बिहार के नालंदा जिले की अन्य सीटों की तरह हिलसा विधानसभा सीट पर भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले का प्रभाव रहता है. इसी प्रभाव और अपने दमखम की बदौलत जेडीयू के कृष्ण मुरारी शरण उर्फ प्रेम मुखिया ने हिलसा सीट पर लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की है. उन्होंने आरजेडी के पूर्व विधायक अत्री मुनि उर्फ शक्ति सिंह यादव को 16 हजार से अधिक वोटों से हराया है.
हिलसा सीट जेडीयू और आरजेडी के बीच कांटे की टक्कर के लिए जानी जाती रही है. 2020 में महज 12 वोटों के अंतर से कृष्ण मुरारी ने यहां जीत हासिल की थी. एनडीए अपने मजबूत कुर्मी वोट बैंक और लोकसभा की बढ़त को भुनाने में कामयाब रही है. वहीं यादव-मुस्लिम वोट बैंक को लामबंद करके 2020 की हार का बदला लेने के लिए उतरी आरजेडी मिशन में नाकाम साबित हुई है.
| प्रत्याशी | पार्टी | वोट मिले |
| कृष्ण मुरारी शरण | जेडीयू | 96009 |
| शक्ति सिंह यादव | आरजेडी | 79997 |
| उमेश कुमार वर्मा | जन सुराज | 4252 |
| सुकेश कुमार | निर्दलीय | 3337 |
| नोटा | - | 3853 |
पिछली हार-जीत का हिसाब
हिलसा सीट का चुनावी इतिहास बेहद करीबी मुकाबलों से भरा रहा है. 2020 के विधानसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड (JDU) के कृष्ण मुरारी शरण (उर्फ प्रेम मुखिया) ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के अत्रिमुनि उर्फ शक्ति यादव को महज 12 वोटों के अंतर से हराया था. यह सीट के करीबी मुकाबले का रिकॉर्ड है.
इससे पहले 2015 के विधानसभा चुनाव में RJD के शक्ति सिंह यादव ने लोजपा के दीपिका कुमारी को 2,600 से अधिक वोटों के अंतर से हराया था. यह दिखाता है कि यह सीट हमेशा कांटे की रही है. हिलसा में इस बार 63.20 फीसदी मतदान दर्ज किया गया है.
इस बार क्या खास मुद्दे रहे?
हिलसा में चुनाव परिणाम अक्सर राजनीतिक गठबंधन और जातीय गोलबंदी के आधार पर तय होते रहे हैं, जबकि विकास के मुद्दे भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
- क्षेत्र की ग्रामीण आबादी कृषि पर निर्भर है, इसलिए पर्याप्त सिंचाई सुविधाएं और किसानों को उचित सरकारी सहायता की मांगें प्रमुख रहती हैं.
- स्थानीय युवाओं के लिए रोज़गार सृजन हेतु कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देना एक प्रमुख चुनौती है.
- हिलसा नगर निकाय क्षेत्र में बेहतर जल निकासी, स्वच्छता और यातायात प्रबंधन के साथ शिक्षा की आवश्यकता है.
- बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं और शिक्षा के केंद्रों की गुणवत्ता में सुधार करना एक निरंतर चुनावी एजेंडा रहता है.
वोटों का गणित
चुनाव आयोग द्वारा 30 सितंबर 2025 को जारी अंतिम मतदाता सूची के अनुसार, हिलसा विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 3 लाख से ऊपर है. यह नालंदा जिले की सबसे बड़ी वोटर संख्या वाली सीटों में से एक है. इसमें लगभग 1.59 लाख पुरुष मतदाता और 1.43 लाख महिला मतदाता हैं. 2020 के बाद इस सीट पर मतदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. इस सीट पर अनुमानित औसत मतदान प्रतिशत 51% से 55% के बीच रहता है.
सामाजिक समीकरणों की दृष्टि से देखें तो यादव और कुर्मी मतदाताओं की संख्या यहां पर काफी ज्यादा और निर्णायक है. यादव मतदाता राजद का मुख्य आधार हैं जबकि कुर्मी मतदाताओं को जदयू के पक्ष में माना जाता है. इनके अलावा मुस्लिम (10-12%), अति पिछड़ा वर्ग (EBC) और दलित मतदाताओं की हिस्सेदारी भी परिणाम को प्रभावित करती है.














