जेडीयू की पहली लिस्ट में जातीय संतुलन की झलक, जानें किस वर्ग को मिली कितनी तवज्जो

बिहार चुनाव के लिए जारी जेडीयू की पहली लिस्ट में यह संतुलन लंबे समय से चली आ रही सामाजिक गठजोड़ राजनीति का ही विस्तार है, जिसका उद्देश्य है कि बिहार की बहुस्तरीय जातीय संरचना में सभी प्रमुख समूहों को प्रतिनिधित्व दिया जाए.

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सीएम नीतीश कुमार
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  • JDU ने अपनी पहली उम्मीदवार सूची में अनुसूचित जातियों के लिए लगभग एक पांचवां हिस्सा आरक्षित रखा है
  • मुसहर, सादा और हजारी जैसे उपेक्षित दलित समुदायों को विशेष रूप से उम्मीदवारों में शामिल किया गया है
  • अत्यंत पिछड़ा वर्ग के प्रभावशाली नेताओं को मौका देकर पार्टी ने EBC वर्ग का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया है
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पटना:

जनता दल (यूनाइटेड) की जारी की गई 57 उम्मीदवारों की पहली सूची से यह स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि पार्टी ने सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए जातीय प्रतिनिधित्व का एक संतुलित खाका तैयार किया है. इस सूची में लगभग 21% यानी 12 सीटें अनुसूचित जातियों (SC) के लिए आरक्षित हैं, जिनमें से कई पर मुसहर समुदाय से संबंधित उप-जातियां जैसे ऋषिदेव और सादा के प्रत्याशी मैदान में हैं.

मुसहर समुदाय पर विशेष ध्यान

इस सूची में रमेश ऋषिदेव, रमेश सादा, महेश्वर हजारी, अतिश कुमार, कौशल किशोर, अरुण महतो और संतोष कुमार निराल जैसे नाम शामिल हैं, जो दर्शाते हैं कि जेडीयू ने लोजपा (रामविलास) और राजद के एससी वोटबैंक को संतुलित करने हेतु उपेक्षित दलित वर्गों विशेषकर मुसहर, सादा और हजारी समुदायों पर विशेष ज़ोर दिया है.

EBC वर्ग को भी मिला प्रतिनिधित्व

इसी तरह, अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) को ध्यान में रखते हुए विद्यासागर सिंह निषाद और मदन साहनी जैसे प्रतिनिधियों को मौका दिया गया है, जो मल्लाह/निषाद समाज के प्रभावशाली चेहरे माने जाते हैं. इन नामों से पार्टी यह संदेश देती है कि पिछड़े वर्गों को भी पर्याप्त राजनीतिक भागीदारी दी जा रही है.

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OBC में लव-कुश समीकरण बरकरार

ओबीसी समुदाय में उमेश सिंह कुशवाहा (कोइरी/कुशवाहा) और श्रवण कुमार (कुर्मी) जैसे दिग्गज शामिल हैं, जो जेडीयू के “लव-कुश समीकरण” (कुर्मी–कोइरी गठजोड़) की परंपरा को बनाए रखते हैं. इसके साथ ही श्याम रजक और हरिनारायण सिंह जैसे अन्य पिछड़े वर्गों के नेता भी सूची में हैं, जिनसे इस समूह का संतुलन और मजबूत होता है. 

सवर्णों को भी मिला प्रतिनिधित्व

सवर्ण समुदायों की बात करें तो अनंत सिंह (मोकामा) और विजय कुमार चौधरी (सरायरंजन) जैसे प्रमुख भूमिहार चेहरे, तथा विनय कुमार चौधरी और कोमल सिंह जैसे नेता इस वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं. यह संयोजन एनडीए के भीतर ऊंची जातियों के वोट ट्रांसफर को सुनिश्चित करने की दिशा में पार्टी के संतुलित प्रयास को दर्शाता है.

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महिलाओं को भी मिला स्थान

महिलाओं को भी प्रतिनिधित्व देने के प्रयास में अश्मिता अश्मोहित देवी को शामिल किया गया है, जो जेडीयू की समावेशी राजनीति की एक और झलक पेश करती हैं.

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तीन स्तरों पर जातीय इंजीनियरिंग की रणनीति

इस सूची में तीन प्रमुख स्तरों पर जातीय इंजीनियरिंग की झलक मिलती है:-

  • SC पर फोकस करते हुए मुसहर जैसे उपेक्षित दलित वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित करना
  • EBC-OBC के मध्य संतुलन बनाकर यादव-प्रधान OBC ध्रुवीकरण का जवाब देना
  • Upper Castes का प्रतिनिधित्व सुरक्षित रखकर NDA के भीतर सभी सामाजिक वर्गों को साधने की रणनीति अपनाना


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