बिहार चुनाव: कोसी क्षेत्र पर सबकी नजर, कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा है दांव पर

इन दिग्गजों में पहला नाम राज्य सरकार के निवर्तमान ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव है. बिजेंद्र प्रसाद यादव सुपौल जिले के सुपौल विधानसभा सीट से जदयू के उम्मीदवार हैं.

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बिहार विधानसभा चुनाव के बाद कोसी क्षेत्र के कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा अब दांव पर है. 14 नवंबर को EVM खुलने के बाद उनकी किस्मत का फैसला होगा. मतगणना शुरू होने तक हर विधानसभा क्षेत्र के संभावित विनर और रनर प्रत्याशियों की सांसे अटकी हुई है. हालांकि मतदान संपन्न होने के बाद ही अधिकतर सीटों पर धुंधली ही सही, तस्वीर सामने आ गई है. वह धुंधली तस्वीर कई एक्जिट पोल से बिलकुल मेल नहीं खाती है. हालांकि बाद में आये कुछ एक्जिट पोल उन तस्वीरों को साफ करने में काफी हद तक सफल दिख रही है. खैर, जो भी हो कुछ ही घंटों के बाद तस्वीरों से धुंधलापन हट जायेगा और हर क्षेत्र से विधायिकी तय हो जाएगी. 

35 वर्षों से लगातार विधायक हैं बिजेंद्र

इन दिग्गजों में पहला नाम राज्य सरकार के निवर्तमान ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव है. बिजेंद्र प्रसाद यादव सुपौल जिले के सुपौल विधानसभा सीट से जदयू के उम्मीदवार हैं. बिजेंद्र यादव का राजनीतिक इतिहास लगभग 40 साल पुराना है. ये 1990 से लगातार सुपौल विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते आये हैं. बिहार में इन्हें अजेय उम्मीदवार भी कहा जाता है. कहते हैं कि इनके विरुद्ध चुनाव लड़ने को कोई तैयार नहीं होता.

विपक्षी पार्टी कोरम पूरा करने भर के लिए अपना प्रत्याशी उतारती है. हर चुनाव में विरोधी इन्हें हराने के लिए तरह-तरह की चाल चलते हैं, लेकिन अब तक कोई कामयाबी नहीं मिली है. 2025 के चुनाव में आठवीं बार इनकी प्रतिष्ठा दांव पर है. लेकिन उम्मीद की जा रही है कि 80 साल की उम्र में भी बिजेंद्र प्रसाद यादव अपने क्षेत्र में उतने ही लोकप्रिय हैं और सारे झंझावातों के बावजूद ये विधानसभा पहुंचने में कामयाब हो जायेंगे. 

नरेंद्र की विधायिकी भी लगातार 30 वर्षों से है जारी

दूसरे दिग्गज में शुमार हैं नरेंद्र नारायण यादव. नरेंद्र नारायण यादव मधेपुरा जिले के आलमनगर विधानसभा सीट से जदयू के  उम्मीदवार हैं. छात्र जीवन से राजनीति में रूचि रखने वाले नरेंद्र नारायण यादव जेपी आंदोलन की उपज हैं. मुखिया, प्रखंड प्रमुख, जिला पार्षद के चुनावों को जीतते हुए नरेंद्र 1995 से विधानसभा चुनाव में भाग्य आजमाया. 1995 में भाग्य ने उनका ऐसा साथ दिया कि वे उस समय से लेकर अब तक लगातार आलमनगर विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं. बीते 30 वर्षों से अनवरत विधायिकी हासिल करने वाले नरेंद्र नारायण सातवीं बार भी चुनावी मैदान में खड़े हैं. विधानसभा क्षेत्र के लोगों के अनुसार जीत का अंतर कम-अधिक जो भी हो, लेकिन अंतत: जीत उन्हीं की होगी. अब 14 नवंबर को ईवीएम खुलने के बाद इनके भी भाग्य का फैसला हो जायेगा.

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