बिहार की राजनीति में फतुहा विधानसभा सीट का नाम उन इलाकों में गिना जाता है, जहां जातीय संतुलन और सामाजिक समीकरण चुनावी नतीजों को खूब प्रभावित करते हैं. इस सीट पर आरजेडी की मजबूत पकड़ है, पिछले तीन बार से यहां आरजेडी चुनाव जीतती आ रही है. अब एक बार फिर पार्टी ने इस सीट पर कब्जा कर लिया है. पार्टी नेता रामानंद यादव लगातार तीन बार चुनाव जीतने के बाद चौथी बार भी जीत गए हैं.
जातिगत राजनीति का बोलबाला
फतुहा की राजनीति पूरी तरह जातिगत फैक्टर पर टिकी है. यहां कुर्मी मतदाता सबसे बड़ी संख्या में हैं, जबकि यादव समुदाय दूसरे स्थान पर आता है. दिलचस्प बात यह है कि यादव मतदाताओं की एकजुटता ने बीते एक दशक से RJD को लगातार जीत दिलाई है.
ऐसे रहे चुनाव के नतीजे
- 2020 विधानसभा चुनाव में रामानंद यादव ने बीजेपी उम्मीदवार सत्येंद्र कुमार सिंह को शिकस्त दी.
- 2015 में उनका मुकाबला एलजेपी उम्मीदवार सत्येंद्र कुमार सिंह से हुआ, जिसमें यादव ने 30,402 वोटों से जीत हासिल की.
- 2010 के चुनाव में यादव ने पहली बार विधानसभा चुनाव जीता और विधायक बने.
- इससे पहले 2009 के उपचुनाव में जेडीयू के अरुण मांझी को इस सीट पर जीत मिली थी.
किस समुदाय के कितने वोट?
फतुहा एक सामान्य सीट है, लेकिन यहां अनुसूचित जाति (SC) मतदाताओं की हिस्सेदारी करीब 18.59% है. मुस्लिम मतदाता सिर्फ 1.4% और शहरी मतदाता लगभग 13.4% हैं. फिलहाल, यादव मतदाताओं की गोलबंदी और आरजेडी की जमीनी पकड़ के कारण फतुहा में डॉ. रामानंद यादव की जीत हुई है.
किसके बीच हो रही थी टक्कर?
चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी (रा) के खाते में फतुहा सीट आई थी, उनकी तरफ से रूपा कुमारी को उम्मीदवारी सौंपी गई थी, वहीं आरजेडी के रामानंद यादव एक बार फिर चौका लगाने उतरे थे.














