- महुआ विधानसभा सीट पर लोजपा के संजय कुमार सिंह ने बड़ी जीत हासिल की थी, अब वो मंत्री बनाए गए हैं
- संजय कुमार सिंह ने मंत्री पद की शपथ लेकर महुआ की राजनीति में अपनी राजनीतिक ताकत और प्रभाव को मजबूत किया है
- महुआ सीट पर संजय सिंह के सामने राजद और तेजप्रताप यादव की चुनौती थी
बिहार की राजनीति में महुआ विधानसभा सीट पर इस बार बड़ा बदलाव देखने को मिला. लोजपा (रामविलास) के उम्मीदवार संजय कुमार सिंह ने न केवल चुनावी मैदान में जीत दर्ज की, बल्कि मंत्री पद की शपथ लेकर अपनी राजनीतिक ताकत को और मजबूत कर लिया. संजय सिंह ने महुआ से 87,641 वोट हासिल कर राजद के सिटिंग विधायक मुकेश रौशन को 44,997 वोटों के बड़े अंतर से हराया. मुकेश रौशन केवल 42,644 वोट ही जुटा पाए. वहीं, लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव भी जनता ने नकार दिया.
महुआ विधानसभा क्षेत्र का इतिहास भी दिलचस्प है. इसकी स्थापना 1951 में हुई थी. शुरुआती चुनावों के बाद यह सीट कुछ समय के लिए समाप्त कर दी गई थी, लेकिन 1977 में इसे फिर से अस्तित्व मिला. पिछले दो दशकों में यहां लगातार दूसरी बार कोई विधायक नहीं बन पाया, जो इस सीट की राजनीतिक अनिश्चितता को दर्शाता है.
संजय सिंह की जीत और मंत्री पद की शपथ ने महुआ की राजनीति में नया समीकरण बना दिया है. अब उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती महुआ के विकास को गति देना होगी. क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं, रोजगार और शिक्षा को लेकर जनता की उम्मीदें बढ़ गई हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि संजय सिंह को अपनी जीत को स्थायी बनाने के लिए विकास कार्यों पर फोकस करना होगा.
तेजप्रताप यादव की हार ने राजद के लिए झटका साबित किया है. हालांकि वे जीत नहीं पाए, लेकिन अपनी राजनीतिक पहचान बनाने और पार्टी को संदेश देने में सफल रहे. आने वाले दिनों में महुआ सीट पर तेजप्रताप की नजरें टिकी रहेंगी. फिलहाल, संजय सिंह की जीत और मंत्री पद ने लोजपा को नई ऊर्जा दी है और बिहार की सियासत में एक नया अध्याय जोड़ दिया है.














