कुढ़नी विधानसभा तीसरे बार कैसे हारे नीतीश कुमार

बिहार के कुढ़नी विधानसभा सीट पर बड़ा फेरबदल हुआ है. बीजेपी एक बार फिर ये सीट महागठबंधन से छीनने में कामयाब रही है. इस सीट के अंतिम परिणाम के अनुसार बीजेपी प्रत्याशी केदार गुप्ता ने जनता दल यूनाइटेड के मनोज कुशवाहा को 3662 मत से पराजित किया है.

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पटना:

बिहार के कुढ़नी विधानसभा सीट पर बड़ा फेरबदल हुआ है. बीजेपी एक बार फिर ये सीट महागठबंधन से छीनने में कामयाब रही है. इस सीट के अंतिम परिणाम के अनुसार बीजेपी प्रत्याशी केदार गुप्ता ने जनता दल यूनाइटेड के मनोज कुशवाहा को 3662 मत से पराजित किया है. पिछली बार केदार गुप्ता, 2020 के आम चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल के अनिल साहनी से मात्र 700 बारह वोट के अंतर से हारे थे. लेकिन नीतीश कुमार को लगातार तीसरी बार इस सीट पर पराजय का मुँह देखना पड़ा क्योंकि 2015 में जब महागठबंधन था उस समय भी केदार गुप्ता ने बीजेपी प्रत्याशी के रूप में मनोज कुशवाहा को हराया था और पिछली बार नीतीश कुमार के नेतृत्व में केदार गुप्ता एनडीए प्रत्याशी थे तब भी उन्हें जीत दिलाने में वो कामयाब नहीं हो पाए थे.

बीजेपी के लिए ये जीत इसलिए भी बड़ी मानी जाएगी क्योंकि इस बार जीत का फ़ासला सम्माजनक 3500 वोट का है और दूसरा पूरी पार्टी ने महागठबंधन को जिसमें सात दल शामिल हैं उसके ऊपर जीत दर्ज की है. हालांकि जनता दल यूनाइटेड के अधिकांश नेता इस हार के लिए प्रत्याशी मनोज कुशवाहा की अपनी व्यक्तिगत इमेज को एक बड़ा कारण मानते हैं और महागठबंधन के आधारभूत वोटर में भी उनको ख़ासकर स्थानीय स्तर पर उनकी हर चीज में हस्तक्षेप करने की आदत को ज़िम्मेवार मानते हैं.

लेकिन उससे भी अधिक नीतीश के कट्टर समर्थक मुख्यमंत्री की शराबबंदी के साथ-साथ ताड़ी पर प्रतिबंध की नीति को राजनीतिक रूप से आत्मघाती कदम मानते हैं. उनके अनुसार इससे पूरे राज्य में दलित समुदाय के लाखों लोगों के रोज़गार पर प्रतिकूल असर पड़ा है जिसका ख़ामियाज़ा उन्हें उठाना पड़ा. इस प्रतिबंध के चक्कर में स्थानीय पुलिस के द्वारा कार्रवाई से स्थानीय लोगों में अच्छी ख़ासी नाराज़गी थी जिसका उदाहरण कई नेताओं को लोगों द्वारा देखने को मिल रहा था. जनता दल यूनाइटेड के नेता मानते हैं कि नीतीश कुमार को अब इस शराबबंदी की नीति पर जल्द से जल्द पुनर्विचार करना होगा.

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