- बिहार चुनाव को लेकर राजनीतिक बहस उतनी ही गर्म है जितनी क्रिकेट मैचों के दौरान होती है.
- चुनाव में कार्यकर्ता, प्रत्याशी और नेता की भूमिका क्रिकेट के बल्लेबाज, गेंदबाज जैसी महत्वपूर्ण मानी जाती है.
- पूर्णिया के कई विधानसभा क्षेत्रों में अनुभवी और नए प्रत्याशी जीत के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं.
यह अजीब इत्तफाक है, बिहार के लोग राजनीतिक रूप से संवेदनशील हैं.यहां के लोगों में क्रिकेट के प्रति भी कम दीवानगी नहीं है. अभी अभी भारत-ऑस्ट्रेलिया एकदिवसीय क्रिकेट सीरीज समाप्त हुआ है, जिसमें हार-जीत को लेकर तर्क-वितर्क जारी है. तो दूसरी ओर युवा हो या बुजुर्ग, उनके बीच चाय की दुकान या गांव के दलान पर बिहार चुनाव को लेकर भी गर्मागर्म बहस सुनने को मिल जाती है. गौर करने की बात यह है कि चुनाव और क्रिकेट मैच में बड़ी समानता है. मसलन जिस तरह क्रिकेट में बल्लेबाज, गेंदबाज और क्षेत्ररक्षक की भूमिका अहम होती है वैसे ही चुनाव में कार्यकर्ता,प्रत्याशी और नेता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है.
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मैच की तरह बिहार चुनाव भी रोमांचक होगा
चुनाव हो या मैच, दोनों में अंतिम लक्ष्य जीत ही होती है.मैच में दर्शक तो चुनाव में मतदाता महत्वपूर्ण होते हैं. जैसे मैच की आखिरी गेंद तक रोमांच बना रहता है वैसे ही न केवल मतदान तक बल्कि काउंटिंग के दौरान अंतिम चक्र तक समर्थकों की दिल की धड़कन बढ़ी रहती है.उसी तरह ,जैसे क्रिकेट मैच में कैच छूटने या रनआउट होने से मैच का परिणाम बदल जाता है चुनाव में मतों के विभाजन से या किसी गलत बयानी से भी जीता हुआ चुनाव भी प्रत्याशी हार जाते हैं. मैच में जीत हुई तो जश्न और हार मिली तो समीक्षा, उसी तरह चुनाव में भी जश्न और समीक्षा की परंपरा रही है. पूर्णिया के 7 विधानसभा क्षेत्र में भी चुनाव के मौके पर क्रिकेट मैच की तरह ही मैदान सजा हुआ है. कोई सातवी तो कोई पांचवी जीत के लिए नेट-प्रैक्टिस में जुटा है तो चुनावी डेब्यू करने वाले युवा प्रत्याशियों की चाहत पहली पारी में ही रिकॉर्ड अपने नाम करने की तमन्ना है.
वहीं, कई ऐसे राजनीतिक खिलाड़ी हैं, जिन्हें अब भी खाता खुलने का इंतजार है. कुल मिलाकर मुकाबला दिलचस्प है और मतदाता 'अंपायर' की भूमिका में है. कौन बनेगा विनर और कौन रनर, फैसला 14 नवंबर को तय होगा.
अब्दुल जलील मस्तान और बीमा भारती सबसे लंबी पारी खेलने को तैयार
क्रिकेट की तरह यहां भी चुनावी मैच में सुनील गावस्कर और सचिन तेंदुलकर जैसे खिलाड़ी मौजूद हैं.अमौर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी अब्दुल जलील मस्तान मैदान में डटे हुए हैं. वह अगर इस बार जीतते हैं तो यह उनकी 7वीं जीत होगी जो एक रिकॉर्ड होगा. वहीं, रुपौली के चुनावी मैदान में लालटेन लिए बीमा भारती खड़ी है. जीतने पर यह उनकी छठी जीत होगी. इसी तरह बायसी से राजद प्रत्याशी हाजी अब्दुस सुब्हान,बनमनखी (सु) से भाजपा के कृष्ण कुमार ऋषि और धमदाहा से जेडीयू की लेशी सिंह और कसबा से निर्दलीय आफाक आलम अगर अपने मंसूबे में कामयाब होते हैं तो इन सभी प्रत्याशी की 5वीं जीत होगी. इसी तरह पूर्णिया सदर से बीजेपी के विजय कुमार खेमका ,रुपौली से निर्दलीय शंकर सिंह और अमौर से जेडीयू के सबा जफर हैट्रिक की तैयारी में जुटे हुए हैं.
जितेंद्र, नितेश और आमोद को पहली पारी में शतक जड़ने की चाहत
मैच डेब्यू करने वाले हर खिलाड़ी की चाहत होती है कि वे पहली मैच में शतक जड़ दें. लेकिन, हर किसी के सितारे मो अजहरुद्दीन, शिखर धवन या रोहित शर्मा की तरह बुलंद नहीं होते हैं. पूर्णिया के चुनावी मैच में भी कई नए चेहरे डेब्यू कर रहे हैं और मतदाताओं के बीच उनके नाम की चर्चा भी हैं. इनमें से कोई शतक जड़ने में भी कामयाब हो जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए. जितेंद्र कुमार पूर्णिया सदर विधानसभा क्षेत्र से पहली बार कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में हैं. उनका सीधा मुकाबला भाजपा प्रत्याशी विजय खेमका से है. इसी तरह कसबा विधानसभा लोजपा(आर)प्रत्याशी नितेश सिंह और यही से कांग्रेस प्रत्याशी मो इरफान आलम भी चर्चा में हैं. इन दोनों की चर्चा अचानक टिकट मिल जाने को लेकर अधिक है. रुपौली से जनसुराज के आमोद कुमार ,पूर्णिया सदर से जनसुराज के संतोष सिंह और बनमनखी से जनसुराज के ही मनोज कुमार ऋषि जैसे अन्य दर्जनों निर्दलीय प्रत्याशी हैं जो चुनावी मैच में डेब्यू कर रहे हैं. सभी नेट -प्रैक्टिस में लगातार पसीना बहा रहे हैं।
राजेन्द्र, कलाधर और विनोद को खाता खुलने का इंतजार
क्रिकेट की तरह ही चुनाव भी अनिश्चितताओं का खेल है. मेहनत और किस्मत का साथ रहा तो अर्श पर नहीं तो गुमनामी के अंधेरे में खो जाना तय होता है. कसबा विधानसभा से निर्दलीय प्रत्याशी राजेन्द्र यादव दूसरी बार किस्मत आजमा रहे हैं. बीते चुनाव में वे यहां से हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा अर्थात एनडीए प्रत्याशी थे और इस बार बेटिकट हो गए. उन्हें विश्वास है कि इस बार खाता खुलेगा. कलाधर मण्डल दूसरी बार रूपौली से जेडीयू प्रत्याशी हैं और वर्ष 2024 के उपचुनाव में वे रनआउट हो गए थे. बायसी से भाजपा प्रत्याशी विनोद कुमार को तीसरी बार बैटिंग का मौका मिला है, देखना दिलचस्प होगा कि इस बार खाता खुल पाता है या नहीं. कसबा से एआईएमआईएम के शाहनवाज आलम पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं और खाता खोलने में अब तक कामयाब नहीं हो सके हैं. बहरहाल, चुनावी-मैच की उल्टी गिनती शुरू है. किसे मिलेगा जीत का शील्ड और कौन मैदान में आंसू बहायेगा, यह भविष्य के गर्भ में है.













