बिहार चुनाव: पीएम मोदी, कांग्रेस से लेकर तेजस्वी तक सबकी जुबां पर क्यों कर्पूरी ठाकुर

अति पिछड़ा वर्ग को साधकर नीतीश कुमार बिहार की राजनीति के केंद्र में पिछले 20 साल से बने हुए हैं. CSDS का सर्वे बताता है कि 2005 अति पिछड़ी जातियों का 57 % और 2010 के चुनाव में 63 फीसदी वोट NDA गठबंधन को मिला था.

विज्ञापन
Read Time: 7 mins
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • कांग्रेस और राजद पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए पीएम मोदी ने जननायक की उपाधि की चोरी का भी विरोध किया.
  • कर्पूरी ठाकुर ने 1978 में पिछड़ों को आरक्षण देने की नीति लागू की, जिससे सामाजिक न्याय की नींव पड़ी.
  • बिहार में अति पिछड़ी जातियों को नीतीश कुमार के नेतृत्व में पंचायती राज और शैक्षिक क्षेत्र में आरक्षण मिला है.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।

कर्पूरी ठाकुर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं. वो अब इस दुनिया में नहीं हैं, मगर पीएम मोदी से लेकर कांग्रेस और यहां तक की तेजस्वी यादव की जुबां पर कर्पूरी ठाकुर ही हैं. आखिर क्यों? कर्पूरी ठाकुर ने ऐसा क्या किया था कि हर दल और हर नेता कर्पूरी ठाकुर का गुणगान कर रहा है और यहां तक की जनता से उन्हें मिले 'जननायक' की उपाधि पर भी संग्राम छिड़ा हुआ है. 

राजद-कांग्रेस पर पीएम मोदी का वार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को बिहार की एकदिवसीय यात्रा पर आए तो सबसे पहले समस्तीपुर के कर्पूरी ग्राम पहुंचे. वहां उन्होंने जननायक कर्पूरी ठाकुर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की. इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और कर्पूरी के पुत्र रामनाथ ठाकुर भी मौजूद रहे. इसके बाद बिहार विधानसभा की अपनी पहली चुनावी रैली समस्तीपुर में पीएम मोदी ने कहा, "राजद और कांग्रेस वाले क्या कह रहे हैं और क्या कह रहे हैं ये आपको मुझसे ज्यादा पता है. आपको याद दिलाने की जरूरत नहीं है. ये लोग हजारों करोड़ रुपये के घोटालों में जमानत पर चल रहे हैं. कोई चोरी के मामले में जमानत पर है, अब चोरी की आदत इनकी ऐसी है कि ये 'जननायक' की उपाधि की चोरी में जुटे हैं. बिहार के लोग जननायक कर्पूरी ठाकुर का ये अपमान कभी नहीं सहेंगे. आज का दिवस मेरे जीवन का अत्यंत महत्वपूर्ण दिवस है. यहां आने से पहले मैं कर्पूरी ग्राम गया था, वहां मुझे भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को श्रद्धापूर्वक उन्हें नमन करने का अवसर मिला. ये उनका ही आशीर्वाद है कि आज हम जैसे पिछड़े और गरीब परिवारों से निकले लोग इस मंच पर खड़े हैं."

कांग्रेस पर क्यों लगे चोरी के आरोप

दरअसल, बिहार मतदाता सूची को रिवाइज करने की प्रक्रिया 'सर' के दौरान राहुल गांधी ने बिहार का दौरा किया था. इस दौरान कांग्रेस ने उन्हें 'जननायक' कहना शुरू कर दिया. इस पर बीजेपी, जेडीयू सहित खुद पीएम मोदी ने भी सवाल उठाए थे. जदयू से राज्यसभा सांसद और कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर ने भी कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को 'जननायक' बताने पर कहा था कि बिहार का जननायक कौन है? 1300 किलोमीटर की दूरी तय कर दो युवराज बिहार में एसआईआर के नाम पर घूम रहे थे. पटना में 'जननायक की आवाज चुराने' की आवाज आई. ठाकुर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हवाले से कहा कि पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि जननायक का खिताब बिहार की जनता ने और हिंदुस्तान की जनता ने कर्पूरी ठाकुर को दिया था. यह स्वयं लिया नहीं जाता. जन-जन की आवाज चुराई नहीं जा सकती.बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी (बीपीसीसी) के अध्यक्ष राजेश कुमार ने तब कहा था कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ‘जननायक' हैं या नहीं, यह तय करने का अधिकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को नहीं है, बल्कि जनता ने ही उन्हें यह उपाधि दी है. उन्होंने यह टिप्पणी प्रधानमंत्री मोदी के उस बयान पर की है, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘‘सोशल मीडिया ट्रोल किसी को जननायक नहीं बना सकते'' और बिहार की जनता को सावधान किया था कि ‘‘जननायक'' की उपाधि ‘‘चुराने'' की कोशिश हो रही है.

तेजस्वी यादव ने किया था दावा

पटना में 27 सितंबर को तेजस्वी यादव ने आरजेडी की तरफ से आयोजित ‘‘कर्पूरी अति पिछड़ा संवाद'' रैली को संबोधित करते हुए कहा था, ‘‘आखिरी समय में ठाकुर मेरे पिता की गोद में सिर रखे लेटे थे. उनकी सरकार को जनसंघ (भाजपा का पूर्ववर्ती रूप) ने गिरा दिया था. सामाजिक जागरूकता के दबाव में भाजपा को कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देना पड़ा, जिसकी मांग हम वर्षों से कर रहे थे. लेकिन सच्चाई यह है कि पिछड़ों को आरक्षण देने के लिए उन्हें भाजपा ने अपमानित किया था. भाजपा और उसके सहयोगी अति पिछड़ों को वोट बैंक मानते हैं, जबकि हम आपको पावर बैंक मानते हैं. जिसे आपका आशीर्वाद मिलता है, वही जीतता है.''

कांग्रेस ने आज किए तीखे सवाल

Photo Credit: NDTV

आज फिर पीएम मोदी ने कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी को जननायक बताने पर वार किया. कांग्रेस को भी इसका अंदाजा पहले से था. यही कारण है कि पीएम मोदी के समस्तीपुर पहुंचने से पहले ही कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, 'प्रधानमंत्री आज कर्पूरी ठाकुर जी के गांव जा रहे हैं. उनके लिए तीन सीधे सवाल हैं. कर्पूरी ठाकुर जी ने 1978 में पिछड़ों को 26 प्रतिशत आरक्षण देकर सामाजिक न्याय की ऐतिहासिक नींव रखी थी. क्या यह सही नहीं है कि आपकी पार्टी के वैचारिक पूर्वज जनसंघ और आरएसएस ने उनकी आरक्षण नीति का खुलकर विरोध किया था? क्या उस समय जनसंघ-आरएसएस ने सड़कों पर कर्पूरी ठाकुर जी के खिलाफ अपमानजनक और घृणा से भरे नारे नहीं लगाए थे? क्या उस दौर में जनसंघ-आरएसएस खेमे के प्रमुख नेताओं ने कर्पूरी ठाकुर सरकार को अस्थिर करने और गिराने में अहम भूमिका नहीं निभाई थी?'

कौन थे कर्पूरी ठाकुर

कर्पूरी ठाकुर एक स्वतंत्रता सेनानी, दूरदर्शी राजनेता तथा किसानों, महिलाओं और समाज के वंचित वर्गों के हितैषी थे. जनहित के कार्यों के कारण जनमानस उन्हें 'जननायक' कहकर पुकारती है. उनका जीवन लोकतंत्र को सुदृढ़ बनाने और भारत के संविधान में निहित स्वतंत्रता, समानता और भ्रातृत्व के सिद्धांतों को व्यवहार में उतारने के अथक प्रयास की मिसाल है. कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी 1924 को बिहार के दरभंगा (समस्तीपुर) जिले के पीतौंझिया (अब कर्पूरी ग्राम) में सामाजिक, शैक्षिक और राजनीतिक रूप से पिछड़े परिवार में हुआ था. वो अति पिछड़ी जाति से आते थे.

Advertisement

कौन हैं अति पिछड़ी जातियां 

  • मुंगेरीलाल कमीशन ने पिछड़ों में दो वर्ग की पहचान की थी.
  • 35 जातियों को पिछड़ा और 93 जातियों को अति पिछड़ा माना गया था.
  • इस कमीशन की रिपोर्ट को तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर ने लागू किया था.
  • इसके आधार पर अति पिछड़ों को 12 फीसदी और पिछड़ों को 8 फीसदी आरक्षण दिया गया था.
  • इससे पिछड़ी जातियों के उस हिस्से को फायदा मिला जो भूमिहीन थी या मजदूर वर्ग से थी.
  • बिहार में फिलहाल 36 % की आबादी के साथ अति पिछड़ा वर्ग सबसे बड़ा समूह है.
  • यह पारंपरिक रूप से नीतीश कुमार का वोटर माना जाता है.

नीतीश कुमार ने कैसे साधा 

इस वर्ग को साधने के लिए नीतीश कुमार ने कई प्रयास किए. 2005 में सरकार बनने के बाद अति पिछड़ी जातियों को पंचायती राज में 20% आरक्षण दिया. नगरीय निकाय चुनाव में भी इसे लागू किया. बिहार ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य बना. इससे राजनीतिक भागीदारी बढ़ी. प्री - मैट्रिक, पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप की शुरुआत की. अन्य पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों के लिए जिलों में हॉस्टल भी खुलवाए. अति पिछड़ा वर्ग से आने वाले नेताओं को विधान परिषद और राज्यसभा में जगह दी. 2005 में नीतीश कुमार ने जदयू कोटे से रामनाथ ठाकुर, दामोदर रावत, हरि प्रसाद साह और विश्वमोहन कुमार को मंत्री बनाया.  

क्या नीतीश के पीछे हुए गोलबंद

अति पिछड़ा वर्ग को साधकर नीतीश कुमार बिहार की राजनीति के केंद्र में पिछले 20 साल से बने हुए हैं. CSDS का सर्वे बताता है कि 2005 अति पिछड़ी जातियों का 57 % और 2010 के चुनाव में 63 फीसदी वोट NDA गठबंधन को मिला था. 2010 में NDA ने 243 में से 206 सीटें जीती थी. पिछले विधानसभा चुनाव में यादव, कोइरी, कुर्मी के अलावा पिछड़ी जातियों और अन्य पिछड़ी जातियों के समूह ने एनडीए को 58 फीसदी और महागठबंधन को 18 फीसदी वोट दिए थे. इन जातियों के समूह को पचफोरना भी कहा जाता है. पंचफोरना वह मसाले हैं, जो किसी भी व्यंजन को स्वादिष्ट बनाते हैं. 

Advertisement
Featured Video Of The Day
PM Modi On Bihar Elections Results: PM मोदी की ये 10 बातें विपक्ष को सोने नहीं देगी! | BREAKING NEWS