- मोकामा के दबंग बाहुबली दुलारचंद यादव की हत्या जनसुराज पार्टी के प्रचार दौरान हुई है.
- दुलारचंद यादव ने 80-90 के दशक में टाल क्षेत्र में अपनी दबंगई से एक मजबूत सामाजिक और राजनीतिक आधार बनाया था.
- उनकी राजनीतिक यात्रा में लोकदल, आरजेडी, जदयू और जनसुराज पार्टी के साथ संबंध शामिल थे.
साल 1990. बिहार में चुनावी गर्मी जोर पर थी. लोकदल (बी) से मोकामा से रौबदार मूंछों वाले उम्मीदवार को मैदान में उतारा. हलफनामा दाखिल हुआ तो उस पर 11 केसों की लिस्ट मौजूद थी. नाम था दुलारचंद मोकामा में दुलार का उतरना कोई नहीं बात नहीं थी. वह दबंगई का वो दौर था जो मोकामा के नाम के साथ आज तक चस्पा है. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले लालू यादव के करीबी रह चुके और जनसुराज समर्थक दुलारचंद यादव की मोकामा में हत्या ने बवाल मचा दिया है. बिहार के मोकामा विधानसभा क्षेत्र में जनसुराज पार्टी के प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी के समर्थन में प्रचार के दौरान दुलारचंद यादव की हत्या कर दी गई. इस हत्याकांड को लेकर मोकामा के बाहुबली विधायक अनंत सिंह के समर्थकों पर हत्या के आरोप लगे हैं.
कैसे हुई दुलारचंद की हत्या?
- गुरुवार दोपहर करीब साढ़े 3 बजे मोकामा विधानसभा में तारतर गांव के पास जन सुराज पार्टी के प्रत्याशी प्रियदर्शी पीयूष और जेडीयू के प्रत्याशी अनंत सिंह का काफिला आमने-सामने आ गया.
- दोनों पक्षों में किसी बात को लेकर मारपीट और पत्थरबाजी हो गई. पुलिस के मुताबिक जब वो मौके पर पहुंची तो दो-तीन गाड़ियां ही मौके पर थीं.
- पुलिस के मुताबिक एक गाड़ी में एक लाश पड़ी हुई थी. शव की शिनाख्त दुलारचंद यादव के रूप में हुई. 
 क्या गाड़ी से कुचला गया?
 इसको लेकर तरह-तरह के बयान सामने आ रहे हैं. आरोप है कि अनंत समर्थकों ने दुलारचंद के पैर में गोली मारी. वह जख्मी होकर सड़क पर गिर पड़े तो उन्हें गाड़ी से कुचला गया. पुलिस इस मामले की जांच में जुटी है.
बाहुबली का उदय: टाल क्षेत्र का 'दबंग'
दुलारचंद का फाइल फोटो.
दुलारचंद यादव का शुरुआती जीवन और पहचान मोकामा के टाल क्षेत्र में उनकी दबंगई और आपराधिक पृष्ठभूमि से जुड़ी थी. 80 और 90 के दशक में, जब बिहार में बाहुबलियों का बोलबाला था, दुलारचंद यादव ने इस क्षेत्र में अपना एकछत्र राज स्थापित किया. उन पर हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण, रंगदारी और आर्म्स एक्ट सहित कई गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे. 1991 के कांग्रेस नेता सीताराम सिंह हत्याकांड में भी उनका नाम आया, जिसने उनकी ख्याति को और बढ़ा दिया. अपनी इस "दबंग" छवि के बावजूद, या शायद इसी वजह से, वे अपने समाज, खासकर यादव समुदाय के बीच एक मजबूत आधार बनाने में सफल रहे, जहां उन्हें एक संरक्षक और "न्याय दिलाने वाले" व्यक्ति के रूप में देखा जाता था.
राजनीति में प्रवेश: दलदल से दल तक
दुलारचंद यादव ने अपनी क्षेत्रीय दबंगई और मजबूत सामाजिक आधार को राजनीतिक शक्ति में बदलने की कला बखूबी सीखी. 90 के दशक में, जब लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का उदय हुआ, तब दुलारचंद यादव ने उनके साथ हाथ मिलाया. वह लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी और भरोसेमंद माने जाते थे, जिन्होंने मोकामा और बाढ़ के टाल इलाके में RJD की राजनीतिक जमीन मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई. उन्होंने मोकामा विधानसभा सीट से चुनाव भी लड़ा, हालांकि उन्हें जीत हासिल नहीं हुई. यह उनका राजनीति में पहला औपचारिक कदम था, जिसने उन्हें दलदल की दुनिया से दल की दुनिया तक पहुंचाया.
बदलती निष्ठाएं और चुनावी शतरंज
समय के साथ, दुलारचंद यादव की राजनीतिक निष्ठाएं बदलती रहीं, जो बिहार की सत्ता की बदलती समीकरणों को दर्शाती हैं. दुलारचंद यादव की राजनीतिक यात्रा केवल एक पार्टी तक सीमित नहीं रही. सत्ता और प्रभाव बनाए रखने के लिए उन्होंने समय-समय पर अपनी निष्ठाएं बदलीं, जो बिहार की अवसरवादी राजनीति का एक बड़ा हिस्सा रही है: उन्होंने लोकदल के बाद RJD के साथ एक लंबा राजनीतिक सफर तय किया, और लालू परिवार के संकट के समय भी वे उनके साथ खड़े रहे. 2017 के बाद, वे जनता दल यूनाइटेड (JDU) और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भी करीब आए. 2019 के लोकसभा चुनावों में उन्हें JDU की रैलियों में प्रचार करते देखा गया, जो उनके राजनीतिक लचीलेपन को दर्शाता था. 2022 के मोकामा उपचुनाव में उन्होंने बाहुबली अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी (तब RJD उम्मीदवार) का समर्थन किया, जो उनके राजनीतिक समीकरणों को साधने की क्षमता को दर्शाता है. अपनी मृत्यु के समय, वह प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी के स्थानीय उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी के लिए सक्रिय रूप से प्रचार कर रहे थे.
अनंत सिंह के समर्थकों पर हत्या का आरोप
हत्या का आरोप जदयू प्रत्याशी अनंत सिंह के समर्थकों पर लगे हैं . दुलारचंद यादव की हत्या के मामले में अनंत सिंह समेत पांच लोगों के खिलाफ पुलिस ने नामजद दर्ज की है. मृतक दुलारचंद यादव के पोते के बयान पर पुलिस ने अनंत सिंह उनके दो भतीजों रणवीर और कर्मवीर समेत पांच लोगों पर हत्या की प्राथमिकी दर्ज की. मृतक के परिजनों का आरोप है कि अनंत सिंह के लोगों ने पहले गोली मारी और फिर गाड़ी चढ़ाकर दुलार चांद की हत्या कर दी. हालांकि जदयू प्रत्याशी अनंत सिंह ने हत्या के आरोपों से इनकार किया. उन्होंने कहा कि जब वह चुनाव प्रचार कर लौट रहे थे तो आगे निकल गए. पीछे रह गई उनके काफिले की गाड़ियों को जन स्वराज पार्टी समर्थकों ने घेर लिया और पत्थर से हमला कर दिया था. अनंत सिंह ने इसे राजद नेता सूरजभान सिंह की साजिश बताया है. वही सूरजभान ने अनंत सिंह के आरोपों पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया. अनंत सिंह ने यह भी कहा कि झगड़े की पहल दुलारचंद यादव ने की थी. अनंत सिंह की ओर से दर्ज प्राथमिकी में पीयूष प्रियदर्शी सहित पांच व्यक्तियों को नामजद एवं अज्ञात लोगों को अभियुक्त बनाया गया है.














