बिहार विधानसभा चुनाव: तरैया में बीजेपी ने बरकरार रखी सीट, जनक सिंह ने राजद के शैलेंद्र प्रताप को हराया

तरैया का राजनीतिक परिदृश्य 1970 के दशक में तब सुर्खियों में आया जब बाहुबली नेता प्रभुनाथ सिंह ने 1972 और 1980 में कांग्रेस के टिकट पर यह सीट जीती.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

बिहार के सारण जिले के उत्तरी भाग में स्थित तरैया विधानसभा सीट पर बीजेपी के जनक सिंह महज 1329 वोटों के अंतर से जीत दर्ज कर अपनी सीट बचा ली है. उन्‍होंने 84235 वोट पाने वाले राजद प्रत्‍याशी शैलेंद्र प्रताप को हराया. ये सीट राजनीतिक रूप से हमेशा से संवेदनशील और चर्चित रही है. इसका राजनीतिक इतिहास बाहुबल और धनबल के प्रभाव से गहराई से प्रभावित रहा है. 1967 में गठित इस सामान्य श्रेणी की सीट ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, जिसमें बाहुबली नेताओं का दबदबा और भाजपा-राजद के बीच कड़ा मुकाबला शामिल है.

तरैया का राजनीतिक परिदृश्य 1970 के दशक में तब सुर्खियों में आया जब बाहुबली नेता प्रभुनाथ सिंह ने 1972 और 1980 में कांग्रेस के टिकट पर यह सीट जीती. उनके उदय ने क्षेत्र में बाहुबली राजनीति की नींव रखी, जिसका असर आज भी देखा जा सकता है. हालांकि, 1980 के बाद कांग्रेस की इस सीट पर वापसी नहीं हुई. प्रभुनाथ सिंह के भतीजे सुधीर सिंह ने भी यहां अपनी किस्मत आजमाई, लेकिन जनता ने उन्हें स्वीकार नहीं किया.

कब-कब किसने मारी बाजी?

वर्तमान में, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के जनक सिंह तरैया के विधायक हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में जनक सिंह ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सिपाही लाल महतो को हराया. जनक सिंह 2005 (एलजेपी) और 2010 में भी इस सीट से विधायक रह चुके हैं, हालांकि 2015 में राजद के मुद्रिका प्रसाद राय ने जीत हासिल की थी. अब तक हुए 13 विधानसभा चुनावों में राजद ने सबसे अधिक तीन बार जीत दर्ज की, जबकि भाजपा, जनता दल और कांग्रेस ने दो-दो बार यह सीट जीती. 1980 के बाद से कांग्रेस की फिर कभी वापसी नहीं हुई है.

तरैया के चुनावी मुद्दे

गंगा के मैदानी क्षेत्र में स्थित यह क्षेत्र समतल और उपजाऊ है, जहां गंडक नहर प्रणाली और मौसमी धाराएं कृषि को बढ़ावा देती हैं. धान, गेहूं, मक्का, दालें, गन्ना और सब्जियां यहां की प्रमुख फसलें हैं. स्थानीय अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है, हालांकि छोटी चावल मिलें, ईंट भट्टे और कृषि-व्यापार केंद्र सीमित रोजगार प्रदान करते हैं.

तरैया का सांस्कृतिक परिदृश्य भोजपुरी संस्कृति से रंगा हुआ है, जो स्थानीय त्योहारों, लोकगीतों और दैनिक जीवन में झलकता है. धार्मिक दृष्टिकोण से अगर देखा जाए तो तरैया का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व सीमित है, लेकिन यहां का शिव मंदिर बिहार के सबसे ऊंचे मंदिरों में से एक माना जाता है. यहां हर साल बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं. इसके अलावा, यहां भोजपुरी संस्कृति का प्रभाव स्थानीय त्योहारों, लोकगीतों और दैनिक जीवन में दिखाई देता है.

Featured Video Of The Day
Bihar Election Result 2025: Prashant Kishor जीरो पर आउट, Owaisi का धमाल! | Syed Suhail | NDA | BJP
Topics mentioned in this article