बिहार में सहयोगियों को सेट करने का बीजेपी ने बनाया फॉर्मूला; मांझी राजी, चिराग-कुशवाहा पर संशय

चुनाव नजदीक हो और नेताओं की हसरतें न हों तो फिर चुनाव कैसा? मगर यही चुनाव में दोस्तों को साथ आने से रोकता है. बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर जानिए एनडीए में क्या चल रहा है...

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बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर प्रधानमंत्री खुद लगातार बिहार का दौरा कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी कई बार बिहार जा चुके हैं. एनडीए और महागठबंधन में सीटों को लेकर अभी तक बंद दरवाजे में ही बातचीत हो रही है. एनडीए ने यह जरूर कहा है कि बिहार का चुनाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा और जहां तक सीटों के बंटवारे की बात है, कहा जा रहा है कि बीजेपी और जेडीयू बराबर की सीटें यानी 100 के आसपास लड़ेंगी और बाकी बची 43 सीटें घटक दलों को दी जाएंगी. 

चिराग पासवान की हसरत

एनडीए के घटक दलों में सबसे बड़ा हिस्सा चिराग पासवान लेना चाहते हैं. उनके पास 5 सांसद हैं तो वो कम से कम 30 सीटें चाहते हैं. उनका कहना है कि लोकसभा में उनको 5 सीटें दी गईं थीं और उन्होंने पांचों सीट जीत कर शत प्रतिशत परिणाम दिया. चिराग पिछली बार एनडीए का हिस्सा नहीं थे और 134 सीटों पर अकेले लड़ गए थे और जेडीयू का खेल खराब कर दिया था. इस बार भी चिराग पासवान की पार्टी ने यह कहकर सबको चौंका दिया कि चिराग पासवान बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे. हालांकि अभी तक यह तय नहीं है कि चिराग पासवान चुनाव लड़ने वाले हैं या नहीं. दूसरी तरफ चिराग पासवान ने अपनी पार्टी को बिहार की सभी 243 सीटों पर चुनाव का तैयारी करने की बात कह कर भी सबको चकित किया. वैसे चिराग और उनकी पार्टी के इन बयानों को बिहार में अधिक सीटें पाने के लिए दबाव बनाने की रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है.

मांझी की बस एक ही चाहत

अब बात करते हैं केन्द्रीय मंत्री और हिन्दुस्तान आवामी मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी की. मांझी का कहना है कि पिछली बार उनको सात सीटें दी गईं थीं, जिसमें उन्होंने चार सीटें जीती थीं. इस बार मांझी कम से कम 8 सीटें जीतना चाहते हैं, जिससे उनके पार्टी की बिहार में मान्यता बरकरार रहे. इसके लिए उनकी मांग कम से कम 15 सीटों की है. मांझी का ये भी कहना है कि लोकसभा में उनको एक ही लोकसभा की सीट दी गई थी और वो उसको जीते, इस तरह उनका भी शत प्रतिशत जीतने का रिर्काड है. 

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बीजेपी का बिहार फॉर्मूला

बीजेपी की दिक्कत ये है कि उनके पास अपने सहयोगियों को देने के लिए 43 सीटें ही हैं, जिसमें उपेंद्र कुशवाहा भी 6-7 सीटें चाहेंगे. अब ये बीजेपी पर निर्भर करता है कि वो जेडीयू को कम सीटों पर लड़ने के लिए मनाए या फिर महाराष्ट्र फार्मूले की तरह अपने या जेडीयू के नेताओं को मांझी या चिराग की पार्टी के चुनाव चिह्न पर लड़वाए. यदि सूत्रों को मानें तो जीतन राम मांझी को इसमें कोई दिक्कत नहीं होगी. फिलहाल उनका लक्ष्य बिहार में अपनी पार्टी का क्षेत्रीय दल का दर्जा बचाए रखने का है, जिसके लिए उनके पास कम से कम 8 विधायक जरूरी हैं. चिराग या उनकी पार्टी इस फॉर्मूले पर क्या रूख अख्तियार करेगी, यह अभी मालूम नहीं है. एनडीए में बिहार के सीटों पर बंटवारे को लेकर अगले महीने से बैठकों का दौर शुरू हो जाएगा.

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