प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में आज फेरबदल होना है. माना जा रहा है कि लोजपा के बागी नेता पशुपति पारस (Pasupati Paras) की मंत्रिपरिषद में जेडीयू के खाते से एंट्री हो सकती है. पशुपति पारस के मंत्री बनने की संभावनाओं के बीच लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है. साथ ही लोजपा ने दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया है. चिराग पासवान ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर करके लोकसभा अध्यक्ष के फैसले को चुनौती दी है.
लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा कि पार्टी विरोधी और शीर्ष नेतृत्व को धोखा देने के कारण लोक जनशक्ति पार्टी से पशुपति कुमार पारस को पहले ही पार्टी से निष्काषित किया जा चुका है और अब उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करने पर पार्टी कड़ा ऐतराज दर्ज कराती है.
पासवान ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के इस अधिकार का पूर्ण सम्मान है कि वे अपनी टीम में किसे शामिल करते हैं और किसे नहीं, लेकिन जहां तक LJP का सवाल है. पशुपति पारस हमारे दल के सदस्य नहीं हैं. पार्टी को तोड़ने जैसे कार्यों को देखते हुए उन्हें मंत्री, उनके गुट से बनाया जाए तो LJP का कोई लेना देना नहीं है.
उन्होंने आगे कहा, "लोक जनशक्ति पार्टी ने आज माननीय लोकसभा अध्यक्ष के प्रारम्भिक फ़ैसले जिसमें पार्टी से निष्कासित सांसद पशुपति पारस जी को लोजपा का नेता सदन माना था के फ़ैसले के ख़िलाफ़ आज दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की गई है."
वहीं, लोजपा का विवाद दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया है. दिल्ली हाईकोर्ट में चिराग पासवान ने याचिका दाखिल की है. चिराग पासवान ने लोकसभा अध्यक्ष के फैसले को चुनौती दी. लोकसभा अध्यक्ष ने पशुपति पारस को लोजपा का नेता सदन माना है. चिराग पासवान की तरफ से पेश वकील ने दिल्ली हाई कोर्ट में जल्द मामले की सुनवाई की मांग की है. दिल्ली हाईकोर्ट कोर्ट चिराग पासवान की अर्जी पर 9 जुलाई को कर सकता है.