बिहार चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे सियासी हलचल भी बढ़ने लगी है. अब सीट बंटवारे पर भी सहमति बनाने को लेकर माथापच्ची हो रही है. इस बीच खबर आ रही है कि एनडीए ने आगामी विधानसभा चुनावों के लिए टिकट बंटवारे के लिए होम वर्क कर लिया है. गठबंधन ने हर विधानसभा क्षेत्र के जातिगत समीकरणों का गहन सर्वेक्षण कराया है और यह तय कर लिया है कि किस सीट पर किस जाति के उम्मीदवार को मैदान में उतारा जाएगा.
जातिगत समीकरणों पर फोकस
एनडीए की तरफ से इस बारे के टिकट बंटवारे में जातिगत समीकरणों का विशेष ध्यान रखा जाएगा. गठबंधन के नेता इस बात पर सहमत हैं कि कोई भी सहयोगी दल बिना जातीय गणित का आकलन किए किसी उम्मीदवार को नहीं उतारेगा. उदाहरण के लिए, जिन सीटों पर किसी खास जाति का वोट बैंक ज्यादा मजबूत है, वहां उसी जाति या समुदाय के प्रभावशाली नेता को टिकट दिया जाएगा. यह रणनीति खासकर उन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण होगी जहां विपक्षी महागठबंधन पहले से मजबूत है.
'सिटिंग गेटिंग' फॉर्मूला लागू
यानी ऐसा न हो कि सहयोगी दल बिना जातिगत समीकरणों का ध्यान रखे उम्मीदवार खड़ा करें. इसी के साथ यह भी सहमति बनी है कि जिसके पास अभी जो सीट है, उसे वही सीट मिले. यानी सिटिंग गेटिंग का फ़ार्मूला चलेगा. सर्वेक्षण और प्रदर्शन के आधार पर कुछ मौजूदा विधायकों का टिकट काटा जा सकता है. सीटों के बंटवारे पर बिहार में कुछ राउंड की चर्चा और होगी. इसके बाद दिल्ली में चर्चा की जाएगी.
बिहार से दिल्ली तक होगी चर्चा
जाहिर सी बात है कि टिकट बंटवारे को अंतिम रूप देने के लिए बिहार में अभी कुछ और दौर की बैठकें होंगी। इसके बाद इस मुद्दे पर दिल्ली में शीर्ष नेतृत्व के साथ चर्चा की जाएगी. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), जनता दल (यूनाइटेड) (जेडीयू), और अन्य सहयोगी दलों के बीच सीटों की संख्या और उम्मीदवारों के चयन पर सहमति बनाना इस प्रक्रिया का हिस्सा होगा. बीजेपी और जेडीयू, जो गठबंधन के प्रमुख दल हैं, अपनी-अपनी मजबूत सीटों पर दबदबा बनाए रखना चाहते हैं.