जगन्नाथ मिश्रा की फाइल फोटो
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- लालू यादव के बाद जगन्नाथ मिश्री भी दोषी करार
- 900 करोड़ रुपये का है चारा घोटाला
- 2002 में शुरू हुआ था मामले का ट्रायल
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नई दिल्ली:
चायबासा ट्रेजरी मामले में पांच साल की सजा पाने वाले जगन्नाथ मिश्रा ने राजनीति में प्रवेश से पहले अपने करियर की शुरुआत लेक्चरर के तौर पर की थी. बाद में उन्होंने बिहार यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के तौर पर अपनी सेवाएं दी. इस दौरान उन्होंने 40 के करीब रीसर्च पेपर लिखे. इनके बड़े भाई उस समय के बड़े नेताओं में से एक थे, इस वजह से भी मिश्रा का शुरू से ही राजनीति से लगाव रहा था.
यह भी पढ़ें: तीसरे मामले में लालू प्रसाद यादव-जगन्नाथ मिश्रा को 5-5 साल कैद, 5-5 लाख रुपये जुर्माना
यूनिवर्सिटी में पढ़ाने के दौरान ही वह कई राजनीतिक पार्टियों के संपर्क में आए और बाद में उन्होंने इंडियन नेशनल कांग्रेस ज्वाइन किया. पार्टी में प्रवेश के बाद उनकी गिनती इंडियन नेशनल कांग्रेस के सबसे सक्रिय नेताओं में होने लगी. अपनी राजनीतिक पकड़ की वजह से वह तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री बने. उन्होंने पहली बार यह जिम्मेदारी वर्ष 1975 में संभाली. दूसरी बार वह 1980 में राज्य के मुख्यमंत्री बने. आखिरी बार वह 1989 से 1990 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे. वह 90 के दशक के मध्य में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री भी रहे.
यह भी पढ़ें: 36 करोड़ का घोटाला केस : लालू यादव दोषी या निर्दोष, कोर्ट का फैसला आज
वर्ष 2013 में सीबीआई की कोर्ट ने उन्हें चारा घोटाले में दोषी करार दिए गए. जबकि 23 दिसंबर 2017 को उन्हें हर आरोप से बरी कर दिया गया. 900 करोड़ का चारा घोटाला पहली बार 20 साल पहले 1996 में सामने आया. इस मामले में सीबीआई ने 1997 में चार्जशीट फाइल की.
VIDEO: लालू यादव फिर करार दिए गए दोषी
सीबीआई ने इस मामले में लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्रा समेत 44 से ज्यादा लोगों को दोषी बताया. इस मामले में वर्ष 2002 में रांची के विशेष सीबीआई कोर्ट में ट्रायल शुरू हुई.
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यूनिवर्सिटी में पढ़ाने के दौरान ही वह कई राजनीतिक पार्टियों के संपर्क में आए और बाद में उन्होंने इंडियन नेशनल कांग्रेस ज्वाइन किया. पार्टी में प्रवेश के बाद उनकी गिनती इंडियन नेशनल कांग्रेस के सबसे सक्रिय नेताओं में होने लगी. अपनी राजनीतिक पकड़ की वजह से वह तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री बने. उन्होंने पहली बार यह जिम्मेदारी वर्ष 1975 में संभाली. दूसरी बार वह 1980 में राज्य के मुख्यमंत्री बने. आखिरी बार वह 1989 से 1990 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे. वह 90 के दशक के मध्य में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री भी रहे.
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वर्ष 2013 में सीबीआई की कोर्ट ने उन्हें चारा घोटाले में दोषी करार दिए गए. जबकि 23 दिसंबर 2017 को उन्हें हर आरोप से बरी कर दिया गया. 900 करोड़ का चारा घोटाला पहली बार 20 साल पहले 1996 में सामने आया. इस मामले में सीबीआई ने 1997 में चार्जशीट फाइल की.
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सीबीआई ने इस मामले में लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्रा समेत 44 से ज्यादा लोगों को दोषी बताया. इस मामले में वर्ष 2002 में रांची के विशेष सीबीआई कोर्ट में ट्रायल शुरू हुई.
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