बिहार चुनाव : राजनीतिक उलटफेरों की जमीन नौतन विधानसभा, हर चुनाव में बदलते रहे सियासी समीकरण

बैरिया प्रखंड में गंडक नदी के तट पर स्थित पटजिरवा शक्तिपीठ देवी स्थान है, जो ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व का केंद्र है. किंवदंतियों के अनुसार, जब भगवान विष्णु ने सती के 51 अंगों को अपने सुदर्शन चक्र से विभाजित किया था, तब सती के पैर का कुछ भाग यहीं गिरा था. मान्यता है कि उसी स्थान पर पीपल के दो वृक्ष उगे, जो शिव और शक्ति के अर्धनारीश्वर रूप का प्रतीक माने जाते हैं.

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बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले का नौतन विधानसभा क्षेत्र राज्य की उन खास सीटों में शामिल है, जहां राजनीति और पौराणिकता दोनों का अद्भुत मेल देखने को मिलता है. जातीय और सियासी, दोनों लिहाज से भी यह सीट बेहद जटिल मानी जाती है. पश्चिमी चंपारण जिले में स्थित नौतन विधानसभा क्षेत्र फिलहाल एक बार फिर चुनावी रंग में रंगने को तैयार है.
यहां से वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नारायण प्रसाद विधायक हैं, जो पर्यटन मंत्री रह चुके हैं. उन्होंने 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की, हालांकि 2009 के उपचुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इसके बावजूद वे इस सीट पर भाजपा के सबसे मजबूत चेहरों में गिने जाते हैं.

जनगणना और मतदाताओं की बात करें तो 2024 के अनुमानित आंकड़ों के अनुसार नौतन की कुल जनसंख्या 4,77,900 है, जिसमें 2,55,286 पुरुष और 2,22,614 महिलाएं शामिल हैं, जबकि 1 जनवरी 2024 की स्थिति के अनुसार मतदाताओं की कुल संख्या 2,86,873 है, जिनमें 1,54,334 पुरुष और 1,32,520 महिलाएं हैं.

नौतन कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था. 1951 से लेकर 1985 तक कांग्रेस ने इस सीट पर लगातार कब्जा बनाए रखा. केदार पांडे, जो बाद में बिहार के मुख्यमंत्री बने, 1967 से 1977 तक चार चुनाव जीते. इसके बाद उनकी पत्नी कमला पांडे ने 1980 और 1985 में जीत दर्ज की. हालांकि, 1990 के बाद से कांग्रेस की पकड़ कमजोर पड़ी और उसके बाद पार्टी इस सीट पर लगातार पिछड़ती चली गई.

1990 के दशक के बाद नौतन में जनता दल (यूनाइटेड) और उसकी पूर्ववर्ती पार्टी समता पार्टी का दबदबा बढ़ा. जेडीयू ने अब तक इस सीट पर चार बार जीत हासिल की है. खासकर बैद्यनाथ प्रसाद महतो ने 2000 से 2009 तक लगातार तीन बार जीत दर्ज की. 2009 में लोकसभा चुनाव में उनके चुने जाने के बाद इस्तीफे से उपचुनाव की नौबत आई, जिसमें जेडीयू को हार का सामना करना पड़ा.

वहीं, भाजपा ने इस सीट पर दो बार जीत हासिल की है. नारायण प्रसाद 2015 और 2020 में विधायक बने और फिलहाल इस सीट पर भाजपा की पकड़ मजबूत मानी जा रही है. इसके अलावा, भाकपा, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और एक निर्दलीय उम्मीदवार भी यहां से एक-एक बार विजयी रह चुके हैं. मुस्लिम और यादव समुदाय की ज्यादा आबादी के बावजूद, यह क्षेत्र राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के लिए अब तक अभेद्य बना हुआ है. यही कारण है कि यह सीट राज्य की सियासत में खास महत्व रखती है, जहां जातीय आधार पर वोटिंग पैटर्न स्पष्ट नहीं है और हर चुनाव में समीकरण बदलते दिखते हैं.

भौगोलिक दृष्टि से देखें तो नौतन विधानसभा क्षेत्र पश्चिमी चंपारण जिले के पश्चिमी भाग में स्थित है और यह उत्तर प्रदेश के कुशीनगर से सटा इलाका है. यह क्षेत्र बेतिया जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर पश्चिम और मोतिहारी से लगभग 55 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में है. यह क्षेत्र सड़क मार्ग से बिहार के प्रमुख कस्बों और शहरों से अच्छी तरह जुड़ा है. प्रशासनिक रूप से इसमें नौतन और बैरिया दो सामुदायिक विकास खंड शामिल हैं. यह पश्चिम चंपारण लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है.

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इस क्षेत्र की एक और विशेषता इसकी सांस्कृतिक और पौराणिक विरासत है. गंडक नदी इस विधानसभा क्षेत्र से होकर बहती है और यहीं पूजहा पटजिरवा बांध भी बना है.

बैरिया प्रखंड में गंडक नदी के तट पर स्थित पटजिरवा शक्तिपीठ देवी स्थान है, जो ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व का केंद्र है. किंवदंतियों के अनुसार, जब भगवान विष्णु ने सती के 51 अंगों को अपने सुदर्शन चक्र से विभाजित किया था, तब सती के पैर का कुछ भाग यहीं गिरा था. मान्यता है कि उसी स्थान पर पीपल के दो वृक्ष उगे, जो शिव और शक्ति के अर्धनारीश्वर रूप का प्रतीक माने जाते हैं.

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यही नहीं, कहा जाता है कि श्रीराम और सीता के विवाह के बाद उनकी डोली यहीं ठहरी थी. यहां राम-सीता सहित समस्त बारातियों ने पटजिरवा भवानी की पूजा-अर्चना की थी. मंदिर के ठीक पीछे एक ऐतिहासिक तालाब है, जिसके बारे में मान्यता है कि इसका निर्माण महाराजा जनक ने कराया था.

इन धार्मिक मान्यताओं और ऐतिहासिक तथ्यों के चलते यह क्षेत्र सांस्कृतिक पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण बन चुका है.

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