बिहार चुनाव 2025: जहां रद्द हो गया था लोजपा की सीमा‍ सिंह का नामांकन, उस मढ़ौरा में राजद ने निकाली सीट

इस बार लोजपा(आर) से चिराग पासवान ने एक्‍ट्रेस सीमा सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है, जिससे लड़ाई दिलचस्‍प हो गई है. वहीं जनसुराज से अभय सिंह दो-दो हाथ करने को तैयार हैं. 

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मढ़ौरा विधानसभा सीट पर राजद के जितेंद्र कुमार राय ने जन सुराज पार्टी के नवीन कुमार सिंह को करीब 28 हजार वोटों के अंतर से हरा दिया. ये जीत उनके लिए आसान रही, क्‍योंकि यहां लोजपा (रामविलास) के टिकट पर चिराग पासवान ने एक्‍ट्रेस सीमा सिंह को उतारा था, जिनका नामांकन रद्द हो गया था.  ऐसे में  जनसुराज से अभय सिंह ने राजद के जितेंद्र राय को टक्‍कर दी, हालांकि वो जीत नहीं पाए. 

राजनीतिक विरासत, धार्मिक स्थलों और औद्योगिक गौरव का संगम, यही पहचान है मढ़ौरा विधानसभा क्षेत्र की. बिहार के सारण जिले का मढ़ौरा विधानसभा क्षेत्र सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से भी समृद्ध है और राजनीतिक दृष्टि से भी. मढ़ौरा क्षेत्र न सिर्फ राजनीतिक बल्कि औद्योगिक गतिविधियों के लिए भी सुर्खियों में रहा है.मढ़ौरा विधानसभा क्षेत्र (सारण) को राजद का परंपरागत गढ़ माना जाता है. 

यहां यदुवंशी राय ने 1995 और 2000 में विधायक बनकर इस क्षेत्र में राजद की जड़ें मजबूत की थीं. उनके निधन के बाद बेटे जीतेंद्र कुमार राय ने इस विरासत को आगे बढ़ाया. जीतेंद्र 2010, 2015 और 2020 में जीत दर्ज कर विधायक बने और 2022 में राज्य सरकार में मंत्री भी बनाए गए.

औद्योगिक दृष्टि से महत्‍वपूर्ण इलाका 

मढ़ौरा कभी अपनी मशहूर मॉर्टन चॉकलेट फैक्ट्री के लिए देशभर में जाना जाता था. 1929 में सी एंड ई मॉर्टन लिमिटेड की ओर से स्थापित यह फैक्ट्री चॉकलेट, टॉफी और कुकीज बनाती थी और हजारों लोगों को रोजगार देती थी. चीनी मिलों और अन्य कारखानों के साथ मढ़ौरा कभी एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र था, लेकिन बुनियादी ढांचे की कमी और श्रम विवादों के कारण 1997 में यह फैक्ट्री बंद हो गई.

मढ़ौरा विधानसभा क्षेत्र के कारखाने में बने रेल डीजल इंजन विदेशी धरती पर अपनी छाप छोड़ते हैं. रेल इंजन की पहली खेप हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिमी अफ्रीका के गिनी गणराज्य के लिए भेजी थी. यह सारण जिला ही नहीं, बिहार और पूरे देश के लिए गर्व का विषय है.

देश के इतिहास में यह पहली बार है कि मेड इन इंडिया और मेक इन इंडिया लेबल लगा रेल लोकोमोटिव इंजन विदेशी धरती, विशेष रूप से गिनी गणराज्य की रेल पटरियों पर दौड़ने के लिए भेजा गया. फिलहाल, मढ़ौरा में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ने लगी हैं.

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धार्मिक और सांस्‍कृतिक महत्‍व 

यहां का शिल्हौरी मंदिर, जो शिवपुराण और रामचरितमानस के बालकांड में वर्णित है, धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है. कहा जाता है कि यही वह स्थान है जहां देवर्षि नारद का मोहभंग हुआ था. हर शिवरात्रि पर यहां विशाल मेला लगता है और देशभर से श्रद्धालु बाबा शिलानाथ के दर्शन के लिए आते हैं. यह प्राचीन स्थान मढ़ौरा से 3.5 किमी दूर है.

इसी क्षेत्र में स्थित है मां गढ़देवी शक्तिपीठ, जो एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है. मान्यता है कि सती माता के अंगों से रक्त की कुछ बूंदें इस स्थान पर गिरी थीं, जिससे यह शक्ति स्थल के रूप में विख्यात हुआ. चैत्र और दुर्गा पूजा के समय यहां लाखों श्रद्धालु माता के दर्शन को आते हैं.

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मढ़ौरा का एक जीर्ण-शीर्ण मध्ययुगीन किला, अपनी प्राचीन वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के कारण पर्यटकों को आकर्षित करता है. माना जाता है कि यह किला एक स्थानीय सरदार का निवास स्थान था, जो शासन और कर संग्रहण का कार्य देखता था.

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