बिहार चुनाव: केवल पॉलिसी नहीं... महिला, युवा और गरीब वोटर्स को साधने की रणनीति हैं CM नीतीश की घोषणाएं 

वोटर लिस्ट के विशेष संशोधन (SIR) पर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं और इसे अल्पसंख्यक व प्रवासी मतदाताओं को टारगेट करने वाला बताया है. लेकिन नीतीश सरकार इसे पारदर्शिता और नागरिकता सुनिश्चित करने का जरिया बता रही है.

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  • CM नीतीश ने महिला रोजगार योजना के तहत महिलाओं को स्वरोजगार के लिए 10,000 रुपये की सहायता देने का ऐलान किया है.
  • बिहार में गरीब और मध्यम वर्ग के लिए हर घरेलू उपभोक्ता को 125 यूनिट तक बिजली मुफ्त देने की योजना लागू की गई है.
  • शिक्षक भर्ती में स्थानीय को प्राथमिकता देने वाली डोमिसाइल नीति से युवाओं को लुभाने का प्रयास किया है.
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बिहार में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार नई घोषणाओं के जरिए चुनावी मैदान गर्म कर रहे हैं. पिछले कुछ महीनों में उन्होंने एक के बाद एक ऐसे फैसले किए हैं, जो सीधे-सीधे महिला, युवा और गरीब मतदाताओं से जुड़ते दिख रहे हैं. जानकार मानते हैं कि ये घोषणाएं महज पॉलिसी नहीं, बल्कि चुनावी रणनीति के हिस्से हैं.

महिलाओं पर फोकस

सबसे पहले बात करते हैं मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना की. इस योजना के तहत हर परिवार की एक महिला को स्वरोजगार शुरू करने के लिए ₹10,000 की शुरुआती सहायता दी जाएगी. छह महीने बाद आकलन के आधार पर बतौर लोन 2 लाख रुपये तक की अतिरिक्त मदद भी मिलेगी. इसके साथ महिलाओं को अपने उत्पाद बेचने के लिए हाट-बाजार भी बनाए जाएंगे. जानकार मानते हैं कि यह योजना महिला मतदाताओं को सीधे जोड़ने वाली 'चुनावी मास्टरस्ट्रोक' साबित हो सकती है.

125 यूनिट बिजली फ्री 

वहीं, गरीब और मध्यम वर्ग को राहत देने के लिए नीतीश कुमार ने हर घरेलू उपभोक्ता को 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने का ऐलान किया है. इससे अनुमानित 1.67 करोड़ परिवारों को फायदा होगा. विपक्ष ने इसे 'चुनावी जुमला' और 'नकल की रणनीति' बताया है, लेकिन आम जनता में इसका असर साफ़ दिखाई दे रहा है.

युवाओं को ऐसे किया खुश 

शिक्षक भर्ती में डोमिसाइल नीति लागू करने की घोषणा भी चुनावी राजनीति में बड़ा दांव मानी जा रही है. इसके तहत बिहार के स्थानीय निवासियों को प्राथमिकता दी जाएगी. सरकार का दावा है कि यह बेरोजगारी घटाने का कदम है, जबकि विपक्ष ने इसे 'लोकलुभावन जाल' करार दिया है.

युवाओं को साधने के लिए और भी कई योजनाएं सामने आई हैं, जैसे कोचिंग सुविधाएं, युवा आयोग और करियर-केंद्रित नीतियां. इसके अलावा सरकारी कर्मचारियों और उनके परिवारों को खुश करने के लिए भी रियायतों का पैकेज दिया जा रहा है.

क्‍या चुनावी चाल हैं ये घोषणाएं?

वोटर लिस्ट के विशेष संशोधन (SIR) पर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं और इसे अल्पसंख्यक व प्रवासी मतदाताओं को टारगेट करने वाला बताया है. लेकिन नीतीश सरकार इसे पारदर्शिता और नागरिकता सुनिश्चित करने का जरिया बता रही है.

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कुल मिलाकर, नीतीश कुमार ने पिछले छह महीनों में जो घोषणाएं की हैं, उनसे साफ़ है कि उनकी नजर महिला, युवा और गरीब मतदाताओं पर है. अब देखना यह होगा कि वोटर इन कदमों को भरोसे का प्रतीक मानते हैं या इन्हें चुनावी चाल समझते हैं.

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