बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सभी राजनीतिक पार्टियां एक-एक सीट के लिए जोर-आजमाइश में लगी हैं. ऐसे में बेगूसराय जिले की साहेबपुर कमाल विधानसभा सीट भी काफी महत्वपूर्ण है. यह सीट बेगूसराय के सात विधानसभा क्षेत्रों- चेरिया बरियारपुर, बछवाड़ा, तेघरा, मटिहानी, साहेबपुर कमाल, बेगूसराय और बखरी (एससी) में से एक है.
क्या खास मुद्दे हैं?
गंगा नदी के किनारे बसा साहेबपुर कमाल कृषि प्रधान क्षेत्र है. चावल, गेहूं और मक्का की खेती यहां की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जो पीढ़ियों से चली आ रही है. बरौनी औद्योगिक क्षेत्र की निकटता के बावजूद 80 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है. बाढ़ और सिंचाई की कमी यहां चुनौतियां बनी हुई हैं, लेकिन 2022 में स्वीकृत नदी पुल परियोजना से उम्मीदें जगी हैं. स्थानीय मुद्दों की बात करें तो इसमें बाढ़ नियंत्रण, रोजगार, प्रवासन और पुल परियोजना प्रमुख होंगे.
वोटों का गणित क्या है?
राजनीतिक रूप से साहेबपुर कमाल बिहार की नई विधानसभा सीटों में शुमार है. इसकी स्थापना 2008 के परिसीमन के बाद हुई. यह बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र में है. साहेबपुर कमाल विधानसभा क्षेत्र की कुल जनसंख्या 4,35,560 है, जिसमें 2,27,732 पुरुष और 2,07,828 महिलाएं शामिल हैं. मतदाता सूची में कुल 2,68,879 वोटर दर्ज हैं, जिनमें 1,41,320 पुरुष, 1,27,553 महिलाएं और 6 थर्ड जेंडर मतदाता हैं.
कब-कब किसका रहा दबदबा?
2010 के पहले साहेबपुर कमाल के चुनाव में जनता दल (यूनाइटेड) ने जीत दर्ज की थी, लेकिन उसके बाद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने 2014 के उपचुनाव समेत तीन बार कब्जा जमाया.
2014 का उपचुनाव तब हुआ, जब जेडीयू विधायक परवीन अमानुल्लाह ने नीतीश कुमार सरकार और पार्टी से इस्तीफा देकर आम आदमी पार्टी (आप) का दामन थामा. परवीन ने राजद के श्रीनारायण यादव को 11,111 वोटों से हराया. बाद में यादव ने 2014 और 2015 में सीट वापस जीती.
2020 में राजद के सत्यनंद सम्बुद्ध ने जेडीयू के राकेश कुमार को 14,225 वोटों से हराकर जीत हासिल की. 2020 से ठीक पहले, लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) ने एनडीए छोड़ा और साहेबपुर कमाल से उम्मीदवार उतारा. इससे जेडीयू के मतदान प्रतिशत पर असर पड़ा. अब चिराग पासवान की एलजेपी (रामविलास) एनडीए में लौट चुकी है. 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को यहां 1,453 वोटों की मामूली बढ़त मिली थी.
इस बार माहौल क्या है?
साहेबपुर कमाल का सबसे सकारात्मक पहलू बढ़ता मतदान प्रतिशत है. 2015 में यह 58.57 प्रतिशत था, जो 2019 लोकसभा चुनाव में 62.33 प्रतिशत और 2020 विधानसभा चुनाव में 62.87 प्रतिशत हो गया. कुल 1,56,563 वोट पड़े थे.