बिहार विधानसभा चुनाव: जहानाबाद में राजद का दबदबा, क्या एनडीए तोड़ पाएगा गढ़?

बताया जाता है कि 17वीं शताब्दी में इस क्षेत्र में भीषण अकाल पड़ा था, तब औरंगजेब ने अपनी बहन जहांआरा के नाम पर यहां एक राहत बाजार बनवाया था. बाद में इसका नाम 'जहांआराबाद' से बदलकर जहानाबाद पड़ा.

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  • जहानाबाद विधानसभा सीट का इतिहास 1951 से है और यह क्षेत्र पहले कांग्रेस का मजबूत गढ़ माना जाता था
  • 2000 के दशक में राष्ट्रीय जनता दल ने जहानाबाद सीट पर अपनी पकड़ मजबूत कर छह बार चुनाव जीते
  • 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में जहानाबाद सीट पर महागठबंधन और एनडीए के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना है
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जहानाबाद:

बिहार विधानसभा चुनाव की सर्गर्मियों के बीच जहानाबाद की चर्चा जोरो शोरों से है. बिहार की यह सीट ऐतिहासिक विरासत से भरी है. इस शहर का उल्लेख 16वीं शताब्दी की मुगलकालीन ऐतिहासिक पुस्तक 'आईन-ए-अकबरी' में मिलता है, जिसे अकबर के दरबारी इतिहासकार अबुल फजल ने लिखा था और बाद में औरंगजेब के दौर में संशोधित किया गया था.

बताया जाता है कि 17वीं शताब्दी में इस क्षेत्र में भीषण अकाल पड़ा था, तब औरंगजेब ने अपनी बहन जहांआरा के नाम पर यहां एक राहत बाजार बनवाया था. बाद में इसका नाम 'जहांआराबाद' से बदलकर जहानाबाद पड़ा.

जहानाबाद सीट का इतिहास

जहानाबाद विधानसभा सीट 1951 में अस्तित्व में आई और तब से अब तक 17 विधानसभा चुनाव देख चुकी है. पहले यह सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी. हालांकि, बाद में स्थिति बदल गई. 1952 में सोशलिस्ट पार्टी और 1969 में शोषित दल की जीत ने कांग्रेस के वर्चस्व को खत्म कर दिया. इस सीट पर कांग्रेस की आखिरी जीत 1985 में हुई और फिर पार्टी यहां से लगभग समाप्त हो गई.

2000 के दशक में राजद ने इस सीट पर बनाई मजबूत पकड़

2000 के दशक में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने यहां अपनी मजबूत पकड़ बनाई. तब से अब तक राजद छह बार यह सीट जीत चुकी है. 2010 में कांग्रेस ने उम्मीदवार नहीं उतारा होता, तो यह जीत सातवीं बार भी राजद के खाते में जाती. इस चुनाव में वोटों के बंटवारे का फायदा उठाकर जदयू के अभिराम शर्मा विजयी रहे. वर्तमान में यह सीट राजद के सुदय यादव के पास है.

इस चुनाव में दिलचस्प होगा मुकाबला

2025 के विधानसभा चुनावों में जहानाबाद का मुकाबला दिलचस्प होने वाला है. महागठबंधन की ओर से माना जा रहा है कि वर्तमान विधायक सुदय यादव एक बार फिर मैदान में होंगे. वहीं, एनडीए खेमे में भाजपा के तीन बड़े नाम चर्चा में हैं. एमएलसी अमिल शर्मा, पूर्व विधायक मनोज शर्मा और पूर्व एमएलसी राधामोहन शर्मा. हालांकि, जहानाबाद का इतिहास है कि यहां भाजपा कभी बड़ी ताकत नहीं रही है. पार्टी हमेशा संघर्ष करती रही है. स्थिति को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि 2025 में एनडीए के लिए यह सीट जीतना एक कठिन चुनौती होगी, खासकर तब जब राजद का जनाधार अब भी मजबूत है. जहानाबाद में यादव और मुसलमान मतदाताओं का प्रभाव पारंपरिक रूप से बना हुआ है.

मतदाताओं की जानकारी

चुनाव आयोग के 2024 के आंकड़ों के अनुसार, यहां की कुल जनसंख्या 5,19,464 है. इसमें पुरुषों की संख्या 2,69,405 और महिलाओं की संख्या 2,50,059 है. वहीं, मतदाताओं की बात करें, तो यहां कुल 3,04,861 मतदाता हैं. इसमें 1,59,770 पुरुष, 1,45,088 महिलाएं, और 3 थर्ड जेंडर हैं.

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