- महागठबंधन को रजौली और हिसुआ विधानसभा क्षेत्रों में दो बड़े राजनीतिक झटके लगे हैं
- रजौली के पूर्व विधायक वनवारी राम को राजद से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने राजद छोड़कर एनडीए का समर्थन किया है
- हिसुआ की पूर्व कांग्रेस जिलाध्यक्ष आभा सिंह ने भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है
बिहार चुनाव से पहले महागठबंधन को कई बड़े झटके लग चुके हैं. अब नवादा जिले में महागठबंधन को एक साथ दो और सियासी झटके लगे हैं. इस असर भी चुनाव में महागठबंधन को देखने को मिल सकता है. महागठबंधन को पहला झटका रजौली में लगा हैं, जहां के पूर्व विधायक वनवारी राम ने राजद का साथ छोड़ दिया और वह एनडीए के पाले में चले गए हैं. दूसरा झटका हिसुआ विधानसभा क्षेत्र में लगा है, जहां कांग्रेस की पूर्व जिलाध्यक्ष आभा सिंह ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है. दरअसल, रजौली के पूर्व विधायक वनवारी राम राजद से टिकट के दावेदार थे, जबकि पूर्व जिलाध्यक्ष आभा सिंह हिसुआ से कांग्रेस से टिकट की दावेदार थीं. वनवारी और आभा को टिकट नहीं मिला, तो दोनों ने पाला बदल लिया है.
'जिसने मुझे रुलाया, अब मैं उसे रुलाउंगा'
रजौली के पूर्व विधायक वनवारी राम एलजेपी (आर) उम्मीदवार विमल राजवंशी के साथ चले गए हैं और उनके लिए जनसंपर्क शुरू कर दिया है. पूर्व विधायक वनवारी राम को एनडीए के समर्थन में आने पर नवादा के सांसद विवेक ठाकुर, बीजेपी जिलाध्यक्ष अनिल मेहता समेत अनेक लोगों ने स्वागत किया है. वनवारी राम ने कहा कि राजद ने उन्हें टिकट का भरोसा दिया था. लेकिन उन्हें वंचित कर उन्हें रुलाया है. अब मेरी बारी है, चुनाव में राजद को रुलाऊंगा.
वनवारी राम का रजौली विधानसभा क्षेत्र में उनकी गहरी पकड़ रही है. वह रजौली विधानसभा क्षेत्र का चार बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. पहली बार 1972 में कांग्रेस से निर्वाचित हुए थे. फिर 1980 में जनता पार्टी और 1985 में निर्दलीय निर्वाचित हुए थे, जबकि 2005 में बीजेपी से निर्वाचित हुए थे. इसके अलावा वनवारी राम कई दफा चुनाव लड़े, लेकिन वह रनरअप रहे.
रजौली में दो प्रमुख जातियां चौधरी और राजवंशी आमने-सामने रही हैं. वनवारी राम के राजद खेमे में रहने से राजवंशी वोट में विभाजन की आशंका थी. लेकिन वनवारी राम के एलजेपीआर के पक्ष में आने से एनडीए अपनी बढ़त के रूप में देख रही है. दूसरी तरफ, राजद के बागी विधायक प्रकाशवीर जनशक्ति जनता दल से मैदान में उतर गए हैं. प्रकाशवीर, चौधरी जाति से आते हैं. रजौली में चौधरी जाति परंपरागत रूप से राजद के लिए वोट करती रही है. ऐसे में चौधरी जाति के वोट बैंक में सेंधमारी का खतरा उत्पन्न हो गया है. हालांकि, राजद उम्मीदवार पिंकी भारती भी चौधरी जाति से हैं. राजद, चौधरी जाति के वोटरों को गोलबंद करने में जुटी है.
आभा ने कहा- कांग्रेस निष्ठावान कार्यकर्ता को नहीं देती तवज्जो
बिहार के पूर्व दिवंगत मंत्री आदित्य सिंह की पूत्रवधू आभा सिंह बीजेपी का दामन थाम ली है. आभा सिंह बीजेपी उम्मीदवार अनिल सिंह के समर्थन में जनसंपर्क अभियान शुरू कर दी है. दूसरी तरफ, आभा सिंह की जेठानी नीतू कुमारी हैं, जो कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं. आभा सिंह को बीजेपी में आने के लिए अनिल सिंह ने स्वागत किया. आभा सिंह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी निष्ठावान कार्यकर्ता को तवज्जों नही देती. कांग्रेस ने ऐसे आदमी को टिकट दिया, जो खुलेआम कहती थी कि बीजेपी टिकट देगी, तो बीजेपी में चली जाऊंगी. आभा ने कहा कि वह निष्ठावान कार्यकर्ता रही हैं. छह सालों तक कांग्रेस की जिलाध्यक्ष रहीं. महिला कांग्रेस की अध्यक्ष रही, लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया.
हिसुआ में दिलचस्प हुई जंग, कांग्रेस की बढ़ी टेंशन
हिसुआ विधानसभा सीट पर 1980 से दो परिवारों का कब्जा रहा है. एक तरफ पूर्व मंत्री आदित्य सिंह और उनकी पुत्रवधू और दूसरी तरफ अनिल सिंह. फरवरी 2005 में आदित्य सिंह ने बीजेपी के अनिल सिंह को हराया था, लेकिन अक्टूबर 2005 से अनिल सिंह तीन बार निर्वाचित होते रहे हैं. 2020 के चुनाव में कांग्रेस से नीतू कुमारी निर्वाचित हुईं. हालांकि, नीतू 2010 से लगातार अनिल सिंह के मुकाबला में रही है. 2025 में बीजेपी से अनिल सिंह हैं, जबकि कांग्रेस से नीतू कुमारी. आमने-सामने की लड़ाई में आभा की बीजेपी में इंट्री ने कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है. क्योंकि आभा सिर्फ पूर्व कांग्रेसी ही लीडर नहीं, बल्कि पूर्व मंत्री आदित्य सिंह की पुत्रवधू और कांग्रेस प्रत्याशी नीतू कुमारी की देवरानी भी हैं.














