केंद्रीय मंत्री और एलजेपी नेता चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने सड़कों पर नमाज अदा करने वाले मुसलमानों के खिलाफ़ हो रही कोशिशों को सिरे से खारिज कर दिया. चिराग ने कहा कि ये बेकार विषय हैं. देश में कई और बड़े मुद्दे हैं जिन पर चर्चा की जानी चाहिए. एक मीडिया कार्यक्रम में चिराग पासवान से जब सड़कों पर नमाज़ के विरोध पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ये बेकार की बात है. इस पर चर्चा नहीं होनी चाहिए. देश में कई बड़े मुद्दे हैं जिन पर चर्चा करने की ज़रूरत है. समस्या यह है कि जब इन अप्रासंगिक विषयों पर बात शुरू होती है तो समाज और देश में तनाव का माहौल पैदा हो जाता है. बिना वजह समुदायों और लोगों के बीच दरार पैदा होती है, जो कि बेमतलब है.
नमाज व्यक्तिगत आस्था का मामला
चिराग ने कहा कि लोग सालों से सड़कों पर नमाज़ पढ़ते आ रहे हैं. अगर आज हम इस बारे में बात नहीं कर रहे होते, तो आपका सवाल ये होता कि खाद्य प्रसंस्करण मंत्री के तौर पर उन्होंने क्या काम किया. अब ये बातें सेकेंडरी हो गई हैं. जब उनसे कहा गया कि उनकी सहयोगी पार्टी बीजेपी के लोग इस बारे में बात कर रहे हैं, तो इस पर चिराग ने कहा कि वह इससे सहमत नहीं हैं. चिराग ने कहा कि वह 21वीं सदी के शिक्षित युवा हैं. इसीलिए धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. चिराग ने कहा कि ये व्यक्तिगत आस्था का मामला है. उन्होंने इफ्तार पार्टी दी और वहां पर वह तिलक लगाकर पहुंचे थे. ये उनकी अपनी आस्था है.
चिराग ने कहा कि वह दूसरों के धर्म का सम्मान करने के लिए अपने धार्मिक मूल्यों को नहीं भूलेंगे. लेकिन ये मुद्दे बंद दरवाजों के पीछे के हैं. यह व्यक्तिगत आस्था का मामला है. कुछ लोग किसी धर्म का पालन करते हैं, लेकिन दूसरे नहीं करते. कई हिंदू तिलक नहीं लगाते. क्या वे हिंदू नहीं हैं? यह व्यक्तिगत आस्था है.
देश में नमाज के बजाय और भी बड़े मुद्दे
अपने सहयोगियों के बारे में बात करते हुए चिराग पासवान ने कहा कि नमाज को लेकर अगर वे ऐसा कह रहे हैं तो इस तरह की राजनीति से वह सहमत नहीं हैं. उनका मानना है कि हिंदू और मुसलमानों के बारे में बात करने के बजाय और बड़ी चीजें हैं जिन पर ध्यान देने की जरूरत है.
देश में नमाज की जगह पर विवाद
बता दें कि सड़कों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर नमाज पिछले कुछ सालों में प्रमुख राजनीतिक मुद्दे के रूप में उभरा है. एक वर्ग इसके विरोध में कहता है कि धार्मिक रीति-रिवाजों को सार्वजनिक स्थानों पर नहीं किया जाना चाहिए, वहीं अन्य लोगों का तर्क है कि जब तक इस तरह के कृत्यों से किसी को असुविधा न हो, तब तक इसे मुद्दा नहीं बनाना चाहिए. हाल ही में, यह मुद्दा तब सुर्खियों में आया जब उत्तर प्रदेश की कुछ जगहों में जिला प्रशासन ने ईद के दौरान सड़कों पर नमाज की अनुमति देने के खिलाफ सख्त रुख अपनाया.