बिहार चुनाव: महागठबंधन में तकरार! कांग्रेस की नजर लेफ्ट की सीटों पर, मुकेश सहनी ने भी 60 सीटों पर किया दावा

कांग्रेस इस बार जिन सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है उनमें 7 सीटें ऐसी है जहां पिछली बार लेफ्ट पार्टियां चुनाव लड़ी थी. कांग्रेस इन सीटों पर काम कर रही है. इनमें 3 सीटें सीपीआई के खाते की हैं, 3 माले के खाते की और 1 सीट सीपीआई (एम) के खाते की है.

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  • बिहार में चुनाव से पहले महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर अभी तक अंतिम निर्णय नहीं हुआ है
  • कांग्रेस कई ऐसी सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है जहां पिछली बार लेफ्ट पार्टियों के हार का अंतर कम रहा था
  • सीपीआई के कोटे की हरलाखी, झंझारपुर और बछवाड़ा सीटों पर कांग्रेस और सीपीआई के बीच विवाद है
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पटना:

बिहार में चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं लेकिन दोनों ही गठबंधन में अब तक सीट शेयरिंग को लेकर अंतिम फैसला नहीं हुआ है. महागठबंधन में कुछ नए दल शामिल होने वाले हैं. पुराने दलों की भी महत्वाकांक्षाएं बड़ी है. मुकेश सहनी 60 सीटों का दावा कर रहे हैं, माले 40 सीटों की मांग कर रही है और सीपीआई ने 24 सीटों की लिस्ट तेजस्वी यादव को सौंप दी है. कांग्रेस बार-बार यह बात दोहरा रही है कि अच्छी - बुरी सीटों का बंटवारा सभी दलों में समान रूप से होना चाहिए.

कांग्रेस इस बार जिन सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है उनमें 7 सीटें ऐसी है जहां पिछली बार लेफ्ट पार्टियां चुनाव लड़ी थी. कांग्रेस इन सीटों पर काम कर रही है. इनमें 3 सीटें सीपीआई के खाते की हैं, 3 माले के खाते की और 1 सीट सीपीआई (एम) के खाते की है. कांग्रेस की रिपोर्ट में इन सीटों पर जीत की संभावना है, इसलिए पार्टी यह सीटें चाहती हैं. पार्टी पिछले बार के स्ट्राइक रेट को बेहतर करना चाहती है. इसलिए पिछली बार लड़ी कई सीटों को छोड़कर, नई सीटों पर उसकी नजर है.

किन-किन सीटों पर है विवाद?

सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस सीपीआई के कोटे की हरलाखी, झंझारपुर, बछवाड़ा सीट चाहती है. हरलाखी से सीपीआई के राज्य सचिव रामनरेश पांडे चुनाव लड़ते हैं. बछवाड़ा की सीट सीपीआई काफी कम अंतर से हारी थी. कांग्रेस के बागी उसकी एक अहम वजह थे. सीपीआई के अवधेश राय 434 वोट से चुनाव हारे थे. कांग्रेस के बागी शिवप्रकाश गरीबदास को 39 हजार 878 वोट मिले थे. शिवप्रकाश गरीबदास को अब कांग्रेस ने यूथ कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. झंझारपुर सीट से सीपीआई बड़े अंतर से हारी थी.

कांग्रेस की नजर जीतने वाली सीटों पर

कांग्रेस सीपीएम के कोटे की मटिहानी सीट चाहती है. यह इकलौती सीट थी जहां लोजपा जीती थी. यहां मुकाबला त्रिकोणीय हुआ था. लोजपा के राजकुमार सिंह को 61 हजार 364 वोट मिले थे, जदयू के नरेंद्र सिंह को 61 हजार 31 वोट मिले थे. सीपीएम के 60 हजार 599 वोट मिले थे. पहले और तीसरे स्थान के उम्मीदवारों के बीच 1 हजार वोट का भी अंतर नहीं था. इसके अलावा माले के खाते की वारिसनगर, औराई और भोरे सीट मांग रही है. इसमें भोरे की सीट पर माले सिर्फ 462 मतों से चुनाव हारी थी.

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि पिछली बार हमें कई वैसी सीटें मिली थी, जहां महागठबंधन कमजोर था. वहां कोई भी पार्टी चुनाव लड़ती तो अच्छा प्रदर्शन नहीं रहता. इसलिए सीटों के बंटवारे में फिल्टर जरूरी है. हम इस पर फोकस करेंगे.

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