बिहार में चुनाव घोषणा के साथ साथ एनडीए के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार और जनता दल युनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष , नीतीश कुमार ने अपना सात निश्चय पार्ट -2 सार्वजनिक रूप से जनता के सामने रख दिया हैं. भले ये उनका घोषणा पत्र हो लेकिन राज्य की राजनीति में ये पहली बार हुआ है कि घोषणा के दिन घोषणा पत्र को जारी कर दिया जाए.
निश्चित रूप से नीतीश कुमार के इस कदम से उनके सहयोगी और विपक्ष के लोग अचरज में हैं. लेकिन इस कदम से कई बातें सामने आयी. पहला नीतीश इस बार के विधानसभा चुनाव की अधिकांश तैयारी पहले से करके बैठे हैं और उन्होंने भविष्य में क्या करना हैं उसके बारे में फ़िलहाल सहयोगियों से पूछने के बजाय ख़ुद से समस्या और उसका निराकरण कैसे होगा उसका हल ढूंढा है ?
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जैसे नगर विकास विभाग जो हमेशा से भाजपा के पास रहा है उसके बावजूद नीतीश कुमार की हर बारिश में फ़ज़ीहत होती है. इसी से सीख कर शहरों में स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज की बात उन्होंने की है. कुछ निश्चय जैसे हर खेत तक पानी को उन्होंने पहले सार्वजनिक रूप से घोषति कर दिया था. इसलिए वो बातें पुरानी हो गयी थीं.
वैसे ही महिलाओं के प्रति नीतीश ने और उदारता दिखाई है. जिसका लाभ उन्हें निश्चित रूप से इस बार भी मतदान में मिलेगा. हालांकि भाजपा के लिए उन्होंने अपने निश्चय में काम करने की पूरी गुंजाइश छोड़ी है. जैसे उन्होंने ये बात मानते हुए कि सबको सरकारी नौकरी नहीं दी जा सकती. इस सच को स्वीकार करते हुए स्किल प्रशिक्षण पर कई घोषणा तो की लेकिन उन्होंने एक स्किल विश्वविद्यालय बनाने की घोषणा नहीं की क्योंकि ये पाँच वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री के बिहार पैकेज में इसकी घोषणा तो कर दी गयी लेकिन उसका क्रियान्वयन करना भूल गये.
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इसलिए भाजपा को इसकी स्थापना का श्रेय लेने का नीतीश कुमार ने स्कोप छोड़ा हुआ है. वैसे ही एक लाख लोगों को प्रशिक्षण देने का वादा किया गया था. वैसे ही डिजिटल बिहार के लिए सॉफ्टवेयर टेक्नॉलजी पार्क ,ग्रामीण इलाक़ों में बीपीओ और एक हज़ार मोबाइल टावर लगाने की पैकेज में घोषणा की गई थी. लेकिन इसे आज तक भाजपा पूरा नहीं कर पायी.
यही कारण है कि प्रधानमंत्री के इस पैकेज पर कितना काम हुआ उसकी चर्चा भाजपा के नेता दिल्ली से पटना तक नहीं करते. लेकिन सबसे अधिक नीतीश ने इस निश्चय को सार्वजनिक कर नाम के सहयोगी और सबसे मुखर आलोचक लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग़ पासवान को संदेश दिया है कि शासन का मुखिया जब तक जनता की कृपा हैं मैं हूं. लेकिन आप सहयोगी होने के नाते मुझे टर्म डिक्टेट नहीं कर सकते.
चिराग़ हमेशा इस बात को कहते हैं कि सात निश्चय महागठबंधन का कार्यक्रम हैं और जब तक एनडीए का साझा घोषणा पत्र नहीं बनता उन्हें सरकार से विरोध होगा. नीतीश ने एक तरह से उन्हें साफ़ दो टूक शब्दों में संदेश दे दिया है कि भले भाजपा आपकी सीटों के समझौते पर मांग मान ले लेकिन सरकार और मेरी आलोचना कर आप मुझसे कोई उम्मीद नहीं रखिए.