बिहार के दलित वोटों के लिए इन 20 सीटों पर BJP की ये खास रणनीति, बिखराव रोकने को खास प्लान

Bihar Election: एनडीए ने अनुसूचित जाति के 39 उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है. इनके नाम तय करते समय दलित और महादलित वर्ग के अंदरूनी जातीय समीकरण का भी ध्यान रखा गया है.

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बिहार के दलित वोटों के लिए कैसी है बीजेपी की तैयारी.
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  • बिहार में अनुसूचित जाति और महादलित वोट बैंक के लिए बीजेपी खास रणनीतति पर काम कर रही है.
  • बीजेपी ने पश्चिमी चंपारण, गोपालगंज, सीवान, सारण, भोजपुर, बक्सर और कैमूर जिलों की सीटों पर खास रणनीति बनाई है.
  • एनडीए ने दलित और महादलित जातीय समीकरण का ध्यान रखते हुए तीस से अधिक अनुसूचित जाति उम्मीदवारों को टिकट दिया है.
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नई दिल्ली:

बिहार में 11 नवंबर को दूसरे चरण की वोटिंग होनी है. इससे पहले बीजेपी ने दलित वोटों को अपने पाले में लाने के लिए ख़ास रणनीति बनाई है. दरअसल बिहार में अनुसूचित जाति और महादलित को मिला कर क़रीब 18% वोट हैं. यह एक बड़ा वोट बैंक है जो, 100 से भी अधिक विधानसभा सीटों पर बड़ी भूमिका निभाता है. खास बात यह है कि बीजेपी ने अपनी रणनीति में बहुजन समाज पार्टी को भी ध्यान में रखा गया है. 

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UP से लगी इन 20 सीटों पर बीजेपी की नजर

दरअसल उत्तर प्रदेश से लगती बिहार की बीस विधानसभा सीटों पर बीजेपी की ख़ास नज़र है. पश्चिमी चंपारण, गोपालगंज, सीवान, सारण, भोजपुर, बक्सर और कैमूर ज़िलों की इन विधानसभाओं को लेकर रणनीति तैयार कर ली गई है. ये ज़िले यूपी के देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज, ग़ाज़ीपुर, चंदौली, बलिया और सोनभद्र से लगते हैं. इनमें से पंद्रह सीटों पर पहले चरण में मतदान हो चुका और बाक़ी पांच पर दूसरे चरण में वोट डाले जाएंगे. दरअसल, बीजेपी ने करीब 13 प्रतिशत महादलित और करीब 5  प्रतिशत पासवान/दुसाध वोटों को लेकर रणनीति बनाई है. 

दलित वोटों को ऐसे एकजुट कर रही बीजेपी

पिछले विधानसभा चुनाव में चिराग़ पासवान अलग चुनाव लड़े थे. इस वजह से दलित वोटों का बिखराव हो गया था. इस बार बीजेपी ने क़रीब बारह प्रतिशत महादलित वोटों को एकजुट रखने की रणनीति पर काम किया है. पार्टी का आकलन है कि जीतनराम मांझी के कारण क़रीब ढाई प्रतिशत मुशहर वोट एनडीए के साथ रहेगा. इसी तरह चिराग पासवान क़रीब पांच प्रतिशत दुसाध/पासवान वोट को मजबूती से एनडीए के पाले में रखेंगे. 

मायावती पर बीजेपी की पैनी नजर

दलित वोटों को लेकर बीजेपी की नज़रें मायावती पर भी टिकी हैं. बीएसपी ने सभी 243 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. लेकिन बड़ी संख्या में नामांकन रद्द होने से अब लगभग 190 उम्मीदवार ही बचे हैं. मायावती ने तो कैमूर जिले के भभुआ में चुनावी सभा भी की थी. बीजेपी का आकलन है कि बीएसपी की ओर क़रीब पांच प्रतिशत रविदास वोट जा सकते हैं. क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में बीएसपी ने 78 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे और उसे 2.37% वोट मिले थे.

BSP का अलग लड़ना बीजेपी के लिए कैसे फायदेमंद?

बीएसपी ने चैनपुर सीट जीती थी. हालांकि बाद में विधायक मोहम्मद जमाल खान जेडीयू में शामिल हो गए थे. करीब 30 सीटों पर बीएसपी दूसरे या तीसरे नंबर पर रही थी. खासतौर से पश्चिम बिहार के सीमावर्ती इलाक़ों और कैमूर, रोहतास, आरा, बक्सर आदि जगहों पर बीएसपी की पकड़ साफ़ दिखी थी. ऐसे में इस बार बीएसपी का अलग और अकेले लड़ना रणनीतिक तौर पर एनडीए को फ़ायदा पहुंचा सकता है.
 

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