बिहार विधानसभा के चुनाव में गोविंदपुर के निवर्तमान विधायक मो. कामरान निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए हैं. RJD के कोषाध्यक्ष थे. लेकिन उन्हें टिकट नही मिला. लिहाजा, मो. कामरान राजद से इस्तीफा दे दिया अैर निर्दलीय मैदान में उतर गए हैं. कामरान की जगह गोविंदपुर की पूर्व जदयू विधायक पूर्णिमा यादव को राजद से टिकट दिया गया है. लिहाजा, मो. कामरान निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए हैं. ऐसे में गोविंदपुर विधानसभा क्षेत्र का चुनाव काफी रोचक हो गया है.
चूकिं एक तरफ, एनडीए से एलजेपी आर के प्रत्याशी विनिता मेहता हैं.
विनिता मेहता बीजेपी जिलाध्यक्ष अनिल मेहता की पत्नी हैं. रोह की जिला पार्षद रही है. दूसरी तरफ, महागठबंधन से पूर्व विधायक पूर्णिमा यादव हैं. पूर्णिमा यादव पूर्व विधायक कौशल यादव की पत्नी हैं. गोविंदपुर में पूर्णिमा दंपति का राजनीतिक विरासत मजबूत रही है. इस सीट पर पूर्णिमा यादव का परिवार दस दफा निर्वाचित हुए हैं. ऐसे में मो कामरान निर्दलीय उतरे हैं, जिन्होंने 2020 के चुनाव में पूर्णिमा यादव को 33 हजार मतों के अंतर से पराजित किया था.
देखें तो, एक तरफ पूर्णिमा परिवार का यह परंपरागत सीट रहा है. पूर्णिमा परिवार को वापसी की चुनौती है. दूसरी तरफ, मो कामरान मगध इलाका का अकेला मुस्लिम विधायक रहे हैं. टिकट वंचित किए जाने से कामरान समर्थकों में गुस्सा है. इस सीट पर राजद के एमवाई समीकरण में टकराहट जैसी स्थिति उत्पन्न है. इस टकराहट का फायदा विनिता मेहता उठाने की भरपूर कोशिश कर रही है.
अब देखना दिलचस्प होगा कि पूर्णिमा अपना परंपरागत सीट पर काबिज हो पाती हैं या फिर चूक जाती हैं. यह भी दिलचस्प होगा कि मो कामरान अपनी जीत दोहरा पाते हैं या फिर एक सीमित वोट पाकर सिमट जाते हैं. देखना यह भी दिलचस्प होगा कि पूर्णिमा और कामरान की लड़ाई का फायदा विनिता ले जाती है या फिर निराशा हाथ लगती है.
प्रकाशवीर की इंट्री से मुकाबला हुआ संघर्षपूर्ण
रजौली विधानसभा क्षेत्र के निवर्तमान विधायक प्रकाशवीर के जनशक्ति जनता दल से चुनाव मैदान में उतरने से मुकाबला संघर्षपूर्ण हो गया है. प्रकाशवीर राजद के विधायक रहे हैं. लेकिन चुनाव से पूर्व राजद से इस्तीफा दे दिया था. जदयू में शामिल हो गए थे. लेकिन रजौली सीट एलजेपीआर को दे दिया गया. लिहाजा, वह तेजप्रताप की पार्टी जनशक्ति जनता दल से चुनाव मैदान में उतर गए हैं. ऐसे में यह सवाल उठने लगा है कि प्रकाशवीर के मैदान में उतरने से किसे फायदा और किसे नुकसान होने वाला है.
चूकिं प्रकाशवीर 2010 में दूसरे स्थान पर रहे थे. जबकि 2015 और 2020 में राजद प्रत्याशी के तौर पर जीते थे. लेकिन 2025 में राजद से इतर मैदान में हैं. जबकि राजद ने पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष पिंकी भारती को उतारा है. प्रकाशवीर और पिंकी भारती चैधरी जाति से हैं. जबकि एनडीए की ओर से एलजेपीआर प्रत्याशी विमल राजवंशी हैं. विमल की जाति राजवंशी हैं. रजौली सीट पर चैधरी और राजवंशी जाति के बीच सियासी प्रतिद्वंदिता रही है. प्रकाशवीर पुराने वोट बैंक के आधार पर चुनाव मैदान में हैं. जबकि पिंकी भारती को राजद समीकरण का भरोसा है. वहीं विमल राजवंशी को एनडीए वोट बैंक की आस है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि कौन बाजी मारता है.
दोहरे उम्मीदवार से मुकाबला हुआ रोचक
वारिसलीगंज में एनडीए की ओर से बीजेपी की निवर्तमान विधायक अरूणा देवी मैदान में हैं. जबकि महागठबंधन से दो प्रत्याशी मैदान में हैं. राजद से बाहुबली अशोक महतो की पत्नी अनिता मैदान में हैं. जबकि कांग्रेस से जिलाध्यक्ष सतीश कुमार मंटन चुनावी मैदान में हैं. 2020 के चुनाव में बीजेपी से अरूणा देवी ने करीब 9 हजार मतों के अंतर से कांग्रेस के सतीश मंटन को पराजित की थी. जबकि अशोक महतो के भतीजा और पूर्व विधायक प्रदीप महतो की पत्नी आरती कुमारी तीसरे स्थान पर रही थी.
मौजूदा समय में महागठबंधन के वोट बैंक में टकराहट की स्थिति उत्पन्न हो गई है. चूकिं एक गठबंधन से दो-दो उम्मीदवार हैं. दूसरी तरफ, वारिसलीगंज भूमिहार बाहुल्य इलाका रहा है. अरूणा और मंटन सिंह भूमिहार जाति से हैं. ऐसे में एनडीए के वोट बैंक में सेंधमारी का खतरा है. ऐसे में वारिसलीगंज का चुनाव काफी रोचक बना हुआ है.
नवादा विधानसभा में दल बदले लेकिन चेहरे पुराने
देखें तो, नवादा विधानसभा में दल बदल गए हैं लेकिन चेहरे पुराने हैं. जदयू के पूर्व विधायक कौशल यादव राजद के उम्मीदवार हैं. जबकि राजद की निवर्तमान विधायक विभा देवी जदयू की उम्मीदवार हैं. विभा देवी, बिहार के पूर्व मंत्री और नवादा के पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव की पत्नी हैं. दोनों के मुकाबला को जनसुराज प्रत्याशी अनुज सिंह ने रोचक बना दिया है. अनुज सिंह भूमिहार जाति से हैं. नवादा विधानसभा में भूमिहार की अच्छी खासी आबादी है.
हिसुआ में फिर से पुराने चेहरे आमने सामने
हिसुआ विधानसभा क्षेत्र में एक बार फिर से पुराने चेहरे आमने सामने हैं. बीजेपी से पूर्व विधायक अनिल सिंह चुनावी मैदान में हैं. जबकि कांग्रेस से नीतू कुमारी. नीतू कुमारी कांग्रेस की निवर्तमान विधायक हैं. 2020 के चुनाव में बीजेपी के अनिल सिंह को पराजित की थी. इस चुनाव में अनिल सिंह के समक्ष वापसी की चुनौती है. जबकि नीतू के लिए जीत दुहराने की. नीतू 2020 में पहली दफा निर्वाचित हुई. जबकि अनिल सिंह तीन दफा निर्वाचित हुए थे. नीतू और अनिल भूमिहार जाति से हैं. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि दोनोें चेहरे में किसकी वापसी होती है.














