- महागठबंधन ने आज साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी यादव को सीएम और मुकेश सहनी को उप मुख्यमंत्री घोषित किया गया।
- अशोक गहलोत ने माना कि महागठबंधन की कुछ सीटों पर उम्मीदवारों के बीच फ्रेंडली फाइट होने की संभावना है।
- महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर अभी तक कोई अंतिम सहमति नहीं बन पाई है, जिससे समन्वय की कमी स्पष्ट हो रही है।
तमाम रासकाशी के बाद आज (गुरुवार को) साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में सभी घटक दलों के प्रतिनिधि की मौजूदगी में यह तय हो गया कि महागठबंधन के तरफ से तेजस्वी यादव ही मुख्यमंत्री और मुकेश सहनी उप मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे. दिल्ली से लेकर पटना तक कई दौरों के बैठकों के बाद यह आम सहमति बनी कि तेजस्वी के ही लीडरशिप में चुनाव लड़ा जाएगा. कांग्रेस महासचिव अशोक गहलोत जब राबड़ी आवास पर तेजस्वी से मिलने गए थे तभी से इसके संकेत मिलने लगे थे.पर तमाम बैठकों के बाद भी महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर आम सहमति बनती हुई अभी तक नहीं दिख रही हैं.
घटकों के बीच घमासान तब सतह पर देखने को मिला जब अशोक गहलोत ने कहा की कुछ सीटों पर अभी भी फ्रेंडली फाइट होंगे. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पटना में तेजस्वी यादव से मुलाकात के बाद इस विवाद को और हवा दे दी की कुछ सीटों पर फ्रेंडली फाइट होंगे. अशोक गहलोत ने कहा कि '243 सीटों में पांच सात सीटों में थोड़ा गंभीर हो जाता है, कभी कभी फ्रेंडली फाइट भी होती है, उसमें कोई ज्यादा इसको आपको बहुत जोर नहीं देना चाहिए.
गठबंधन में समन्वय की कमी इतनी देखी गई कि आज भी साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में आधिकारिक रूप से यह घोषणा नही किया गया कि कौन से दल कितने सीटों पर लड़ेंगे.. दिलचस्प बात यह भी है कि साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी यादव अलावा गठबंधन के किसी भी नेता का फोटो नहीं था.
आपको बता दें कि कांग्रेस इस बार बिहार चुनाव में 61 सीट पर चुनाव लड़ रही है जो पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में नौ सीट कम हैं, जबकि राजद ने 143 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) नौ सीट पर, भाकपा (माले) 20 सीट पर और भाकपा (मार्क्सवादी) चार सीट पर चुनाव लड़ रही है. भाकपा (माले) लिबरेशन ने 2020 के चुनाव में ‘महागठबंधन' के भीतर सबसे बेहतर प्रदर्शन किया था. भाकपा (माले) लिबरेशन ने तब 19 में से 12 सीट पर जीत दर्ज की थी.
राजनीति में यह कैसी लड़ाई है जो फ्रेंडली है.. महागठबंधन में अभी कई सीटें ऐसी है जहां पर फ्रेंडली फाइट की स्थिति बनी हुई है. हालांकि आज नाम वापस लेने के अंतिम दिन है. विगत है कि कुछ सीटों पर कांग्रेस राजद ने अपने अपने उम्मीदवारों के नाम वापस भी लिए है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम के विरुद्ध राजद ने सुरेश पासवान को उतार दिया था वहीं लालगंज में कांग्रेस ने राजद उम्मीदवार शिवानी शुक्ला विरुद्ध आदित्य राजा को उत्तर दिया था.
हालांकि दोनों जहां कांग्रेस राजद ने अपने अपने उम्मीदवारों को वापस ले लिया है. पर अभी भी नरकटियागंज सीट पर कांग्रेस के शाश्वत केदार पांडेय का मुकाबला राजद के दीपक यादव से होगा,जबकि वैशाली में कांग्रेस के संजीव सिंह और राजद के अजय कुमार कुशवाहा आमने-सामने हैं. राजापाकर में कांग्रेस की प्रतिमा कुमारी दास का सामना भाकपा के मोहित पासवान से होगा, वहीं बछवाड़ा में कांग्रेस के शिव प्रकाश गरीब दास और भाकपा के अभदेश कुमार राय के बीच सीधी टक्कर है.
जल्दबाज़ी और आपस में समन्वय की कमी ने स्थिति को और उलझा दिया है, जिससे कई सीटों पर ‘फ्रेंडली फाइट' यानी आपसी मुकाबला होने जा रहा है.
फ्रेंडली फाइट' या अंदरूनी टकराव?
महागठबंधन के भीतर ‘फ्रेंडली फाइट' का तर्क दिया जा रहा है, लेकिन इसका राजनीतिक राजद सहित कांग्रेस और अन्य छोटे दलों को नुकसान उठाना पड़ सकता है. सीटों को लेकर महागठबंधन के सहयोगी आपस में ही टकरा रहे है, उससे उनके मतदाता वर्ग में सही संदेश नहीं जा रहे है. इससे समर्थकों और केडर में भी एक कन्फ्यूजन का स्थिति बनेगा जिससे आगामी चुनाव में गठबंधन को नुकसान उठाना पड़ सकता हैं. 22 अक्टूबर यानी आज तक नामांकन वापस लेने का समय है, ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि कुछ सीटों पर सहमति बन सकती है. लेकिन अब तक की स्थिति को देखकर कहा जा सकता है कि महागठबंधन इस बार सीट बंटवारे के मोर्चे पर विफल नजर आ रहा है. अशोक गहलोत के बयान कही न कही संकेत दे रहे है कुछ सीटों पर फ्रेंडली फाइट होंगे ही.