बिहार का चुनावी महासंग्राम: तेजस्वी Vs नीतीश... सीएम फेस, कौन जीतेगा रेस?

बिहार का यह मुकाबला इस बार बेहद दिलचस्प है. नीतीश कुमार के सामने चुनौती है अपनी विश्वसनीयता बनाए रखने की, जबकि तेजस्वी यादव के सामने चुनौती है अपने परिवार के पुराने साये से बाहर निकलकर खुद को स्थापित करने की.

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  • बिहार की सियासत में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच सत्ता के लिए तीव्र मुकाबला देखने को मिल रहा है.
  • तेजस्वी यादव ने क्रिकेटर बनने का सपना देखा था और राजनीतिक करियर के तहत करीब आठ करोड़ रुपये की संपत्ति है.
  • नीतीश कुमार को सुशासन बाबू के रूप में जाना जाता है और उनकी कुल संपत्ति लगभग दो करोड़ रुपये बताई जाती है.
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पटना:

बिहार की सियासत इस समय एक बार फिर गरमा गई है. राज्य में सत्ता के लिए मुकाबला बेहद रोमांचक नजर आ रहा है. यहां एक तरफ हैं नीतीश कुमार जिन्होंने पिछले 20 सालों से सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखी है तो दूसरी तरफ हैं तेजस्वी यादव, जो युवाओं और बदलाव की राजनीति का प्रतीक बनकर उभरे हैं. 

किक्रेटर बनना चाहते थे तेजस्‍वी 

तेजस्वी यादव कभी क्रिकेटर बनने का सपना देखते थे. उन्होंने केवल 9वीं तक पढ़ाई की और फिर राजनीति को अपना करियर बना लिया. आज उनके पास करीब 8 करोड़ रुपये की संपत्ति है, जिसमें 1 किलो सोना और 3.5 किलो चांदी शामिल है. तेजस्वी रोजगार और नौकरियों के बड़े वादे करते हैं लेकिन विपक्ष उन्हें आईआरसीटीसी जमीन घोटाले समेत 18 आपराधिक मामलों के कारण निशाने पर रखता है. 

नीतीश की सुशासन बाबू वाली छवि 

वहीं, नीतीश कुमार की सियासी पहचान 'सुशासन बाबू' के रूप में है. इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद वे नौकरी में आए लेकिन जेपी आंदोलन के दौरान राजनीति में कदम रखा. आज उनकी कुल संपत्ति करीब 2 करोड़ रुपये बताई जाती है. सीएम के पास 2 सोने और 1 चांदी की अंगूठी, 12 गायें, 9 बछड़े और दिल्ली में एक मकान भी है. 

नीतीश ने बिहार को जंगलराज के दौर से निकालने का दावा किया है, लेकिन अब विपक्ष उनकी उम्र और थकान को चुनावी मुद्दा बना रहा है। 20 साल की सत्ता के बाद राज्य में सत्ता विरोधी लहर भी साफ नजर आ रही है. इस बीच बीजेपी ने संकेत दिए हैं कि भले ही चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जा रहा हो, लेकिन जीत के बाद मुख्यमंत्री का चेहरा बदल भी सकता है. 

बिहार के लिए क्‍या कहते हैं सर्वे 

हाल के चुनावी सर्वेक्षणों के अनुसार बिहार की जनता का रुझान लगातार बदल रहा है. पहले सर्वे में NDA को 130 सीटें और महागठबंधन को 102–107 सीटें मिल रही थीं. दूसरे सर्वे में NDA 148–164 सीटों पर बढ़त में दिखाई दिया, जबकि महागठबंधन 75–90 सीटों के दायरे में था. तीसरे सर्वे में वोट शेयर के लिहाज से NDA 40 फीसदी और महागठबंधन 38.3 फीसदी पर नजर आया. चौथे सर्वे में सीटों के हिसाब से NDA को 158 और महागठबंधन को 66 सीटें मिलने का अनुमान था. ये आंकड़े बताते हैं कि इस बार बिहार में मुकाबला बेहद चुनौतीपूर्ण और रोमांचक होने वाला है. 

इस बार चुनावी मुकाबला है दिलचस्‍प 

बिहार का यह मुकाबला इस बार बेहद दिलचस्प है, अनुभव बनाम उम्मीद, सुशासन बनाम बदलाव. नीतीश कुमार के सामने चुनौती है अपनी विश्वसनीयता बनाए रखने की, जबकि तेजस्वी यादव के सामने चुनौती है अपने परिवार के पुराने साये से बाहर निकलकर खुद को स्थापित करने की. अब यह देखना होगा कि जनता का जनादेश किसके पक्ष में जाता है, पुराने सिस्टम के साथ या नए चेहरे के साथ. 

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