बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में सीट बंटवारे को लेकर खींचतान मची है. एक तरफ चिराग पासवान तीखे बयान दे रहे हैं, वहीं केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के प्रमुख जीतन राम मांझी भी पीछे नहीं हैं. अब मांझी ने कह दिया है कि वह अपमानित महसूस कर रहे हैं. वह 15 से कम सीटों पर नहीं लड़ेंगे. उन्होंने कहा कि पार्टी को मान्यता मिले, इसलिए इतनी सीटें मांग रहे हैं.
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री मांझी ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक कविता पोस्ट की. इसमें लिखा, “हो न्याय अगर तो आधा दो, यदि उसमें भी कोई बाधा हो, तो दे दो केवल 15 ग्राम, रखो अपनी धरती तमाम, HAM वही ख़ुशी से खाएंगे, परिजन पे असी ना उठाएंगे.” कवि रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध युद्ध कविता "रश्मिरथी" के एक अंश से प्रेरित इस कविता के जरिए मांझी ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए.
मांझी अपनी पार्टी HAM के लिए कम से कम 15 सीटों की मांग कर रहे हैं. उनका तर्क है कि 10 साल के अस्तित्व के बाद भी उनकी पार्टी को चुनाव आयोग से मान्यता प्राप्त पार्टी का दर्जा नहीं मिल पाया है, जिसके लिए उन्हें कम से कम आठ सीटें जीतने की जरूरत है.
मांझी ने एक तरह से बीजेपी को संबोधित इस कविता में संकेत दिया कि उनकी चार विधायकों वाली पार्टी बिहार के 243 विधानसभा क्षेत्रों में से आधी सीटों पर चुनाव लड़ना चाहेगी, लेकिन एनडीए सहयोगियों के खिलाफ संघर्ष से बचने के लिए वह 15 सीटों पर 'समझौता' करने को तैयार हैं.
मांझी ने लिखा कि हो न्याय अगर तो आधा दो (यदि न्याय करना है तो आधा हिस्सा दें). इसका सीधा इशारा सीट बंटवारे पर बीजेपी की ओर था. यह पोस्ट बीजेपी के वरिष्ठ नेता धर्मेंद्र प्रधान और विनोद तावड़े के उनके आवास पर सीट बंटवारे पर चर्चा के तीन दिन बाद आई है.
मांझी ने आगे कहा, "पर उसमें भी यदि बाधा हो, तो दे दो केवल 15 ग्राम, रखो अपनी धरती तमाम (यदि उचित हिस्सा देने में भी बाधा है तो हमें केवल 15 गांव (सीटे) दे दें, और बाकी सारी धरती (सीटें) अपने पास रखें)." मांझी ने 'हम' (HAM का संक्षिप्त नाम) के रूप में एक और साहित्यिक लहजा जोड़ा कि "हम खुशी से खाएंगे, परिजन पे असि न उठाएंगे (हम इतने से ही संतुष्ट रहेंगे और अपने परिजनों के खिलाफ तलवार नहीं उठाएंगे)."
मांझी से पहले, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने बुधवार को पिता रामविलास पासवान की पुण्यतिथि पर सोशल मीडिया पर लिखा था, “पापा हमेशा कहा करते थे- जुल्म करो मत, जुर्म सहो मत। जीना है तो मरना सीखो, कदम-कदम पर लड़ना सीखो."
उनके इस बयान से माना जा रहा है कि चिराग पासवान यह संकेत देना चाह रहे हैं कि सीट बंटवारे की प्रक्रिया में उनकी पार्टी को नजरंदाज किया जा रहा है और उन्हें असमंजस में छोड़ा जा रहा है. अगर 'सम्मानजनक' हिस्सेदारी की मांग पूरी न हुई तो वह सख्ती दिखा सकते हैं.