बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में बहने वाली कोसी नदी और उसकी सहायक नदियां लालबकेया और बागमती नदियों का जल स्तर बढ़ने की वजह से कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. रक्सौल-दरभंगा रेलवे खंड के कुंडवा चैनपुर थाना इलाके में बाढ़ प्रभावितों के लिए अस्थाई निवास बनाया गया है. घरों में पानी घुस जाने की वजह से ये लोग बेघर हो गए थे. बिहार में कई नदियों पर तटबंध टूटने की खबर भी मिली है. भारत-नेपाल सीमा के पास के जिले बाढ़ से ज्यादा प्रभावित हैं. राज्य के 16 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं, जिनमें पश्चिमी और पूर्वी चंपारण, सीतामढी, मुजफ्फरपुर, सीवान, पटना, जहानाबाद और मधुबनी शामिल हैं.
बिहार के आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा सोमवार को जारी बयान के अनुसार गंडक कोसी, बागमती, महानंदा एवं अन्य नदियों में आयी बाढ़ के कारण 16 जिलों पूर्वी चम्पारण, पश्चिमी चम्पारण, अररिया, किशनगंज, गोपालगंज, शिवहर, सीतामढ़ी, सुपौल, सिवान, मधेपुरा, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, मधुबनी, दरभंगा, सारण एवं सहरसा के 55 प्रखण्डों में 269 ग्राम पंचायतों की करीब 9.90 लाख आबादी प्रभावित हुई है.
सीतामढ़ी जिले का हवाई सर्वेक्षण किया
बयान के अनुसार जल संसाधन विभाग से प्राप्त प्रतिवेदन के अनुसार चार जिलों में सात स्थान पर तटबंध टूटने की घटना घटित हुई है. सीतामढ़ी जिला में बेलसंड प्रखण्ड के अन्तर्गत मधकौल एवं सौली रूपौली तथा रून्नीसैदपुर प्रखण्ड के अन्तर्गत तिलकताजपुर एवं खडुआ में तटबंध टूट गया है. बयान में बताया गया कि पश्चिमी चम्पारण जिला में बगहा-एक प्रखण्ड के अन्तर्गत खैरटवा गांव में तथा शिवहर जिला के तरियानी प्रखण्ड के अन्तर्गत छपरा में एवं दरभंगा जिला के अन्तर्गत किरतपुर प्रखण्ड के भुबोल गांव में कोसी का तटबंध टूट गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर आपदा प्रबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत के नेतृत्व में अधिकारियों की एक टीम ने बाढ़ प्रभावित दरभंगा एवं सीतामढ़ी जिले का हवाई सर्वेक्षण किया.
मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा सोमवार को जारी एक बयान के अनुसार हवाई सर्वेक्षण के पश्चात अधिकारियों की टीम ने दरभंगा के जिलाधिकारी एवं दरभंगा के वरीय पुलिस अधीक्षक के साथ बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया. बयान के मुताबिक अमृत ने दंरभंगा के जिलाधिकारी को मानक परिचालन प्रक्रिया (एसओपी)के अनुसार तत्परतापूर्वक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.
दरभंगा में बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के अध्यक्ष शीर्षत कपिल अशोक एवं भवन निर्माण विभाग के संयुक्त सचिव आशुतोष ने डेरा डाला है. दरभंगा का हवाई सर्वेक्षण करने के बाद आपदा प्रबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव ने सीतामढ़ी जिले के बाढ़ प्रभावित बेलसंड प्रखण्ड का भी हवाई सर्वे किया और अधिकारियों को कार्रवाई करने के निर्देश दिये. आपदा प्रबंधन विभाग के विशेष कार्य पदाधिकारी राहुल कुमार को सीतामढ़ी में तैनात किया गया है.
एनडीआरएफ की अतिरिक्त टीम बुलाई गई
आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जारी बयान के अनुसार बाढ़ से घिरे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की 15-15 टीम तैनात की गई हैं. इसके अतिरिक्त वाराणसी एवं रांची से एनडीआरएफ की तीन-तीन अतिरिक्त टीम बुलाई गई हैं जिन्हें विभिन्न जिलों में राहत एवं बचाव के लिए तैनात किया गया है.
बिहार सरकार ने शनिवार और रविवार को बीरपुर और वाल्मीकिनगर बैराज से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने के बाद राज्य के उत्तरी, दक्षिणी और मध्य भागों में बाढ़ की चेतावनी जारी की थी. हालांकि, गंडक और कोसी नदियों पर वाल्मीकिनगर और वीरपुर में बने बैराज से सोमवार की सुबह अपेक्षाकृत कम पानी छोड़ा गया.
वाल्मीकिनगर बैराज से रविवार को 5.62 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था जबकि सोमवार को सुबह आठ बजे तक पानी छोड़े जाने की मात्रा 1.89 लाख क्यूसेक थी. इसी तरह 29 सितंबर को वीरपुर बैराज से 6.61 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया लेकिन सोमवार की सुबह आठ बजे तक 2.88 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया.
बिहार के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चैधरी ने कहा कि बाढ़ नियंत्रण उपायों के तहत बिहार सरकार ने अब पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, किशनगंज, मधुबनी और सुपौल जिलों में और अधिक बैराज के निर्माण के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार ने हाल ही में बिहार को बाढ़ से संबंधित आपदाओं से निपटने के लिए 11,500 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता की घोषणा की है. राज्य में नदी पुनरुद्धार कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताते हुए चैधरी ने कहा, ‘‘राज्य सरकार ने मृत नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए कई उपाय किए हैं, लेकिन यह केंद्र के साथ-साथ अन्य राज्यों द्वारा समन्वित तरीके से किया जाना चाहिए. नदी में भारी गाद जमा होने से नदी का प्रवाह धीमा हो जाता है जिससे कुछ नदियों के अस्तित्व के लिए बड़ी चुनौती पैदा हो जाती है. केंद्र को जल्द से जल्द राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति बनानी चाहिए क्योंकि इससे राज्य को गंगा, अन्य नदियों और झीलों से गाद हटाने के काम में मदद मिलेगी.''
आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जारी बयान के अनुसार गंडक, कोसी, बागमती, महानंदा एवं अन्य नदियों के जलस्तर में कमी आ रही है. अगले कुछ दिनों तक जलस्तर पर लगातार निगरानी रखने का निर्देश दिया गया है.
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