- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बिहार विधानसभा चुनाव में पटना के दानापुर और सहरसा में दो जनसभाएं कर रहे हैं
- योगी की रैलियां सीमांचल और कोशी क्षेत्र में हिंदुत्व के आधार पर वोट बैंक मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा हैं
- भाजपा और एनडीए ने बिहार चुनाव में अब तक किसी भी मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया है
बिहार विधानसभा चुनाव में आज से योगी आदित्यनाथ की एंट्री हो रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज बिहार में दो जनसभाएं करेंगे पहली पटना के दानापुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी रामकृपाल यादव के समर्थन में और दूसरी सहरसा में डॉ. आलोक रंजन के समर्थन में. सहरसा का इलाका कोशी-सीमांचल बेल्ट से सटा हुआ है, जहां मुस्लिम वोटरों की तादाद ज्यादा है. ऐसे में योगी की यह एंट्री बीजेपी की रणनीतिक चाल मानी जा रही है. हिंदुत्व के मुद्दे पर वोटर्स को मजबूत करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.
गौरतलब है कि बीजेपी ने अब तक जारी प्रत्याशियों की सूची में किसी भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है. यहां तक की अब तक एनडीए की तरफ से भी किसी मुस्लिम चेहरे को टिकट नहीं दिया गया है. वहीं ओवैसी की पार्टी AIMIM महागठबंधन से सीटें न मिलने के बाद मैदान में उतर चुकी है, जिससे मुकाबला और दिलचस्प हो गया है.
योगी की रैली पर सबकी होगी नजर
बिहार विधानसभा चुनाव में अब माहौल पूरी तरह गरमाने लगा है. गुरुवार से बीजेपी की ओर से प्रचार अभियान का सबसे ‘हार्ड हिंदुत्व' चेहरा मैदान में उतर रहा है उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. पार्टी ने चुनावी रणनीति के तहत योगी की रैलियों को खास तौर पर सीमांचल और कोशी के इलाकों में केंद्रित किया है, जहां धार्मिक ध्रुवीकरण का असर सीधा वोटों पर पड़ सकता है.
योगी आदित्यनाथ आज पटना और सहरसा में दो बड़ी रैलियां करेंगे. पहली रैली पटना के दानापुर विधानसभा क्षेत्र में होगी, जहाँ वे बीजेपी प्रत्याशी रामकृपाल यादव के समर्थन में जनता से वोट मांगेंगे. इसके बाद दूसरी सभा सहरसा में होगी, जहां वे डॉ. आलोक रंजन के पक्ष में जनसभा को संबोधित करेंगे.
सहरसा में क्यों हो रही है रैली?
सहरसा की रैली पर सबसे ज्यादा नजरें हैं क्योंकि यह इलाका सीमांचल के करीब है. वह इलाका जो मुस्लिम आबादी और ओवैसी की सक्रियता के लिए जाना जाता है. AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी हाल के दिनों में बिहार के कई जिलों में लगातार रैलियां कर रहे हैं और कई सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार चुके हैं. ऐसे में बीजेपी योगी के माध्यम से अपने समर्थक वर्ग को एकजुट करने और हिंदुत्व की लहर को पुनर्जीवित करने की कोशिश में है.
इस चुनाव में एनडीए की तरफ से अब तक जारी प्रत्याशियों की सूची में किसी भी मुस्लिम उम्मीदवार को जगह नहीं मिली है.राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, योगी की रैलियां न सिर्फ बीजेपी कार्यकर्ताओं के लिए ‘मोटिवेशन डोज़' हैं, बल्कि ओवैसी के खिलाफ ‘नैरेटिव बैटल' भी हैं.
दानापुर में रीतलाल यादव को चुनौती दे रहे हैं रामकृपाल यादव
दानापुर में योगी की एंट्री को भी अहम माना जा रहा है. रामकृपाल यादव के सामने बाहुबली रीतलाल यादव की चुनौती होगी. योगी को कानून व्यवस्था के लिए जाना जाता है. ऐसे में बीजेपी की तरफ से रीतलाल यादव को संदेश देने की कोशिश है.
बिहार में 20 से अधिक रैली करेंगे योगी
बीजेपी की योजना के मुताबिक योगी आदित्यनाथ आने वाले दिनों में बिहार में 20 से अधिक चुनावी रैलियां करेंगे. पार्टी के सूत्रों का कहना है कि योगी की लोकप्रियता और उनकी सख्त छवि को देखते हुए बिहार के कई प्रत्याशी उनके प्रचार की मांग कर रहे हैं. खासकर उन सीटों पर, जहां मुकाबला त्रिकोणीय या चौकोणीय हो सकता है, योगी का चेहरा बीजेपी के लिए वोट जुटाने वाला फैक्टर बन सकते हैं.
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि सीमांचल की रैलियों के पीछे बीजेपी का मकसद केवल वोट बैंक मजबूत करना नहीं, बल्कि एक बड़ा संदेश देना है कि पार्टी अपने वैचारिक एजेंडे से पीछे नहीं हट रही है.