जज्बे को सलाम! डिलीवरी बॉय बनकर खाना पहुंचा रहे हैं बिहार के एक सरकारी टीचर

शिक्षक धर्म को निभाते हुए अमित दिन का वक्त जिले के स्कूल में बच्चों के बीच गुजारते हैं और शाम के 5 बजे से देर रात तक लोगों के घर-घर जाकर उनकी पसंद का खाना पहुंचाने का काम करते हैं.

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पटना:

बिहार में सरकारी स्कूल टीचर वेतन कम होने के कारण स्कूल के बाद आधी रात तक डिलीवरी बॉय का काम कर रहे हैं. किस्मत पर सरकारी नौकरी का ठप्पा जरूर लग गया, लेकिन सरकार से मिल रहे वेतन से इनका गुजारा नहीं हो पा रहा है. जब सरकारी नौकरी लगी थी तो परिवार में सभी खुश थे. लेकिन वेतन कम मिलने से पारिवारिक गुजारा नहीं हो पा रहा है. यह कहानी है बिहार के भागलपुर जिले के एक सरकारी शारीरिक शिक्षक अमित की, जिन्हें केवल 8 हज़ार रुपये वेतन के तौर पर प्रतिमाह सरकार द्वारा दिया जाता है. इतने पैसे में शादीशुदा सरकारी शिक्षक अमित अपना परिवार चलाने में खुद को बेबस महसूस कर रहे हैं.

फूड डिलीवरी बॉय का काम करने पर मजबूर

दरअसल अमित ने "लोग क्या कहेंगे" इस बात को दरकिनार करते हुए निजी कंपनी के साथ जुड़कर फूड डिलीवरी बॉय का काम करना शुरू कर दिया. पिछले 4 महीने से वह यह काम कर रहे हैं. अपने शिक्षक धर्म को निभाते हुए अमित दिन का वक्त जिले के मध्य विद्यालय बाबूपुर में बच्चों के बीच गुजारते हैं और शाम के 5 बजे से देर रात तक लोगों के घर-घर जाकर उनकी पसंद का खाना पहुंचाने का काम करते हैं. सुनकर बेहद ताज्जुब लग रहा होगा की क्या कोई सरकारी शिक्षक होते हुए इतना मजबूर हो सकता है? इसका जवाब है हां.. और इसकी बानगी शारारिक शिक्षक अमित अपनी दिनचर्या से पेश कर रहे हैं.

कम सैलरी की वजह से बनना पड़ा डिलीवरी ब्वॉय

शिक्षक अमित से बात करने पर उन्होंने बताया कि लंबे इंतजार के बाद 2022 में हमारी सरकारी नौकरी लगी, परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई, 2019 में हमनें एग्जाम दिया था. फरवरी 2020 में रिजल्ट आया और हम पास कर गए. 100 में 74 नंबर आया. मुझे काफी खुशी हुई परिवार ने भी सोचा चलो सरकारी नौकरी लग गई है. पहले प्राइवेट स्कूल में काम भी कर रहा था, कोरोना शुरू हो गया हमारी नौकरी रोक दी गई. ढाई साल के बाद हमें नौकरी मिली, लेकिन वेतन सिर्फ 8 हज़ार ही रखा गया, अंशकालिक का टैग लगा दिया गया. मतलब स्कूल में ज्यादा देर नहीं रहना है.

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बढ़ते कर्ज ने बढ़ाई शिक्षक की मुसीबत

शुरू में हम लोगों ने फुल टाइम काम किया बच्चों को प्रेरित किया ताकि वह खेल में भाग ले. जिसमें बच्चों ने रुचि दिखाई और मेडल भी जीता, लेकिन ढाई साल बीतने के बाद भी हम लोगों का सरकार वेतन नहीं बढ़ा रही है न ही पात्रता परीक्षा ले रही है. ऐसे में हम लोगों का जीवन मुश्किल में है. विद्यालय में पूर्व के शिक्षकों को 42 हज़ार वेतन मिल रहा है और हमें केवल 8 हज़ार. अमित ने बताया कि फरवरी के बाद 4 महीने तक वेतन नहीं मिला दोस्तों से कर्ज लिया कर्ज बढ़ता जा रहा था, फिर मैंने पत्नी के कहने पर इंटरनेट पर सर्च किया तो मालूम पड़ा की फूड डिलीवरी बॉय का काम किया जा सकता है.

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घर की जिम्मेदारियों का बोझ

इसमें समय की कोई सीमा नहीं है तो मैंने इसपर आईडी बनाई और काम शुरू कर दिया, स्कूल से लौटने के बाद 5 बजे शाम से लेकर रात के 1 बजे तक मैं जोमैटो में फूड डिलीवरी बॉय का काम करता हूं. 8 हज़ार वेतन के कारण मैं अपना परिवार भी नहीं बढ़ा पा रहा हूं. अब मैं सोचता हूं जब खुद को खाने के लिए पूरा नहीं हो पा रहा है तो अपनी आने वाली पीढ़ी को क्या खिलाऊंगा. नौकरी लगने के समय ही मेरी ढाई साल पहले शादी भी हुई थी. मैं घर का बड़ा बेटा हूं मुझे घर पर ही रहना है बूढी मां की देखभाल भी करनी है इसलिए यह काम करने को मजबूर हूं.
 

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