बिहार वोटर लिस्‍ट रिवीजन में बड़ा खुलासा, वोटर लिस्‍ट में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के लोगों के नाम

चुनाव आयोग से सूत्रों का कहना है कि 1 अगस्त से 30 अगस्त के बीच ऐसे सभी लोगों की पड़ताल की जाएगी और अगर जांच में ये सही पाया गया तो उनका नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं किया जाएगा. 

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बिहार में चुनाव आयोग के सर्वे में बड़ा खुलासा

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  • बिहार में चुनाव आयोग ने सर्वे के दौरान म्यांमार, बांग्लादेश और नेपाल के रहने वाले लोगों की पहचान की है जो बिहार में रह रहे हैं.
  • इन लोगों ने आधार कार्ड, डोमिसाइल सर्टिफिकेट और राशन कार्ड जैसे पहचान पत्र बनवाए हुए हैं.
  • जांच में यदि पाया गया कि ये लोग बिहार के स्थायी निवासी नहीं हैं, तो उनका नाम मतदाता सूची से हटाया जाएगा.
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पटना:

बिहार से वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर बड़ी खबर सामने आई है. बताया जा रहा है कि आयोग ने अपने सर्वे के दौरान ऐसे लोगों की पहचान की है जो रहने वाले तो म्यांमार, बांग्लादेश और नेपाल के हैं और रह बिहार में रहे हैं. आयोग से जुड़े सूत्रों के अनुसार सर्वे में पता चला है कि इन लोगों ने आधार कार्ड , डोमिसाइल सर्टिफिकेट  और राशन कार्ड जैसी सभी तरह के पहचान पत्र बनवाए हुए हैं. सूत्रों का कहना है कि 1 अगस्त से 30 अगस्त के बीच ऐसे सभी लोगों की पड़ताल की जाएगी और अगर जांच में ये सही पाया गया तो उनका नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं किया जाएगा. 

आपको बता दें कि बिहार में आयोग के इस विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR)  का मामला कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा था. कोर्ट ने मामले की सुनवाई करने के बाद चुनाव आयोग को बड़ी राहत दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया था कि बिहार में वोटर लिस्ट के सर्वे का काम जारी रहेगा. कोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग से एक हफ्ते में जवाब मांगा. 28 जुलाई को इस मामले पर अगली सुनवाई होगी. 

देश में बड़ा सियासी मुद्दा बन चुके बिहार के मतदाता सूची सत्यापन मामले पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान चुनाव आयोग ने अदालत को आश्वस्त किया कि किसी को भी अपनी बात रखने का अवसर दिए बिना मतदाता सूची से बाहर नहीं किया जाए. उस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कुछ कड़े सवाल भी पूछे थे. कोर्ट ने कहा था कि बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण को नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनावों से क्यों जोड़ा जा रहा है, यह प्रक्रिया चुनावों से अलग क्यों नहीं की जा सकती?

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सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि विशेष गहन पुनरीक्षण की कवायद एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जो लोकतंत्र की जड़ से जुड़ा है. यह मतदान के अधिकार से संबंधित है. कोर्ट ने कहा था कि वह संवैधानिक संस्था को वो कार्य करने से नहीं रोक सकता, जो उसे करना चाहिए. 

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