बिहार के शराबबंदी कानून के अमल पर CJI ने उठाया सवाल, अपने रुख पर सीएम नीतीश कुमार अडिग

सीजेआई एनवी रमना ने हाल ही में बिहार में शराबबंदी कानून का हवाला देते हुए इसे किसी कानून का मसौदा तैयार करने में दूरदर्शिता की कमी का उदाहरण बताया था.

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पटना:

Bihar: सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्‍यायाधीश एनवी रमना (CJI NV Ramana) ने कहा है कि बिहार में शराबबंदी क़ानून के बाद हालत यह है कि पटना हाइकोर्ट में ज़मानत की याचिका एक-एक साल पर सुनवाई के लिए आती है, उधर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar), जो शराबबंदी के समर्थन में अपनी समाज सुधार यात्रा पर निकले हैं , ने कहा है कि शराब पीने वाले बिहार न आएं. बिहार में अवैध शराब को जब्‍त करने और इसके आरोप‍ियों पर कार्रवाई  को लेकर मुहिम चली है लेकिन इसका दूसरा पक्ष यह भी हैं कि शराबबंदी से सम्बंधित लाखों मुक़दमे भी दर्ज हुए हैं जिसका दबाव न्यायपालिका पर देखने को मिल जाता हैं. 

गौरतलब है कि सीजेआई एनवी रमना ने बिहार में शराबबंदी कानून का हवाला देते हुए इसे किसी कानून का मसौदा तैयार करने में दूरदर्शिता की कमी का उदाहरण बताया था. उन्‍होंने रविवार को कहा था कि ऐसा लगता है कि विधायिका (legislature), बिलों की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए संसद की स्‍थायी समिति प्रणाली का उचित उपयोग करने में सक्षम नहीं है. विजयवाड़ा के कार्यक्रम में 'भारतीय न्‍यायपालिका: भविष्‍य की चुनौतियां (Indian Judiciary: Challenges of Future)'विषय पर अपने संबोधन में उन्‍होंने कहा था, 'मैं उम्‍मीद करता हूं कि यह बदलेगा क्‍योंकि इस तरह की जांच से कानून की गुणवत्‍ता में सुधार होता है.'

गौरतलब है कि बिहार के सीएम  नीतीश कुमार इन दिनों प्रमंडल स्तर पर शराबबंदी की समीक्षा कर रहे हैं और उनके तेवर बेहद सख्‍त हैं. बिहार में बाहर से आने वाले लोगों के लिए कठोर शराबबंदी कानून से राहत देने की मांग को मुख्यमंत्री ने खारिज कर दिया है.  उन्‍होंने कहा कि शराब पीना है तो बिहार मत आइए. उन्होंने इन सुझावों को भी खारिज कर दिया कि शराब के आदी लोगों को चिकित्सीय आधार पर छूट दी जाए और कहा कि लोगों ने शराब पीकर अपना स्वास्थ्य खराब कर लिया है, न कि उन्हें शराब पीने से रोकने के कारण उनका स्वास्थ्य खराब हुआ है. 

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