बिहार चुनाव 2025: RJD के पोस्टर के बहाने PM मोदी ने युवा वोटरों को साधने की कोशिश की या खेला एमोशनल कार्ड!

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चुनावी सभा को संबोधित करते हुए राजद के पोस्टर पर लालू प्रसाद का फोटो नहीं रहने पर निशाना साधते हुए कहा कि वह कौन सा पाप है जिसे राजद वाले बिहार के युवाओं से छिपा रहे हैं?

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(फाइल फोटो)
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  • PM मोदी ने कटिहार में RJD के पोस्टर पर लालू प्रसाद की फोटो नहीं होने पर सवाल उठाए और जंगलराज का आरोप लगाया
  • बिहार में कुल मतदाताओं में लगभग पच्चीस प्रतिशत युवा वोटर हैं, जो चुनाव परिणाम पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं
  • RJD ने रणनीतिक कारणों से पोस्टरों पर तेजस्वी यादव की तस्वीर को प्रमुखता दी ताकि जंगलराज के आरोप से दूरी बन सके
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पूर्णिया:

बिहार विधानसभा के चुनावी विसात पर मंच से वार-पलटवार जारी है. एनडीए और महागठबंधन के स्टार प्रचारक न केवल भविष्य के अपने वादे -इरादे मतदाताओं को बता रहे हैं बल्कि राजनीतिक अतीत के पन्नों को भी पलटने में कोताही नहीं कर रहे हैं. पता नहीं, कौन सी बातें और कौन से वादे राजनीतिक-सुर साधने में मददगार साबित हो जाए. सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कटिहार की चुनावी -सभा मे राष्ट्रीय जनता दल पर हमला करते हुए सवाल उठाया कि आखिर क्यों राजद के पोस्टर में लालू प्रसाद की फोटो नहीं है?

राजद वाले बिहार के युवाओं से कौन सा पाप छिपा रहे हैं. यह हमला अप्रत्याशित इसलिए नहीं था कि एनडीए के नेताओं के निशाने पर सबसे पहले राजद और फिर कांग्रेस होता है. लेकिन, बड़ा सवाल यह है कि आखिर पीएम मोदी ने लालू प्रसाद के फोटो के बहाने जंगलराज को क्यों याद किया. क्या पीएम मोदी ने इस बहाने बिहार के लगभग 25 फीसदी युवा वोटरों को साधने का प्रयास किया है या पिता की उपेक्षा को मुद्दा बनाकर उन्होंने इमोशनल कार्ड खेला है. पीएम मोदी का यह राजनीतिक दाव कितना प्रभावी साबित होता है, यह चुनाव परिणाम ही तय करेगा लेकिन बहरहाल राजद और तेजस्वी के लिए इस वार का पलटवार ढूंढना आसान नही है.

किस तरह पीएम मोदी ने राजद को बनाया निशाना

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चुनावी सभा को संबोधित करते हुए राजद के पोस्टर पर लालू प्रसाद का फोटो नहीं रहने पर निशाना साधते हुए कहा कि वह कौन सा पाप है जिसे राजद वाले बिहार के युवाओं से छिपा रहे हैं, जो उनके पोस्टर में तेजस्वी यादव की बड़ी तस्वीर है लेकिन लालू प्रसाद की फोटो नहीं है या फिर इतनी छोटी है कि दूरबीन से भी नहीं दिखे. उन्होंने यह भी सवाल किया कि अपने पिता का नाम बोलने और छपवाने में इतनी शर्म क्यों आ रही है? उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग सालोंसाल मुख्यमंत्री रहे और जिन पर जंगलराज के आरोप लगे, उनकी तस्वीरें पोस्टर से छिपा दी गई हैं.

युवा मतदाताओं को साधने की कोशिश या इमोशनल कार्ड

दरअसल, बिहार में कुल मतदाताओं की संख्या 7.42करोड़ है. इसमें से युवा वोटरों (20-29 वर्ष) की संख्या लगभग 1.63 करोड़ के करीब है. पहली बार मतदाता बने युवाओं की संख्या 14.01 लाख है. जाहिर है कि लगभग 25 फीसदी युवा मतदाता चुनाव के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है. अनुपातिक रूप से भले ही यह संख्या बहुमत की श्रेणी में नहीं आती है लेकिन यह हर दल को पता है कि युवा मतदाता काफी हद तक चुनावी परिणाम की दिशा और दशा तय करते हैं क्योंकि यह प्रभावी वर्ग है. ऐसे में राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पीएम मोदी राजद के पोस्टर पर लालू प्रसाद की तस्वीर के बहाने युवा मतदाताओं को जंगलराज की याद दिलाना चाहते हैं. वह इमोशनल कार्ड के जरिये बताना चाहते हैं कि तेजस्वी अपने बुजुर्ग पिता की उपेक्षा कर रहे हैं. सामान्यतया, सामाजिक दायरे में पिता की अनदेखी को अच्छी नजर से नहीं देखा जाता है.

पाप छुपाने के आरोप के क्या हैं मायने

पीएम मोदी जब पाप छुपाने के आरोप लगाते हैं तो उनका आशय लालू प्रसाद -राबड़ी देवी के मुख्यमंत्रित्वकाल से होता है जिसे एनडीए के लोग जंगलराज कहते रहे हैं. राजद का बिहार में शासन काल वर्ष 1990 से 2005 तक रहा था. इस समय जो युवा मतदाता हैं उसमें से अधिकांश का उस वक्त जन्म भी नही हुआ होगा या फिर उनका बालपन रहा होगा. अर्थात कथित जंगलराज से वे अनभिज्ञ हैं. एनडीए का इस चुनाव में भी जंगलराज एक मुद्दा है. एनडीए युवा मतदाताओं को जंगलराज से वाकिफ कराना चाहता है.

जानकार बताते हैं कि, एनडीए के इसी आरोप से दूरी बनाए रखने के लिए रणनीति के तहत राजद ने अपने पोस्टरों में लालू प्रसाद की जगह तेजस्वी को तरजीह देने का काम किया है. इसकी वजह यह है कि तेजस्वी यादव युवाओं के बीच लोकप्रिय हैं और महागठबन्धन के सीएम फेस भी हैं. अगर राजद के पोस्टरों पर लालू प्रसाद को प्रमुखता दी जाती तो निश्चित रूप से एनडीए के लिए जंगलराज को मुद्दा बनाना आसान हो जाता. हालांकि, वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में भी एनडीए ने महागठबन्धन के खिलाफ जंगलराज को ही चुनावी मुद्दा बनाया था लेकिन अधिक कारगर साबित नहीं हुआ था और राजद सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई थी.

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