बिहार में महागठबंधन में टकराव जारी, JMM ने महागठबंधन से नाता तोड़ने का किया ऐलान, जानें पूरी कहानी

भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा, 'सीट शेयरिंग अभी नहीं हुआ है, लेकिन सभी अपना नॉमिनेशन कर रहे हैं. अगर कुछ जगहों पर ताल-मेल की कमी है तो विड्रॉल के समय सब सही हो जाएगा.

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कांग्रेस की कथित तौर पर तय 10 सीटों पर RJD-लेफ्ट की पार्टी ने प्रत्याशी उतार दिए हैं. बताया जा रहा है कि इससे कांग्रेस प्रभारी अंदरखाने नाराज हैं. वहीं अब झारखंड में मिलकर चुनाव लड़ी और सरकार में मंत्री की हिस्सेदारी देने वाली JMM ने गठबंधन से अलग होकर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है. JMM झारखंड की 6 सीटों धमादाहा, चकाई, कटोरिया, मनिहारी, जमुई और पीरपैंती से चुनाव लड़ेगा.

सीटों पर नहीं बन पाया समन्वय

सूत्रों की मानें तो राहुल गांधी ने तेजस्वी यादव को स्पष्ट लहजे में संदेश दिया कि आप बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु या राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ बैठकर पहले सीटों का बंटवारा कर लीजिए. इसके बाद ही आगे कुछ बात हो पाएगी. नतीजा यह हुआ कि तेजस्वी वेणुगोपाल से मिलकर पटना आए और सिंबल बांटने लगे. बताया जा रहा है कि लालू परिवार राहुल के व्यवहार से नाराज है.

कांग्रेस की 8-10 सीटें लेना चाहते थे तेजस्वी

कांग्रेस के प्रदेश में संगठन के एक बड़े नेता की मानें तो तेजस्वी यादव कांग्रेस की 5 सीटें लेना चाहते थे. जिनमें उनकी सिटिंग सीटें महाराजगंज और कुटुंबा भी शामिल है. तेजस्वी यादव की तरफ से राजेश राम को अपनी सिटिंग सीट मोहनिया देने का ऑफर दिया गया था.

इसके अलावा बाहुबली मुन्ना शुक्ला की बेटी शिवानी शुक्ला के लिए तेजस्वी वैशाली की लालगंज सीट चाहते थे. जबकि बाहुबली अशोक महतो की पत्नी अनीता देवी के लिए वे वारसलीगंज सीट चाहते थे. इसके अलावा लेफ्ट की 3-4 सीटों पर अदला बदली चाहते थे लेकिन कांग्रेस नहीं मानी . अब यहां दोनों अपना उम्मीदवार उतार दिए है.

सीटों पर सहमति नहीं बनने के 2 बड़ी वजह

  • तेजस्वी और अल्लावरु के बीच ‘ईगो क्लैश' बना सबसे बड़ा कारण

राजद और कांग्रेस के बीच मामला अब सिर्फ सीटों का नहीं, बल्कि मामला ईगो तक चला गया. कांग्रेस और RJD के सूत्रों के मुताबिक, आरजेडी की तरफ से बार-बार डिमांड की जा रही है कि तेजस्वी को सीएम कैंडिडेट घोषित किया जाए. इस पर कांग्रेस खास कर प्रदेश प्रभारी अल्लावरु की तरफ से बार-बार एक ही बात दोहराई जा रही है कि सीएम पर फैसला चुनाव के बाद ही होगा.

कांग्रेस सूत्रों की मानें तो अल्लावरु इस बात के लिए राजी हैं कि आरजेडी अगर उन्हें 61 सीटें देती है तो वे तेजस्वी को सीएम फेस घोषित कर सकते हैं. वहीं, दूसरी तरफ तेजस्वी यादव किसी भी सूरत में कांग्रेस को 55 सीटों से ज्यादा नहीं देने पर अड़े हुए हैं. महागठबंधन में सीट बंटवारा अटकने के पीछे सबसे बड़ा कारण इसी को माना जा रहा है.

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  • IP के मुकेश सहनी का डिप्टी सीएम पर अड़ना बड़ा फैक्टर

महागठबंधन में असंतोष का एक बड़ा फैक्टर विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के मुखिया मुकेश सहनी को भी माना जा रहा है. वे शुरुआत से 60 सीट और डिप्टी सीएम की जिद पर अड़े थे. इसके बाद मामला 25 तक पहुंचा आखिर में वे 15 सीट पर माने, लेकिन तब तक नामांकन का आखिरी दिन हो गया था. हालांकि अभी भी वे डिप्टी सीएम के नाम पर अड़े हुए हैं. महागठबंधन सूत्रों की मानें तो तेजस्वी मुकेश सहनी को ज्यादा सीटें देकर अपना दो हित साधन चाहते थे. पहला- मुकेश सहनी के बहाने वे नीतीश कुमार के कोर वोट बैंक ईबीसी में सेंधमारी करना चाहते थे.

मुकेश सहनी वीआईपी के सिंबल पर कुछ चुनिंदा सीटों पर वे अपना उम्मीदवार देना चाहते थे, लेकिन कांग्रेस ने उनकी इस प्लानिंग पर पानी फेर दिया. आखिरी मौके पर ये एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर महागठबंधन का खेल बिगाड़ना चाहते थे, लेकिन वीआईपी के नेताओं का दावा है कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के हस्तक्षेप के बाद सहनी मान गए हैं. चर्चा ये है कि चुनाव बाद उन्हें एक राज्यसभा और एक विधान परिषद की सीट मिल सकती है.

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केवल गठबंधन नहीं, अब कांग्रेस के भीतर भी नाराजगी

मामला केवल गठबंधन में तनातनी का नहीं है. कांग्रेस के भीतर भी टिकट डिस्ट्रीब्यूशन को लेकर असंतोष बढ़ गया है. चुनाव से पहले कांग्रेस दो धड़ों में बंटी हुई दिखाई दे रही है. एक धड़ा प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरु और प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम के साथ है. दूसरा धड़ा कांग्रेस के उस ओल्ड गार्ड नेताओं का है जो बिहार में वर्षों से पॉलिटिक्स कर रहे हैं. यही कारण है कि कांग्रेस के टिकट बंटवारे पर नाराजगी की पहली मुखर आवाज भी बिहार कांग्रेस के सीनियर लीडर राष्ट्रीय कार्यसमिति के मेंबर और कटिहार सांसद तारिक अनवर ने उठाई. कार्यसमिति मेंबर और राज्यसभा सांसद अखिलेश सिंह पहले ही अल्लावरु की लाइन से अलग हटकर तेजस्वी यादव को महागठबंधन का सीएम फेस बताते रहे हैं.

कांग्रेस के भीतर अंतर्कलह को तीन पॉइंट में समझिए

कांग्रेस के सीनियर लीडर और कटिहार से सांसद तारिक अनवर ने जताया है. उन्होंने स्पष्ट कहा कि अगर फ्रेंडली फाइट ही करनी है तो गठबंधन क्यों किया. इससे पहले उन्होंने कहा था, पूर्व विधायक गजानंद शाही उर्फ़ मुन्ना शाही पिछले विधानसभा चुनाव में मात्र 113 मतों से पराजित हुए थे. इस बार उनकी टिकट काट दी गई है. वहीं, जो उम्मीदवार पिछले चुनाव में 30 हज़ार से अधिक मतों से हार चुके थे, उन्हें फिर से अवसर दिया गया है.'

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वहीं जमालपुर से सिटिंग विधायक अजय कुमार का टिकट कटने के बाद उनके समर्थकों ने एतराज जताया है. सोशल मीडिया पर लिखा 58 साल बाद जमालपुर में कांग्रेस जीत पाई थी, उसी कैंडिडेट का टिकट कांग्रेस की तरफ से काट दिया गाय है.' रिसर्च विंग के चेयरमैन आनंद माधव ने कहा, ‘ खगड़िया से कांग्रेस के सिटिंग विधायक छत्रपति यादव का टिकट कटने के बाद कांग्रेस के नाराज गुट ने कहा कि 2020 के चुनाव में कांग्रेस के सिंबल पर एकमात्र यादव विधायक जीते थे उनका भी टिकट काट दिया गया. ये किस तरह टिकट का बंटवारा किया गया है.

दीपांकर बोले- माले की सीटों पर कोई फ्रेंडली फाइट नहीं होगी

भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा, 'सीट शेयरिंग अभी नहीं हुआ है, लेकिन सभी अपना नॉमिनेशन कर रहे हैं. अगर कुछ जगहों पर ताल-मेल की कमी है तो विड्रॉल के समय सब सही हो जाएगा. माले की सीट पर संपूर्ण एकता है. मैंने पहले ही तय कर लिया था कि माले की सीट पर किसी तरह का कोई फ्रेंडली फाइट नहीं होगी. अगर कुछ है तो नॉमिनेशन वापस लेने तक सब सही हो जाएगा.'

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