NDTV Exclusive: मुसलमान धर्मनिरपेक्षता का बोझ उठाने वाले कुली नहीं हैं - ओवैसी

ओवैसी ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि हर बार आप सेकुलर होने की दुहाई देते हैं, लेकिन फिर भी कुछ नहीं करते. क्या हम कुली या मजदूर हैं, जो ये बोझ उठाकर चलते रहे? हम इस बोझ को पिछले 70 वर्षों से ढो रहे हैं, पर क्या निकला?

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  • बिहार चुनाव में AIMIM ने सीमांचल की पांच सीटों पर जीत हासिल करके अपनी मजबूत स्थिति दिखाई है
  • कहा कि दुर्भाग्य है कि हर बार आप सेकुलर होने की दुहाई देते हैं, पर कुछ नहीं करते. क्या हम कुली या मजदूर हैं?
  • ओवैसी ने कहा कि हम जानना चाहते हैं कि वो आखिर मुसलमानों से चाहते क्या हैं. क्या हम सिर काट लें, हाथ काट लें?
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बिहार विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने सीमांचल में चौंकाते हुए 5 सीटों पर जीत दर्ज की है. इनमें से 4 सीटों पर पार्टी के प्रत्याशी पिछले चुनाव में जीत हासिल करने के बाद 2022 में आरजेडी में चले गए थे. NDTV से एक्सक्लूसिव बातचीत में ओवैसी ने कहा कि ये जीत उन सभी को एक संदेश है, जो हमें हल्के में ले रहे थे. उन्होंने बीजेपी की बी टीम होने के आरोपों पर भी खुलकर जवाब दिया और कहा कि क्या हम कुली या मजदूर हैं, जो ये बोझ उठाकर चलते रहे? ये लोग मुसलमानों से आखिर चाहते क्या हैं. क्या हम अपना सिर कटा लें, हाथ काट लें? उन्होंने ये भी कहा कि अब गैर मुस्लिम नेताओं से मुस्लिम मतदाताओं का मोहभंग हो रहा है. 

बिहार में ओवैसी की पार्टी ने 28 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से 5 सीटों पर जीत दर्ज की और 8 सीटों पर स्पॉइलर की भूमिका निभाई. ओवैसी ने कहा कि AIMIM के बिहार यूथ प्रेसिडेंट आदिल हसन बलराम से महज 351 वोटों से हार गए. 20 साल विधायक रहे सीपीएम के नेता तीसरे नंबर पर आए. ऐसे में हम कह सकते हैं कि हमने काफी बढ़त बनाई है. आगे हम और भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे.  

NDTV के सीईओ और एडिटर इन चीफ राहुल कंवल से बातचीत में ओवैसी ने बीजेपी की बी टीम होने के आरोपों पर कहा कि ऐसा आरोप लगाने वाले क्या मुझे बता सकते हैं कि 14 पर्सेंट यादवों को 36 फीसदी टिकट देने वाले क्यों हारे. क्या वो ईमानदारी से कह सकते हैं कि यादवों का वोट न मिलने से हम हार गए? क्या वो कह सकते हैं कि साढ़े तीन प्रतिशत कम्युनिटी वोट रखने वाले को वो डिप्टी सीएम बनाने की बात क्यों कर रहे थे. 

औवेसी ने कहा कि जैसे वो हार गए, हम भी हार गए. लेकिन असल सवाल ये है कि मुस्लिमों को ही कठघरे में खड़ा क्यों किया जाता है. चुनावों में सिर्फ मुसलमान ही वोट नहीं डालते, बाकी जातियां भी वोट डालती हैं.  मेरा कहना है कि जिस दिन हम अधिकारों के साथ नागरिक बन जाएंगे, हमारी समस्याएं सुलझाई जाएंगी, भेदभाव खत्म होगा, आपकी लीडरशिप बन जाएगी. लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि हर बार आप सेकुलर होने की दुहाई देते हैं, लेकिन फिर भी कुछ नहीं करते. क्या हम कुली या मजदूर हैं, जो ये बोझ उठाकर चलते रहे? हम इस बोझ को पिछले 70 वर्षों से ढो रहे हैं. उसका नतीजा क्या निकला? 

उनका कहना था कि आप बीजेपी को हरा क्यों नहीं पा रहे हैं? नरेंद्र मोदी तीन बार पीएम बन गए. बिहार की जनता ने नीतीश कुमार को फिर बहुमत दे दिया है. उन्होंने कहा कि इस बारे में अखिलेश यादव का बयान चौंकाने वाला है. वह एसआईआर पर दोष मढ़ रहे हैं और कह रहे हैं कि हम यूपी में यह सब नहीं होने देंगे. उन्हें याद होना चाहिए कि वह लगातार संसदीय और विधानसभा के चुनाव हारते आ रहे हैं. हम जानना चाहते हैं कि वो आखिर मुसलमानों से चाहते क्या हैं. क्या हम अपना सिर काट लें, हाथ काट लें? 

क्या AIMIM अब पश्चिम बंगाल का चुनाव भी लड़ेगी, इस सवाल पर ओवैसी ने कहा कि अभी इस बारे में कुछ कहना बहुत जल्दबाजी होगी. हम मिलकर बैठेंगे और विचार करेंगे, तब फैसला लेंगे. लेकिन जहां तक उत्तर प्रदेश का सवाल है तो हम जरूर लड़ेंगे, और पहले से ज्यादा सीटों पर लड़ेंगे. हमें उम्मीद है कि चंद्रशेखर आजाद और स्वामी प्रसाद मौर्या के साथ जो गठबंधन हमने किया है, वह यूपी में भी जारी रहेगा. 

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