- बिहार की सिंघेश्वर सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित और राजनीतिक रूप से संवेदनशील है.
- 2020 के चुनाव में राजद के चंद्रहास चौपाल ने जदयू के उम्मीदवार को हराकर त्रिकोणीय मुकाबले में जीत हासिल की थी.
- 2024 के चुनाव में बाढ़ नियंत्रण, कृषि संकट, दलित अधिकार और धार्मिक पर्यटन जैसे मुद्दे प्रमुख रहेंगे.
बिहार के मधेपुरा जिले की सिंघेश्वर विधानसभा सीट चुनावी समर में बेहद चर्चा में रही. हालांकि इस सीट पर जेडीयू ने जीत दर्ज की है. जेडीयू उम्मीदवार रमेश ऋषि ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी राजद उम्मीदवार चंद्रहास चौपाल को 2982 मतों के अंतर से शिकस्त दी है. यहां पर रमेश ऋषि को 1,06,416 मत मिले तो चौपाल को 1,03,434 मत मिले. वहीं तीसरे स्थान पर निर्दलीय उम्मीदवार वीरेंद्र कुमार शर्मा रहे. बिहार चुनाव के पहले चरण में सिंघेश्वर सीट पर वोटिंग हुई. इस सीट पर 69.45 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था.
अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है और सामाजिक-धार्मिक महत्व के साथ-साथ राजनीतिक रूप से भी बेहद संवेदनशील मानी जाती है.
2005 से 2015 तक लगातार चार बार जदयू जीती
राजनीतिक दृष्टि से सिंघेश्वर विधानसभा सीट की भूमिका अहम रही है. 1977 में पहली बार चुनाव हुए और अब तक 12 बार चुनाव संपन्न हो चुके हैं, जिनमें 1981 का उपचुनाव भी शामिल है. 2005 से 2015 तक लगातार चार बार जदयू ने यहां जीत दर्ज की, लेकिन 2020 के चुनाव में यह सिलसिला टूट गया.
उस वर्ष राजद के चंद्रहास चौपाल ने जदयू के नरेंद्र नारायण यादव को 5,573 मतों से हराकर नया इतिहास रच दिया. यह उन 25 सीटों में से एक थी, जहां चिराग पासवान की लोजपा ने एनडीए से अलग होकर केवल जदयू को नुकसान पहुंचाने की रणनीति अपनाई थी. दिलचस्प रूप से लोजपा को मिले वोटों की संख्या राजद की जीत के अंतर से 34 ज्यादा थी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि त्रिकोणीय मुकाबला यहां निर्णायक साबित हुआ.














