दिल्ली में हैं तो कैसे होगा बिहार में जमीन का सर्वे, जानिए अधिकारी ने क्या बताया तरीका

बिहार के बहुत से लोग रोजगार की तलाश में देश के अलग-अलग हिस्‍सों में रहते हैं और बिहार जमीन सर्वेक्षण (Bihar Land Survey) के लिए जाना संभव नहीं है. ऐसे लोगों के लिए भी सरकार ने राह निकाली है.

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प्रतीकात्‍मक फोटो

पटना :

बिहार में जमीनों के सर्वे (Bihar Land Survey) का अभियान जारी है. प्रदेश के करीब 45 हजार गांवों में यह अभियान करीब पिछले हफ्ते से चल रहा है. गांवों में जमीनों के दस्‍तावेज को लेकर लोगों की भागदौड़ बढ़ गई है. ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों ही तरीकों से लोग जमीनों के सर्वे की प्रक्रिया में भाग ले रहे हैं. हालांकि बिहार के बहुत से लोग दिल्‍ली और दूसरी जगहों पर रहते हैं, जिनके लिए बिहार जाना संभव नहीं है. ऐसे लोग काफी चिंतित हैं और उन्‍हें समझ ही नहीं आ रहा है कि वह इस प्रक्रिया से कैसे जुड़ सकते हैं. उनकी इस परेशानी को एनडीटीवी ने समझा और बिहार के राजस्‍व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह से बात की. 

बिहार से बाहर रहने वाले लोगों को लेकर जयसिंह ने कहा कि जमीनों के सर्वे की प्रक्रिया में शामिल होने के लिए डिजिटल प्‍लेटफॉर्म बनाया गया है, जिसमें स्‍वघोषणा समर्पित करने का कार्य ऑनलाइन अपलोड कर कहीं से भी किया जा सकता है. 

'आपत्ति भी ऑनलाइन दर्ज करा सकते हैं' 

उन्‍होंने कहा, "आगे की प्रक्रिया में जो भी दस्‍तावेज सार्वजनिक होंगे, प्रकाशित होंगे, उन्‍हें दूर बैठे ही देख सकते हैं और अगर उन दस्‍तावेजों पर कोई आपत्ति हो तो दूर से बैठकर के आपत्ति भी दर्ज करा सकते हैं." 

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उन्‍होंने कहा कि अगर कोई व्‍यक्ति बिहार के बाहर है तो भी कोई चिंता की बात नहीं है. वो कहीं से भी इंटरनेट के माध्‍यम से ऑनलाइन प्‍लेटफॉर्म पर अपनी भागीदारी कर सकते हैं. 

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लोगों को कई तरह की आ रही है परेशानी 

बिहार भूमि सर्वेक्षण के दौरान बहुत से लोगों को परेशानी भी झेलनी पड़ रही है. कई लोगों को पुराने दस्‍तावेज नहीं मिल रहे हैं तो कई लोगों का कहना है कि बंटवारा मौखिक हुआ था. वहीं कई लोगों का कहना है कि जमीन के मामले को लेकर सालों से वह सरकारी कार्यालयों के चक्‍कर लगा रहे हैं तो यह काम इतना जल्‍दी कैसे हो सकेगा. कई लोगों का कहना है कि सरकार के इस सर्वे के लिए कर्मचारियों की कमी है. 

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बता दें कि बिहार में जो खतियान काम में लाया जा रहा है, वह 1910 का है. वहीं कई जगहों पर 1970 और 1980 का खतियान इस्‍तेमाल किया जा रहा है. 

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