रुन्नी सैदपुर विधानसभा: बाढ़, बेरोजगारी, और पलायन जैसे मुद्दों पर हमेशा से पड़ा है वोट

यह विधानसभा एक कृषि-प्रधान क्षेत्र है, जहां अधिकांश लोग खेती और उससे जुड़े व्यवसायों पर निर्भर हैं. यहां धान, गेहूं, मक्का, और गन्ना जैसी फसलें प्रमुख हैं. यहां के उपजाऊ मैदान खेती के लिए अनुकूल हैं.

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रुन्नी सैदपुर:

बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से एक रुन्नी सैदपुर विधानसभा बिहार के सीतामढ़ी जिले में स्थित है. यह क्षेत्र अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, सीता माता से जुड़े धार्मिक महत्व और विविध सामाजिक-आर्थिक संरचना के लिए जाना जाता है. बिहार विधानसभा चुनाव में रुन्नीसैदपुर सीट की सियासत जातीय समीकरणों, स्थानीय मुद्दों और विकास के वादों के इर्द-गिर्द घूमती है. यह सीट कभी कांग्रेस का गढ़ रही थी, लेकिन समय के साथ यहां समाजवादी दलों और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) का प्रभाव बढ़ा है. इस बार के चुनाव में सीतामढ़ी सीट 67.17 फीसदी मतदान हुआ है. वहीं अगर बात इस सीट पर मुकाबले की करें तो यहां इस बार आरजेडी और जेडीयू के बीच सीधा मुकाबला है. आरजेडी ने इस सीट से चंदन कुमार को मैदान में उतारा है. वहीं, जेडीयू ने पंकज मिश्रा पर अपना दांव खेला है.

वर्तमान में जदयू का इस सीट पर कब्जा है और इस बार के चुनाव में एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर की उम्मीद है. जदयू जहां एक बार फिर इस सीट को निकालने की कोशिश करेगी, वहीं राजद इस सीट पर जीत हासिल करने के लिए एक ऐसे चेहरे की तलाश करेगी, जिसकी जनता के बीच छवि अच्छी हो.

इस क्षेत्र में बाढ़, बेरोजगारी, और पलायन जैसे मुद्दे पूर्व के विधानसभा चुनावों में हावी रहे हैं. इस चुनाव में ये मुद्दे प्रभावी रहेंगे.रुन्नीसैदपुर में बाढ़ और कटाव सबसे बड़ी समस्या है, क्योंकि यह क्षेत्र कई नदियों के किनारे बसा है. हर साल बाढ़ से फसलें नष्ट होती हैं और लोग विस्थापन का दंश झेलते हैं. बेरोजगारी और पलायन भी प्रमुख मुद्दे हैं, क्योंकि युवा रोजगार के लिए बड़े शहरों या अन्य राज्यों की ओर रुख करते हैं. शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी भी मतदाताओं के लिए चिंता का विषय है.

यह विधानसभा एक कृषि-प्रधान क्षेत्र है, जहां अधिकांश लोग खेती और उससे जुड़े व्यवसायों पर निर्भर हैं. यहां धान, गेहूं, मक्का, और गन्ना जैसी फसलें प्रमुख हैं. यहां के उपजाऊ मैदान खेती के लिए अनुकूल हैं, लेकिन बाढ़ और कटाव के कारण किसानों को अक्सर नुकसान उठाना पड़ता है. मछली पालन भी इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण आय का स्रोत है. क्षेत्र में रोजगार के पर्याप्त अवसर नहीं होने की वजह से बड़ी संख्या में लोग दिल्ली, मुंबई, और पंजाब जैसे राज्यों में मजदूरी के लिए पलायन करते हैं.

इसके अलावा, इस क्षेत्र में कुछ परिवार हस्तशिल्प, बुनाई, और मिथिला पेंटिंग जैसे पारंपरिक कार्यों में लगे हैं, जो स्थानीय संस्कृति का हिस्सा हैं और पर्यटकों के बीच लोकप्रिय हैं.इस क्षेत्र की कुल जनसंख्या 5,02152 है. पुरुषों की संख्या 2,64668 और महिलाओं की संख्या 2,37484 है. एक जनवरी 2024 के चुनाव आयोग के डाटा के अनुसार कुल मतदाता 291217 हैं, जिनमें पुरुष मतदाता 1,53965 महिला मतदाता 1,37245 और सात थर्ड जेंडर वोटर हैं.

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