सियासी दोस्‍ती में LJPR को सीट कुर्बान, 'घर का नेता, घर का बेटा' वाले BJP नेता हुए बेदखल?

सूत्रों के मुताबिक, एनडीए के सीट बंटवारे में हिसुआ सीट लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को दे दी गई है और इस सियासी दोस्ती में बीजेपी के पूर्व विधायक अनिल सिंह का सियासी कत्ल हो गया है.

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अनिल सिंह (बाएं) और धीरेंद्र कुमार सिन्हा मुन्ना (दाएं)
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  • सूत्रों के मुताबिक, बिहार की हिसुआ सीट लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को एनडीए के सीट बंटवारे में दी गई है.
  • हिसुआ से LJPR के राष्ट्रीय प्रवक्ता धीरेंद्र कुमार सिन्हा मुन्ना का नाम उम्मीदवार के रूप में सामने आ रहा है.
  • अनिल सिंह ने तीन बार हिसुआ सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव में जीत दर्ज की थी.
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नवादा:

बिहार के नवादा जिले की हिसुआ सीट पर तीन बार भाजपा ने जीत दर्ज की है. हालांकि सूत्रों के मुताबिक, एनडीए के सीट बंटवारे में हिसुआ सीट लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को दे दी गई है और इस सियासी दोस्ती में बीजेपी के पूर्व विधायक अनिल सिंह का सियासी कत्ल हो गया है. अनिल सिंह बीजेपी के प्रबल दावेदार बताए जा रहे थे. नामांकन की तैयारी कर रहे थे. 17 अक्‍टूबर को नामांकन भरने की घोषणा भी कर दी गई थी. हालांकि एनडीए सीट शेयरिंग में यह सीट भाजपा के ही खाते में नहीं रही है.  

हिसुआ सीट पर LJPR के राष्ट्रीय प्रवक्ता धीरेंद्र कुमार सिन्हा मुन्ना का नाम आ रहा है. धीरेंद्र कुमार मुन्ना नवादा जिले के रजौली विधानसभा क्षेत्र के रजौली थाना क्षेत्र के महबतपुर गांव के रहने वाले हैं. मुन्ना इसके पहले दो बार नवादा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में धीरेंद्र मुन्ना ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था और 9 हजार 684 मतों के साथ चौथे स्थान पर रहे थे. वहीं 2019 उपचुनाव में उन्‍होंने हिंदुस्‍तानी अवाम मोर्चा से चुनाव लड़ा और करीब 36 हजार मतों के अंतर से दूसरे स्थान पर रहे थे. उस वक्‍त जदयू के कौशल यादव ने जीत दर्ज की थी.

'घर का बेटा, घर का नेता' का दिया था नारा

हिसुआ के पूर्व विधायक अनिल सिंह घर का बेटा, घर का नेता का नारा के लिए चर्चित रहे हैं. 2009 के लोकसभा चुनाव के समय से अनिल सिंह यह नारा देते रहे हैं. इसके चलते स्थानीय सांसदों के निशाने पर रहे हैं. नवादा संसदीय क्षेत्र से ज्यादातर सांसद बाहरी निर्वाचित होते रहे हैं. 2009 में बेगूसराय के डॉ. भोला सिंह, 2014 में बरहिया के गिरिराज सिंह, 2019 में मोकामा के चंदन सिंह और 2024 में पटना के विवेक ठाकुर निर्वाचित हुए हैं. अब अनिल सिंह के समक्ष ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है कि वह अपने गृह विधानसभा क्षेत्र से बेदखल हो गए लगते हैं. हालांकि अनिल सिंह के समर्थक कह रहे हैं कि वह निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं.

3 बार BJP से निर्वाचित हुए अनिल सिंह

हिसुआ सीट कांग्रेस का गढ़ रहा है. 1957 से 2020 तक 16 चुनाव हुए. सर्वाधिक नौ दफा कांग्रेस का कब्जा रहा है. तीन दफा निर्दलीय की जीत दर्ज हुई. 1977 में जनता पार्टी की जीत हुई थी. तीन बार बीजेपी की जीत हुई है. 2005 से 2015 तक हुए तीन दफा चुनाव में बीजेपी से अनिल सिंह निर्वाचित हुए थे. 2020 के चुनाव में अनिल सिंह दूसरे स्थान पर रहे थे. नीतू देवी कांग्रेस से निर्वाचित हुई और अनिल सिंह को 17 हजार 91 मतों के अंतर से हार झेलनी पड़ी थी.  

जनता पार्टी और जनसंघ के जमाने की सीटें

सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी ने सियासी दोस्ती के लिए जनसंघ और जनता पार्टी के जमाने की सीटें LJP-R को दे दी है. हिसुआ और ब्रह्मपुर सीट जनता पार्टी के जमाने की सीट रही हैं, जबकि गोविंदगंज जनसंघ जमाने की सीट रही है. बक्सर जिले की ब्रह्मपुर सीट से 1977 में जनता पार्टी जीती थी और 1990 में बीजेपी. वहीं 2010 में ब्रह्मपुर सीट से बीजेपी के दिवंगत नेता कैलाशपति मिश्रा की पुत्रवधू दिलमनी देवी निर्वाचित हुई थी. 2015 और 2020 से इस सीट पर राजद का कब्जा है. 

दूसरी तरफ, मोतिहारी की गोविंदगंज सीट बीजेपी की जनसंघ जमाने की सीट रही है. 1969 में भारतीय जनसंघ के हरि शंकर शर्मा निर्वाचित हुए थे. 2020 के चुनाव में बीजेपी के सुनील मनी तिवारी निर्वाचित हुए थे. हालांकि 2015 में एलजेपी के राजू तिवारी निर्वाचित हुए थे. राजू तिवारी LJP-R के प्रदेश अध्यक्ष हैं. हालांकि सूत्र बताते हैं कि अब यह सीट LJP-R को दी गई है.
 

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