं उनकी पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे जैसे कांग्रेस नेताओं से उन चिंताओं को दूर करने के लिए कहा है जो तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसे सहयोगियों ने व्यक्त की हैं.''
उन्होंने कहा, ‘‘बिहार में जदयू और राजद के बीच सीट बंटवारे को लेकर कोई समस्या नहीं है. हालांकि राजद और उसके पुराने सहयोगियों जैसे कांग्रेस और तीन वामपंथी दलों के बीच कुछ मुद्दे हैं. इन्हें जल्द से जल्द सुलझाया जाना चाहिए क्योंकि चुनावी तैयारियों के मामले में हम राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) से पिछड़ते नजर आ रहे हैं.''
त्यागी ने यह भी स्पष्ट किया कि जदयू अपने हिस्से से कोई समझौता नहीं करेगा. पार्टी ने 2019 में 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था और इनमें से एक को छोड़कर सभी पर जीत हासिल की थी. उन्होंने कहा, ‘‘हमारे विचार के अनुसार किसी भी पार्टी को उसकी जीती हुई सीट को छोड़ने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए. इससे भ्रम का पिटारा खुल जाएगा और आने वाली समस्याओं से निपटना मुश्किल हो जाएगा.''
त्यागी ने राजद सुप्रीमो की पुत्री रोहिणी आचार्य के सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर भी अपनी बात रखी. उक्त पोस्ट को बाद में हटा दिया गया. भाजपा ने आरोप लगाया है कि रोहिणी ने वंशवाद के बारे में टिप्पणी को लेकर नीतीश का नाम लिए बिना उन पर निशाना साधा था.
रोहिणी के पोस्ट को लेकर अटकलों को तब और बल मिला जब बृहस्पतिवार को बुलाई गई मंत्रिमंडल की बैठक आधे घंटे में ही खत्म हो गई और बैठक के बाद कोई प्रेस वार्ता नहीं हुई.
हालांकि, इसे तूल नहीं देते हुए समाज कल्याण विभाग के मंत्री और जदयू नेता मदन सहनी ने कहा, ‘‘मंत्रिमंडल की बैठक सामान्य समय से पहले समाप्त होने में कुछ भी असामान्य नहीं है. जब एजेंडे में बहुत सारी चीजें न हों तो ज्यादा समय नहीं लगता. आज मंत्रिमंडल द्वारा पारित ऐसा कोई भी एजेंडा नहीं था जिसे जनता के साथ साझा किया जाए इसलिए प्रेस वार्ता नहीं हुई होगी.''
मीडिया के एक वर्ग में ऐसी भी अटकलें हैं कि नीतीश वंचित जातियों के आरक्षण में वृद्धि करने के चुनावी लाभ पाने को लेकर आश्वस्त हैं और इसलिए बिहार विधानसभा को समय पहले भंग करने पर विचार कर रहे हैं. बिहार विधानसभा का कार्यक्रम नवंबर, 2025 में समाप्त हो रहा है.
सत्तारूढ़ ‘महागठबंधन' में किसी भी नेता ने इन अटकलों की अबतक पुष्टि नहीं की है.‘महागठबंधन' में जदयू, राजद, कांग्रेस और तीन वामपंथी दल शामिल हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)