- किशनगंज विधानसभा सीट पर 80% मतदान हुआ, जहां BJP की स्वीटी सिंह और कांग्रेस के कमरूल होदा के बीच मुकाबला है
- बीजेपी ने तीन चुनाव हारने के बावजूद 46 वर्षीय स्वीटी सिंह को उम्मीदवार बनाया, जो राजपूत समुदाय से हैं
- किशनगंज में लगभग 70 प्रतिशत मुस्लिम जनसंख्या है, जो चुनाव परिणामों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
Kishanganj Assembly Election Result 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में वोटों की गिनती शुरू हो गई है. शुरुआती काउंटिंग में सीमांचल क्षेत्र की हॉट सीट में से एक किशनगंज में कांग्रेस ने बढ़त बना ली है. किशनगंज विधानसभा सीट पर करीब 80 फीसदी वोटिंग हुई है. यहां किशनगंज में बीजेपी की स्वीटी सिंह का मुकाबला कांग्रेस उम्मीदवार कमरूल होदा के साथ है. शुरुआती काउंटिंग में कमरूल होदा को बढ़त मिली है.
कांग्रेस ने अपने विधायक को झटका देकर AIMIM विधायक कमरूल होदा को उम्मीदवार बनाया है.
किशनगंज बिहार की मुस्लिम बहुल सीटों में से एक है. यहां नतीजा चौंकाने वाला रहा है. कांग्रेस और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम के मुकाबले में बीजेपी की स्वीटी सिंह की एंट्री से जंग दिलचस्प हो गई है. किशनगंज में कमल खिलेगा या हाथ का पंजा बाजी मारेगा.
स्वीटी सिंह की तीन चुनावी हार के बावजूद बीजेपी ने 46 साल की स्वीटी सिंह पर दांव लगाया है.बीजेपी को यहां उम्मीद है कि वोटों के ध्रुवीकरण और मुस्लिम वोटों के बिखराव का फायदा उसे मिल सकता है. राजपूत समुदाय की स्वीटी सिंह विधानसभा चुनाव 2010 से यहां लगातार मुकाबला लड़ रही हैं, तब वो सिर्फ 264 वोटों से मात खा गई थीं. किशनगंज चुनाव परिणाम 2025 में उन्हें भी बड़ी उम्मीद है. वर्ष 2020 में भी स्वीटी सिंह 1381 मतों से परास्त हो गई थीं. वर्ष 2015 में यह फासला 8609 वोटों का रहा, जब महागठबंधन में जेडीयू और आरजेडी साथ-साथ थी.
स्वीटी सिंह की राजनीतिक विरासत पुरानी हैं. लगभग 36 करोड़ की संपत्ति का खुलासा उन्होंने चुनावी हलफनामे में किया है. उन पर कोई आपराधिक केस नहीं है.बिहार चुनाव रिजल्ट में किशनगंज से बीजेपी बड़ा एक्स फैक्टर साबित हो सकती है. कमरूल होदा के पाला बदलकर कांग्रेस से चुनाव लड़ने के बाद ओवैसी ने इस बार यहां से शम्स अघाज को मैदान में उतारा है.
AIMIM ने पिछली बार मुस्लिम वोटों को बांटा तो बीजेपी को फायदा मिलेगा.
किशनगंज में 70 फीसदी मुस्लिम
किशनगंज में 70 प्रतिशत मुस्लिम जनसंख्या है. कांग्रेस का ये इलाका गढ़ रहा है. आरजेडी और लेफ्ट दलों का साथ मिलने से कांग्रेस की स्थिति मजबूत बनी. किशनगंज का इतिहास गवाह है कि यहां मुस्लिम नेता ही राजनीति में हावी रहे हैं.
किशनगंज कहां है
बंगाल सीमा से सटे किशनगंज इलाके में ध्रुवीकरण हमेशा बड़ा मुद्दा रहा है. ऐसे में बेरोजगारी, विकास और पलायन जैसे मुद्दे बेमानी हो जाते हैं. किशनगंज दार्जिलिंग और सिलीगुड़ी से सटा है. यहां चाय का बागान कभी फलफूल नहीं पाया.
किशनगंज विधानसभा सीट का इतिहास
किशनगंज विधानसभा चुनाव 19 बार हुआ है. कांग्रेस ने 10, राजद ने तीन तो लोकदल, एआईएमआईएम और जनता दल 1-1 बार जीता है. 1967 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी की सुशीला कपूर यहां हिंदू उम्मीदवार के तौर पर जीती थीं. कांग्रेस के इजहारुल हुसैन ने 61 हजार वोटों से किशनगंज सीट जीती थी. स्वीटी सिंह को 59697 और तब एआईएमआईएम से लड़े कमरुल होदा 41904 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे. लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस प्रत्याशी मोहम्मद जावेद 19 हजार वोटों से आगे रहे.
किशनगंज की जनसंख्या
कुल वोटर: 283097
महिला वोटर: 132625
पुरुष वोटर: 150461
पोलिंग बूथ: 347













