बिहार में NDA की नई सरकार बननी तय है और उसका रास्ता सिर्फ राजनीतिक नहीं बल्कि संवैधानिक प्रक्रिया से भी गुजरता है. नीतीश कुमार की अगली सरकार को लेकर जो राजनीतिक सहमति बनी है,अब उसे कानूनी रूप से स्थापित करने के लिए कई औपचारिक कदम उठाने होंगे.सबसे पहले चुनाव आयोग बिहार विधानसभा के परिणाम घोषित करता है. कुल 243 सीटों में से 122 सीटें बहुमत का जादुई आंकड़ा होती हैं.जो दल या गठबंधन इस संख्या को पार करता है, वह सरकार बनाने का दावा कर सकता है.2025 में यह आंकड़ा एनडीए ने हासिल किया है. इसलिए सबसे पहले उनकी ओर से सरकार गठन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
पहले चरण में गठबंधन के भीतर बैठकों का दौर शुरू होगा.हर दल अपने-अपने विधायक दल की बैठक बुलाएगा. इन बैठकों में दो महत्वपूर्ण काम होते हैं.पहला अपने दल के विधायक दल का नेता चुनना और दूसरा गठबंधन के नेता का चयन यानी मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार तय करना.इस प्रक्रिया में अमूमन सभी दल अपने विधायकों से समर्थन पत्र पे हस्ताक्षर करवाते हैं, जिसमें लिखा होगा कि वे नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार बनाना चाहते हैं. यह हस्ताक्षरित पत्र राज्यपाल को दिखाने वाला आधिकारिक दस्तावेज़ होता है.
इस बार दिल्ली में अमित शाह और नीतीश कुमार की बैठक में 6 विधायक पर 1 मंत्री” का फार्मूला तय हुआ.इसमें जेडीयू को 14, भाजपा को 15–16, लोजपा (रामविलास) को 3, मांझी और कुशवाहा को 1–1 मंत्री पद देने की सहमति बनी.जब गठबंधन में मुख्यमंत्री का नाम तय हो जाता है, तब पटना में एनडीए विधायक दल की बैठक बुलाई जाती है. यह बैठक विधानसभा परिसर, किसी बड़े होटल या फिर मुख्यमंत्री आवास में होगी. इस बैठक में जेडीयू विधायक नीतीश कुमार के नाम का प्रस्ताव रखेंगे और भाजपा, लोजपा, हम और रालोजपा के विधायक उस प्रस्ताव का समर्थन करेंगे.
बैठक के अंत में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर दिया जाएगा कि नीतीश कुमार को विधायक दल का नेता चुना गया. यही वह क्षण होता है जब नीतीश कुमार संविधान के अनुच्छेद 164(1) के तहत मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बन जाएंगे. उसके बाद मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार यानी नीतीश कुमार राजभवन जाएँगे और राज्यपाल से मुलाकात करेंगे. वे राज्यपाल को तीन प्रमुख दस्तावेज़ सौपेंगे, जिसमे विधायक दल की बैठक में पारित प्रस्ताव, गठबंधन के समर्थन पत्र, जिन पर सभी सहयोगी दलों के हस्ताक्षर होंगे और विधायकों की सूची होगी , जिससे यह साबित होगा कि उनके पास बहुमत है.
शपथ समारोह के दिन पहले मुख्यमंत्री शपथ लेते हैं, फिर क्रमवार उनके मंत्रिमंडल के सदस्य सपथ लेंगे .शपथ दो प्रकार की होती है गोपनीयता की शपथ और कर्तव्य पालन की शपथ.शपथ का पाठ संविधान की तीसरी अनुसूची के अनुसार होता है.आम तौर पर मुख्यमंत्री 20–25 मंत्रियों की पहली सूची के साथ शपथ लेते हैं.बाकी मंत्रियों को बाद में शामिल किया जा सकता है.शपथ के बाद मुख्यमंत्री अपने मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा करते हैं.
यह प्रक्रिया पूरी तरह मुख्यमंत्री की सलाह और दलों के बीच समझौते से तय होती है.मुख्यमंत्री इन विभागों की सूची पर हस्ताक्षर करते हैं और राज्यपाल से इसे औपचारिक मंजूरी दिलाई जाती है. शपथ लेने के बाद 10–15 दिनों के भीतर राज्यपाल विधानसभा का विशेष सत्र बुलाते हैं. मुख्यमंत्री सदन में विश्वास प्रस्ताव पेश करते हैं.
विधायक वोट देकर तय करते हैं कि सरकार के पास बहुमत है या नहीं. यदि प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो नीतीश सरकार पूरी तरह संवैधानिक रूप से वैध सरकार बन जाती है. बहुमत परीक्षण के बाद मुख्यमंत्री सचिवालय से नई सरकार का कार्यभार संभालते हैं.पहली कैबिनेट बैठक में कुछ प्राथमिक फैसले लिए जाते हैं. इसके बाद राज्यपाल द्वारा नए मंत्रिपरिषद की अधिसूचना जारी की जाती है. यही अधिसूचना राज्य सरकार की औपचारिक शुरुआत मानी जाती है.














