- शिवहर जिले में आज़ादी के बाद भी रेल लाइन नहीं है, जिससे लोग 60 KM दूर जाकर ट्रेन पकड़ने को मजबूर
- बापूधाम मोतिहारी सीतामढ़ी भाया शिवहर रेल लाइन परियोजना के लिए 566 करोड़ रुपये आवंटित
- परियोजना का शिलान्यास 2007 में किया गया था, लेकिन विभिन्न सरकारों के कारण इसका विकास कई सालों तक रुका
देश में जब विकास का की बात होती है तो तब सबसे पहले चमचमाती बुलेट ट्रेनें, हाई-स्पीड मेट्रो और एक्सप्रेस-वे की तस्वीरें उभरती हैं. लेकिन बिहार का शिवहर जिला आज़ादी के 78 साल बाद भी रेल की पटरी से वंचित है. यहां के लोग अब भी 60 किलोमीटर की दूरी तय कर मुज़फ्फरपुर या मोतिहारी जाकर ट्रेन पकड़ने को मजबूर हैं. शिवहर के लोग साधारण रेल लाइन के लिए त्राहिमाम कर रहे हैं. यही विकास बनाम दिखावा” का असली आईना है. शिवहर के रेल लाईन से जुड़ने से क्षेत्र का चौतरफा विकास होगा. इस दिशा में सरकारी पहल जारी है और जल्दी ही शिवहर के लोगों का शिवहर से रेल लाईन से सफर करने का सपना साकार होगा.
शिवहर के रेल लाईन से जुड़ने से खुलेंगे विकास के रास्ते
शिवहर के रेल लाईन से जुड़ने से रोजगार विकास पर्यटन सुरक्षा सहित कई दिशाओं में द्वार खुलेंगे. क्षेत्र के विकास को एक नया आयाम मिलेगा. वर्तमान में भूमि अधिग्रहण का कार्य प्रगति पर है. गौरतलब है कि बापूधाम मोतिहारी सीतामढ़ी भाया शिवहर रेलवे लाईन परियोजना के संबंध में 28/3/2023 को रेलवे विभाग द्वारा एक पत्र जारी किया गया था, जिसमें इस महत्वपूर्ण परियोजना के लिए 566 करोड़ आवंटित किए जाने का जिक्र है. इस पत्र के सामने आने के बाद से ही पूरे जिले में हर्ष का माहौल है. पहले चरण में सीतामढ़ी से शिवहर तक रेल लाईन का निर्माण होगा. इससे पहले वर्ष 2007 में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने रघुनाथ झा के प्रयास से इस परियोजना का शिवहर समाहरणालय मैदान में शिलान्यास किया था.
रेलवे परियोजना के लिए एक दशक से आंदोलन
पूर्व सांसद आनंद मोहन ने तत्कालीन रेल मंत्री राम विलास पासवान पर दवाब बना कर इस परियोजना का सर्वे करवाया था. दरअसल इस रेलवे परियोजना के लिए लगभग एक दशक से जिले के लोग और युवा निरंतर आंदोलन व सत्याग्रह कर रहें थे. आरटीआई कार्यकर्ता मुकुन्द प्रकाश मिश्र ने इस मामले पर पटना हाईकोर्ट में 21 दिसंबर 2021 को जनहित याचिका दायर की थी. मुख्य जज के खंडपीठ ने रेल मंत्रालय और बिहार सरकार को तलब किया गया था. गौरतलब है कि पूर्व मंत्री रधुनाथ झा के प्रयास से तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहते 2007 के रेल बजट में इस परियोजना को शामिल किया गया था. कुछ दिन बाद इस शिलान्यास भी किया गया था. लेकिन बाद में विभिन्न सरकारों के द्वारा इस परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है.
परियोजना निर्माण अवधि अभी सुनिश्चित नहीं
हालांकि पूर्व सांसद रमा देवी,अनवारूल हक आनंद मोहन सिंह,तथा सीताराम सिंह द्वारा लोकसभा में इस परियोजना पर चर्चा किया जाता था. वर्तमान में रेलवे विभाग के द्वारा सीतामढ़ी और शिवहर के डीएम के इस महत्वपूर्ण परियोजना हेतु भूमि अधिग्रहण के लिए पत्र लिखा गया है. दरअसल 22/2/2017 को आरटीआई के तहत प्राप्त सूचना के अनुसार मोतिहारी सीतामढ़ी नई रेल लाइन परियोजना में फाइनल लोकेशन सर्वे पूरा कर लिया गया है. भूमि अधिग्रहण नहीं होने की वजह से परियोजना का विकास रुका हुआ है. अभी 926.09 करोड़ का विस्तृत प्राक्कलन इस परियोजना के लिए प्राप्त हुआ है,जो अभी विचाराधीन है. अभी तक इस परियोजना पर 24 करोड़ खर्च हुए हैं. वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए 100 करोड़ रुपए आवंटित किया गया है. परियोजना का निर्माण अवधि अभी सुनिश्चित नहीं है. वहीं 25-9-2017 को प्राप्त सूचना के अनुसार मोतिहारी सीतामढ़ी भाया शिवहर रेल लाइन परियोजना को 2006-07 के रेलवे बजट में शामिल किया गया था.
2017-2018 तक कुल 24 करोड़ 16 लाख 36 हजार का खर्च
इस परियोजना के 1006.75 करोड़ रुपए के डिटेल्ड एस्टिमेट के जांच के सिलसिले में सक्षम प्राधिकारी ने परियोजना के नकारात्मक प्रतिफल दर आर ओ आर एवं आसन्न क्षेत्र में उपलब्ध रेलवे मार्ग के मद्देनजर परियोजना के क्रियान्वयन को स्थगित कर दिया है. वहीं 27-2-18 को प्राप्त सूचना के अनुसार बापूधाम मोतिहारी सीतामढ़ी भाया शिवहर नई लाइन परियोजना में अभी तक वर्ष 2017-2018 तक कुल 24 करोड़ 16 लाख 36 हजार का खर्च है. 29-8-2018 को प्राप्त सूचना के अनुसार मोतिहारी सीतामढ़ी 78.92 किलोमीटर नई लाइन परियोजना पूरक बजट 2007-08 में 221 करोड़ की अनुमानित लागत पर शामिल की गई थी. 31-3-2018 तक इस परियोजना पर 24 करोड़ का व्यय किया गया है. मोतिहारी सीतामढ़ी 78.92 किलोमीटर नई लाइन परियोजना को आसपास के क्षेत्र में उपलब्ध रेलवे मार्गें और परियोजनाओं की वापसी की नकारात्मक दर के संदर्भ में बंद रखा गया है.
194.40 करोड़ की राशि की मांग की
अब सीतामढ़ी से शिवहर 28 किलोमीटर तक परियोजना के भाग निष्पादन का प्रस्ताव परीक्षाधीन है. 4/4/2019 को प्राप्त सूचना के अनुसार बापूधाम मोतिहारी सीतामढ़ी वाया शिवहर नई लाइन परियोजना अंतर्गत सीतामढ़ी से शिवहर तक नई लाइन निर्माण की स्वीकृति रेलवे बोर्ड से स्वीकृत है. बापूधाम मोतिहारी सीतामढ़ी वाया शिवहर नई लाइन परियोजना की कुल लंबाई 78.925 किलोमीटर होगी. बापूधाम मोतिहारी सीतामढ़ी वाया शिवहर नई लाइन परियोजना हेतु Alignment (संरेखण) का कार्य पूरा हो चुका है तथा सीतामढ़ी जिला अंतर्गत पड़ने वाले गांव का लैंड प्लान जिला भू अर्जन पदाधिकारी सीतामढ़ी को जमा किया जा चुका है. जिसके लिए जिला भू अर्जन पदाधिकारी सीतामढ़ी द्वारा 194.40 करोड़ की राशि की मांग की गई है. उक्त परियोजना में रेलवे द्वारा 19.75 करोड़ की राशि जिला भू अर्जन पदाधिकारी सीतामढ़ी को भुगतान किया गया है.
कौन-कौन से जंक्शन बनने प्रस्तावित
1-8-2019 को प्राप्त आरटीआई रिपोर्ट के अनुसार बापूधाम मोतिहारी सीतामढ़ी वाया शिवहर नई लाइन परियोजना अन्तर्गत सीतामढ़ी से शिवहर तक नई लाइन निर्माण की रेलवे बोर्ड से वर्ष 2006-07 में स्वीकृति प्रदान की गई थी. बापूधाम मोतिहारी सीतामढ़ी वाया शिवहर नयी लाइन परियोजना हेतु सीतामढ़ी जिला में पड़ने वाले भूमि अर्जन कार्य हेतु 194.40 करोड़ की जगह 19.75 करोड़ राशि वर्ष 2016-17 में जिला प्रशासन सीतामढ़ी को जमा किया जा चूका है. वर्तमान में इसे सीतामढ़ी एवं बापूधाम मोतिहारी स्टेशन से जोड़ने का प्रावधान है. रिपोर्ट के अनुसार सीतामढ़ी में जक्शन,रेवासी में क्रासिंग,धनकौल में हाल्ट,शिवहर में क्रांसिंग,सुगिया कटसरी में हाल्ट,पताही में क्रासिंग,ढ़ाका में क्रासिंग,चिरैया में हाल्ट,गजपुर में क्रासिंग बापूधाम मोतिहारी में जंक्सन उक्त रेल लाईन के अन्तर्गत बनना प्रस्तावित है.
भूमि अधिग्रहण का प्रक्रिया प्रक्रियाधीन
एक अन्य आरटीआई के जवाब में बताया गया है कि उपरोक्त के संदर्भ में, 929.09 करोड़ की कुल लागत पर मोतिहारी से सीतामढ़ी के बीच नई रेल लाइन के निर्माण का विस्तृत अनुमान (9 7.09 करोड़) पहले ही दिनांक 30.01.2015 को मंजूरी के लिए रेलवे बोर्ड को भेज दिया गया है. रेलवे बोर्ड द्वारा सीतामढ़ी से लेकर शिवहर (28 किमी) तक के विस्तृत अनुमान की मांग की गई और दिनांक 06.07.2018 को रेलवे बोर्ड को रिपोर्ट सौंप दी गयी है, जिसके अनुमोदन का अभी भी इंतजार है. रेलवे बोर्ड द्वारा सीतामढ़ी से शिवहर (28 किमी) तक के भाग के अनुमानित अनुमान के अनुमोदन के बाद रेल लाईन निर्माण के संबंध में कदम उठाए जाएंगे. 21 दिसंबर 2021 को पटना हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसके बाद 28 मार्च 2023 को 566 करोड़ आवंटित किया गया. वर्तमान में भूमि अधिग्रहण का प्रक्रिया प्रक्रियाधीन है. कुछ दिन पूर्व ही इस परियोजना हेतु बागमती नदी पर पुल का शिलान्यास हुआ है.